गर्भ से बोल रही हूं माँ
गर्भ से बोल रही हूं माँ
अच्छी मम्मी प्यारी मम्मी...
अपनी जिद्द को जाने दो ....
प्यार भला ना करना मुझको
दुनिया में तो आने दो..
कुछ तो मेरा दोष बता दो ..
क्यों मुझको मरवाती हो...
ममता की मूरत हो मां तुम ..
डायन क्यों कहलवाती हो..
सुना है धरा बहुत सुंदर है..
मैं भी तो देखूँ आकर...
तितली के संग उड़ती खेलूँ ...
सो जाऊँ लोरी सुनकर...
अच्छा झूला मत लगवाना ..
गोदी में थपकी देना ....
फिर भी भैया बुरा माने तो...
मुझको ही झिड़की देना...
मैं ना कभी भी गिला करूँगी ...
चाहे सौ सौ ताने दो...
प्यार भला ना करना मुझको
दुनिया में तो आने दो...
पड़ी रहूँगी गुम गुड़िया सी ..
घर के पीछे कोने में...
सब सोने चाँदी में खाना ...
मुझको देना दोने में....
पापा का भी अंश हूँ माँ...
जाने कैसे सह लेंगे...
बीज गर्भ में पलता है जो
अंकुर तो बन जाने दो..
प्यार भला ना करना मुझको
दुनिया में तो आने दो...
मैं अपना केस खुद लड़ूगी..
इस जुल्म के खिलाफ बगावत करूँगी...
कत्ल पर सब चिल्लाते हैं..
मैं भी चिल्लाऊँगी....
रो - रो कर आपको अपना दुख सुनाऊँगी....
पहले लुटती थी गली कूचे ग्राउंड में ...
आज कल लुट रहीं है....अल्ट्रासाउंड में....
अल्ट्रासाउंड में लाखों कुर्बान होती हैं...
दुनिया में आने से पहले अपनी जान खोती हैं....
कानून सब के लिए सीधा साफ होना चाहिए...
माई लॉर्ड मुझे आपसे इंसाफ चाहिए...
मेरी हत्या है कलंक...
आपकी अदालत पर ...
कौन सी धारा लगी है.. मेरे कत्ल पर...
मेरी माँ कातिल...
कातिल बाप भी...
डाक्टर.. वकील कातिल और कातिल आप भी
मेरे इस कत्ल में साजिश है सारे समाज की...
मेरी पीड़ा पीड़ा है... भारत आज़ाद की....!!!!