मातृभूमि
मातृभूमि
1 min
7.5K
हे मातृभूमि हे करूणामयी, मैं कैसे भार चुकाऊँगा , तुमसे जनमा हूँ , पला बढा, विलय तुममें हाे जाऊँगा |
ईश्वर की क्या करूणा थी, कि जन्म हुआ तेरी भूमि पर| हे मातृभूमी , हे आनंदी, शत शत नमन, शत शत नमन|
गाैद में तेरी खेला हूँ, माटी का है स्वाद लिया, हाय वाे बचपन कैसा था, माटी स्वरूप वाे अमृत था|
अन्न इत्यादि की बात ही क्या, तू श्वास श्वास में बहती थी, रक्त धमनियाें में रज बनकर, उन्हेंं ऊजयिुक्त तू करती थी |
हे मातृभूमि हे आनंदी, मैं कैसे भार चुकाऊँगा|
मैं गिरता उठता तेरी भूमि पर, तेरी माटी मलहम बनती थी, मैं खोया रहता अपनी धुन में, तू प्रतिपल देखती रहती थी|
हे मातृभूमि हे आनंदी , मैं कैसे भार चुकाऊँगा |