प्यासी धरती के प्याले
प्यासी धरती के प्याले
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प्यासी धरती के प्याले बादल,
प्यासे खुद भी ये काले बादल।
प्यास बुझती है जब बरसते हैं,
रूह बनके भी ये तरसते हैं।
जब धुँआ बनके ये फ़ना होंगे,
कुछ न होके भी आसमां होंगे।