हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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वेश्यावृति एक सम्मानजनक पेशा

वेश्यावृति एक सम्मानजनक पेशा

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सखि, 

अभी कल परसों ही माननीय उच्चतम न्यायालय ने एक बहुत जबरदस्त फैसला सुनाया है । वेश्यावृति के पेशे में लिप्त समस्त औरतों में जश्न का माहौल है । आखिर उनकी "तपस्या" रंग लाई है सखि । तपस्या तो रंग लाती ही है चाहे देवता करे, इंसान करे या कोई दानव । ये तो बेचारी वेश्या हैं । कहने को तो कहते हैं कि कौन चाहता है वेश्या बनना ? पर यह अर्द्ध सत्य है सखि । आज के जमाने में जल्दी से जल्दी अमीर बनने का एक ही तो रास्ता है महिलाओं के लिये । और वह है वेश्यावृति । वैसे एक बात है सखि , कि ये नाम ही खराब है मगर इसमें पैसा बहुत है । कोई जमाने में यह "धंधा" मजबूरी का होता था । मगर आज जमाना बदल गया है । आज तो नामी गिरामी फिल्म अभिनेत्रियां इस "काम" में मशगूल हैं । कुछ तो छापों में पकड़ी भी जा चुकी हैं । क्या अब भी कहा जाये कि इस धंधे में मजबूर औरतें ही आती हैं ? 


आजकल तो सब कुछ घर बैठे मिलता है, सखि । बस फोन या मैसेज करने की देर है । ऐसा नहीं है कि गिनती का ही "माल" है बाजार में । विभिन्न प्रकार की "वैराइटी" उपलब्ध हैं । ग्राहक को विकल्प दिये जाते हैं । उसे कई सारे फोटो , वीडियो भेजे जाते हैं और फिर उसे जो पसंद आ जाये उसे ग्राहक की पसंद की जगह पर भेज दिया जाता है । ना तो घरवालों का डर और ना ही पुलिस का । और अब तो माननीय उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद तो पुलिस का डर खत्म ही हो जायेगा । 


माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि जिस तरह अन्य व्यवसाय या पेशे होते हैं वैसे ही यह भी एक व्यवसाय या पेशा है और इसे भी उतना ही सम्मान देना होगा जितना अन्य व्यवसाय या पेशे को दिया जाता है । वाह ! क्या गजब का फैसला सुनाया है जज साहब ने । जिस तरह लोग अपने नाम के आगे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील , चार्टर्ड अकाउंटेंट या अन्य पद लिखते हैं उसी तरह अब एक वेश्या भी अपनी नेम प्लेट ऐसे बनवायेगी 

मिस आलिया 

कॉलगर्ल 


सखि , अब जमाना बहुत आगे बढ गया है । अब कौन अपने आपको "वेश्या" कहलाना पसंद करती है ? अब तो कॉलगर्ल या "एस्कार्ट्स सर्विस प्रोवाइडर" के नाम से जानी जाती हैं ये लड़कियां । और तुम्हें पता है कि आजकल "पोर्नोग्राफी इंडस्ट्री" बड़ी तेजी से बढ रही है इस देश में । तुमने शिल्पा शेट्टी और उसके पति राज कुंद्रा का नाम तो सुना ही होगा ? ये लोग "पोर्न मूवीज" ही तो बनाते हैं । अब ऐसा तो नहीं है कि इसमें जो लड़कियां काम करती हैं , वे कोई मजबूरी में कर रही हों ? इसके लिये उन्हें बहुत मोटी रकम दी जाती है । और जहां तक नाम की बात है तो सखि, आज सनी लियोनी का नाम बॉलीवुड की दूसरी अभिनेत्रियों से ज्यादा प्रसिद्ध है क्योंकि वह दुनिया की सबसे प्रसिद्ध "पोर्नस्टार" है । लोग उसकी एक झलक के लिये घंटों इंतजार करते रहते हैं । किसी फिल्म में सनी लियोनी का होना ही उसकी सफलता की गारंटी बन गया है । उसके दरवाजे पर फिल्म निर्माताओं की लाइन लगी रहती है ।


