Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Manoj Charan

Others

4  

Manoj Charan

Others

हिन्दी

हिन्दी

1 min
13.8K


हिन्दी हिन्द में हुई पराई, लोग अपनाते अंग्रेजी।

नित नये बदलते चोले, पूत हो गये रंगरेजी।

तुलसी-सूर-मीरा की भाषा, क्रंदन करती दिखती है।

कवि चंद के छंदो में भी, अब अंग्रेजी बिकती है।

मैथिल कोकिल नहीं कूकती, मौन साध कर बैठी है।

सौतन बनी परायी भाषा, सिंहासन पर ऐंठी है।

प्रेम पीर घन नहीं बरसते, प्रेम की सूखी क्यारी है।

भूली सुजान कवित्त सुहाने, इलू-इलू भारी है।

कालिंदी कूंज कदम्ब डारन पर, कुब्जा कब्जा कर बैठी।

रस की खान बंद हुई अब, राधा माधव को खो बैठी।

पूंजीवादी लालाओं के आगे, होरी गाय गंवा बैठा है।

पंत प्रसाद निराला सब पर, पांव पसार भगत बैठा है।

अब कौन जलाता घर आपना, कहां कबीरा मिलता है।

हिंदी की हिंदी पर अब तो, बस केवल वक्त बदलता है।

हो गयी परायी अब तो, कुलवधू थी जो भारत की।

किसने सोचा था ऐसी होगी, आजादी मेरे भारत की।

गारत में गैरत है अपनी, भाषा घिरी जंजालों में।

जाने कब होश करेगी,  सत्ता घिरी सवालों में।।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Manoj Charan