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Suman Rajput

Children Stories

4.8  

Suman Rajput

Children Stories

पिता के जज़्बात

पिता के जज़्बात

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पानी सी बह रही थी ज़िन्दगी तेरे बिन,

प्रफुल्लित है हृदय अब सुन तेरी पायलों

की रुन- झुन -2।।

ज़िन्दगी जब भी कहीं शिकस्त देती है,

तेरी मुस्कान फिर उम्मीद भर देती है।।

जब तुझे बाहों में भर लेता हूँ,

कसम से वो ख़ुदा से मुलाक़ात होती है।।

बचपन पर से धूल पोंछ रहा था,

ऐ ख़ुदा शुक्र तेरा तूने मेरा बचपन फिर

लौटा दिया।।

कितनी सुन्दर रचना है तेरी,

इस जहाँ में सबसे सुंदर बिटिया है मेरी।।

यूँ तो पाकर तुम्हें बेहद खुश हूँ मैं-2

तेरी नन्ही आँखों से इस दुनिया को

फिर से देख रहा हूँ ,

तेरे नन्हे क़दमों से फिर से इस

जमीं को नाप रहा हूँ ,

तेरी तोतली जुबाँ से फिर बोलना

सीख रहा हूँ ।।

पर न जाने क्यों ?-2

किसी की बिटिया की विदाई देखता हूँ,

तो तुम्हें लेकर सहम सा जाता हूँ मैं।।

.......सुमन राजपूत


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