उड़ने वाला कछुआ
उड़ने वाला कछुआ
अचानक उस कछुए की आंख खुली, उसने खुद को एक अनजान स्थान पर पाया। तभी याद आया उसे कि मैं तो अपने परिवार को ढूंढने निकला था। वो उस तूफानी रात में अपने परिवार से अलग हो गया था। उसमें जन्म से ही एक अद्भुत शक्ति थी कि वह उड़ सकता है और ये सायद किसी मुनि के आर्शीवाद का फल है जो उसके पूर्वज को मिला था। वह उड़ता हुआ अपने बचपन के समय को याद करता है।
वो रात अत्यन्त तूफानी रात थी, जब एक कछुए के परिवार में एक नन्हा सा कछुआ का जन्म हुआ। वो सबसे अलग था। सभी कहते है कि वो ईश्वर के आर्शीवाद से हुआ है। बचपन से ही उसे उड़ने का शौक था, पर वो एक कछुआ था, जिसकी चाल ही धीमी है तो वह उड़ कैसे सकता है। वो खेलते खेलते ऊंचे पत्थरों से नीचे कूदता, तो उसे इसमें बड़ा आनंद होता। सपने में चार्ली खुद को उड़ाता हुआ देखता था इस लिए उसे उड़ने की इच्छा होती थी। अपने मां से कहता कि "मां मैं उड़ क्यों नहीं सकता? मां का वही जवाब कछुए उड़ नही सकते। धीरे धीरे वो बड़ा होता गया। आचनक उसने एक दिन ऊंचे भूमि से छलांग लगाई और थोड़ी ऊंचाई पर उड़ते हुए नीचे उतरा। तब से वो प्रयास करता रहा पर इसकी खबर किसी को उसने लगने नहीं दी। वो सबसे छुप कर उड़ता या किसी जरूरत के समय।
और आज का दिन है जब वो उड़ रहा भूमि से कुछ और ऊपर की उंचाई में। ये बात केवल उसकी बीवी जानती थी। क्योंकि उसके मां पापा यह बात जानने से पहले ही चल बसे। वह चारो ओर ढूंढता गया। पर उसकी पत्नी, और बच्चे कही नही दिखे। इस तूफान ने उसे इतना दूर कर दिया कि उनके मिलने की आश तक नहीं। 2 दिन बीत गए। चार्ली थक गया। वो दिशा हीन हो गया था। फिर एक चमत्कार हुआ। एक कौवा वहा उड़ते उड़ते पहुंचा, जिसकी सहायता चार्ली ने एक दिन उसके मुसीबत के समय की थी।
उस कौवे ने उसके परिवार को देखा था और उसने उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा था। कौवे ने चार्ली को वहा लेकर गया, जहां उसका परिवार था। चार्ली अपने परिवार से मिला। फिर सभी साथ साथ रहने लगे।