किताबें
किताबें
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जैसे माँ ने सिखाया
उँगली पकड़ के चलना,
किताबों ने दिया अक्षरज्ञान
क..ख..ग..के साथ पढ़ना।
उमर के साथ हुआ
शारीरीक विकास
औऱ किताबों के साथ
बौद्धिकता हुई प्रखर।
बचपन में ये जरिया थीं
वीर-वीराँगनाओ के
कथाओं की।
महान हस्तियों के
उपलब्धियों की।
अब किताबें
पाठ पढ़ाती हैं
जिंदगी के छूए-अनछूए
पहलूओं की, स्वयं मौन रहके।
वो बन गई हैं हमसफर
देतीं हैं साथ मेरा
हर निशा
अपने उलटते-पलटते
पन्नों के साथ।
कई बार मेरे आलिंगन मे
एक नन्हे शिशु की भाँति
आगोशित पाती हैं खुद को
भोर होने तक।