“खुशी तू सौदा मैं”
“खुशी तू सौदा मैं”
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तपकर कोयला हिरा बनता है तो,
आ जिस्म पे अपने सारी तपन मैं लूँ…
मसलकर फ़ूलों से खूश्बु ली जाती है तो,
मंजूर मैं अपनी रुह का पानी कर लूँ…
कहीं मेरी गर्माहट से तुझे सुकून मिले तो,
कतरा-कतरा देख अपना सारा लहू उबालूँ…
कालिख से मेरी तू जो टिका करें तो,
बाती की भाँति तिल-तिल यूं जल लूँ…
बताना मुझे, तुझे किफ़ायती लगे तो,
खुशी-खुशी तेरी हर खुशी का सौदा मैं कर लूँ…