यह सब देख सुन दूर्वा इतनी अचंभित हो गई थी कि वह बुत सी बन गई थी। सब कुछ इतनी जल्दी हो गया था वह कुछ ... यह सब देख सुन दूर्वा इतनी अचंभित हो गई थी कि वह बुत सी बन गई थी। सब कुछ इतनी जल्...
किसी भी निश्चित दिशा में यथार्थ पुरुषार्थ की भूमिका हमेशा ही अनिवार्य रहती है। किसी भी निश्चित दिशा में यथार्थ पुरुषार्थ की भूमिका हमेशा ही अनिवार्य रहती है।