मेरे दादा जी अपनी तरह के इन्सान थे. माइनस सत्तर डिग्री तापमान, हर ज़िंदा चीज़ अपने-अपने बिल में छुपी... मेरे दादा जी अपनी तरह के इन्सान थे. माइनस सत्तर डिग्री तापमान, हर ज़िंदा चीज़ अप...