बादल की बारात
बादल की बारात
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सागर से उठ क्षितिज पथ पर
आ पहुंची बादल की बारात
सबसे आगे पगड़ी पहने
जम रहे दूल्हे बादल राज
पीछे ठुमकते बाराती बादल
उमड़-घुमड़ आलापते राग मल्हार।
दूसरी ओर से आई दुलहिन बादल
उमगते-लरजते सखियों के संग
लो आ गया मुहर्त वरमाला का
नभ पर छाए खुशियों के सतरंग।
दुल्हिन ने ज्यों वरमाला डाली
गरजने लगी मेघों की बारात
चमकी बिजुरिया, थिरके बादल
घरती ऊपर झूमा अलमस्त अंबर।
बरसे मेघ, भीगी धरती, हरषे मन
कोने-कोने पर चमका आशा-दर्पण
नववधू अंबर पर झूला झूले
करके सृष्टि के सोलह श्रृंगार।