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Neha Sharma

Others

4.8  

Neha Sharma

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हिस्सेदारी

हिस्सेदारी

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इसे कश्मकश कहूं विडम्बना

कहूं या लाचारी,

पर अच्छी ही है ये हिस्सेदारी। 


उसके जन्म के साथ ही अपना

मान काम हो जाता है,

कोई और सितारा भी घर में रौशन

हो जाता है ,

बचपने में कोशिश अक्सर रहती है जारी,

कैसे पड़ जाऊँ मैं उस पर भारी। 


इसे कश्मकश कहूं विडम्बना

कहूं या लाचारी,

पर अच्छी ही है ये हिस्सेदारी। 


जब तक बात अपनी ही मनवाने की थी,

सोच ही लिया था कभी न कभी तो

उसकी भी चलेगी ही ,

फिर आयी बारी चीज़ें साथ इस्तेमाल

करने की,

क्या बताऊँ मन में कितनी तकलीफ़

हुयी थी,

कल तक जो सब सिर्फ मेरा हुआ

करता था,

आज शुरू हो गयी है उसमे हिस्सेदारी।


इसे कश्मकश कहूं विडम्बना

कहूं या लाचारी,

पर अच्छी ही है ये हिस्सेदारी। 


बचपने को याद करके भी हँसी आती है

सोचूं तो लगता है इस हिस्सेदारी की ही

वजह से आती है ,

ना होती ये हिस्सेदारी, न होता मेरा सबसे

अच्छा दोस्त ,

दुःख में या सिख में वो मुझे कर देता था

हमेशा खुश,


इसे कश्मकश कहूं विडम्बना

कहूं या लाचारी,

पर अच्छी ही है ये हिस्सेदारी। 


उसके आने से कल तक जो दुःख था 

पता नहीं कब वो ख़ुशी बन गयी,

उसका मेरे हर समय आस पास

होना ही ज़िन्दगी बन गयी


इसे कश्मकश कहूं विडम्बना

कहूं या लाचारी,

पर अच्छी ही है ये हिस्सेदारी। 


उससे पहले कभी किसी के लिए

इतना नहीं सोचा ,

फिर भी उसकी हर चीज़ में चाहिए

होता था हिस्सा ,

उसका ध्यान रखना कभी नहीं थी

मेरी ड्यूटी ,

जाने कब और और कैसे बन

गयी मेरी खूबी,


इसे कश्मकश कहूं विडम्बना

कहूं या लाचारी,

पर अच्छी ही है ये हिस्सेदारी। 


आज इस मुकाम पर भी लगता है

वो मेरे जैसा,

इस दुनिया में सबसे ज़्यादा जैसी

मैं हूँ वो है वैसा,

अलग अलग सोच और विचार हो

सकते हैं,

अलग नहीं हमारे संस्कार हो सकते हैं,

ये हिस्सेदारी मुझे है सबसे प्यारी ,

इसे अब भाई बहन का रिश्ता कहो या

हिस्सेदारी है ये बेहद ही प्यारी।


इसे कश्मकश कहूं विडम्बना

कहूं या लाचारी,

पर अच्छी ही है ये हिस्सेदारी। 


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