सखि, एकता कपूर का नाम भी सुना होगा तुमने । वही बालाजी प्रोडक्शन वाली । महान अभिनेता जीतेन्द्र की पुत्री । अरे, जिसने सास भी कभी बहुत थी जैसे "घर बिगाड़ू " धारावाहिक बनाये थे और जो बॉलीवुड में लेडी कोंडके के नाम से जानी जाती है अपने "द्विअर्थी" संवादों के लिये । तुम शायद भूल गई हो सखि, उसकी एक मूवी "कितने कूल हैं हम" ने तो दादा कोंडके को भी मात कर दिया था । उसी एकता कपूर ने "उल्लू" नाम से वेबसीरीज बनाई है और अभी भी बना ही रही है । यह भी पोर्न मूवीज ही बनाती है । इस पोर्न इंडस्ट्रीज में बहुत पैसा है , सखि । 


तो सखि, अब माननीय उच्चतम न्यायालय का कहना है कि कोई भी महिला अगर वेश्यावृति करे तो उसके साथ सबको सम्मान से पेश आना होगा । कोई उसे वेश्या नहीं कह सकेगा । मीडिया उसका नाम , चेहरा, पहचान नहीं दिखायेगा । उसके खिलाफ केस नहीं बनाया जायेगा । हां, ग्राहक को पकड़कर बंद किया जा सकता है । उसका नाम, चेहरा, पहचान उजागर की जा सकती है । है ना कमाल का फैसला ? 


पर इसमें भी एक पेच है । आजकल तो बहुत सी महिलाऐं भी "सिंगल" ही रहती हैं । उनकी भी तो "शारीरिक अवश्यकताऐं" होती हैं । अतः इसके लिये आजकल बहुत सारे पुरुष "वेश्या" बन गये हैं । उनके लिए "जिगोलो" शब्द काम में लिया जाता है । ये "जिगोलो" महिलाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति कर महान सेवा कार्य कर रहे हैं । अब तुम ये कहोगी क्या कि ये भी मजबूरी में ये काम ओर रहे हैं ? इस देश में "जिगोलो" की डिमांड बहुत बढ गई है आजकल । बहुत मोटी रकम मिलती है एक रात की इन्हें । दस हजार से लेकर पचास हजार रुपये तक । सबसे बढिया रोजगार बन गया है यह काम । 


मजे की बात यह है सखि कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने केवल महिलाओं को ही "वेश्या" माना है पुरुषों को नहीं । मतलब कि अगर कोई महिला वेश्यावृति करे तो ठीक मगर कोई पुरुष करे तो गलत । वैसे तो आजकल सारे कानून भी महिलाओं के हित में ही बने हैं । पुरुष तो किसी महिला को तीस सैकेण्ड भी देख ले तो वह "दुष्कर्मी" हो जाता है और थाने में बंद हो सकता है । मगर एक महिला अगर पुरुष के साथ कुछ भी कर ले तो वह अपराध नहीं माना जाता है । वाह, क्या समानता है । संविधान की गजब व्याख्या है यह । 


अब तो पुरुषों की और भी शामत हो गई है । माननीय न्यायालय ने यह भी फरमान जारी कर दिया है कि अगर पत्नी राजी हो तो ही "संबंध" बना सकते हो अन्यथा वह बलात्कार माना जायेगा । पत्नी जब चाहे संबंध बना सकती है । पति से इतर किसी और से भी अगर वह संबंध बनाना चाहे तो वह स्वतंत्र है । गजब के निर्णय हो रहे हैं अब, सखि । ऐसा लगता है कि अब हम लोग अमरीका में रह रहे हैं । और,तो और , अब तो माननीय उच्चतम न्यायालय ने "गे, लेस्बियन" संबंधों को भी मान्यता दे दी है । मतवब लड़का लड़का और लड़की लड़की आपस में "संबंध" बना सकते हैं । जो काम कुदरत नहीं कर पाई , उसे न्यायालय कर रहा है  इसीलिए तो आजकल "मी लॉर्डस" अपने आपको भगवान से भी ऊपर समझने लगे हैं । 


घर में बीवी मना करती है और बाहर पुलिस अंदर कर देती है । और मीडिया तो इज्जत का फलूदा बनाने के लिये तैयार बैठा ही है । तो भाई लोगो , अब तो एक ही काम बचता है आप लोगों के लिए । अब, सब कुछ मुझसे ही लिखवाओगे क्या ? 



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