लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : राजगुरू द. आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
छंद पूरे होते ही जनता में राजा एवं राजकुमार की जय के नारे गूंज उठे। छंद पूरे होते ही जनता में राजा एवं राजकुमार की जय के नारे गूंज उठे।