टिम्पू
टिम्पू


टिम्पू, सात साल का एक लड़का जो अक्सर समुद्र देखने की इच्छा अपने पिता से जाहिर किया करता था। उसके पिता समुद्री जहाज पर काम किया करते थे ।अभी टिम्पू के पिता की कोई खबर नहीं है और शायद समुद्र में कही खो गए होंगे।
बरसात का मौसम है पूरे गाँव में जहाँ तहाँ पानी का जमाव है। टिम्पू अपने घर के मुख्य द्वार पर उदास बैठा है, सामने पानी को देख रहा है। उसके पास पुराने अखबार है। उसके पिता बरसात के मौसम में कागज का नाव बना कर दिया करते थे और टिम्पू उस कागज से बने नाव को पानी में डाल कर दूर दूर तक उसे सैर कराता था। आज वो अकेला कागज की नाव को बनाने की कोशिश कर रहा है। काफी मेहनत करने के बाद ठीक ठाक 7 नाव बना पानी में डाल दिया है। अपनी नन्ही नन्ही सी हाथों से पानी को धक्का दे रहा है ताकि नाव आगे की ओर बढ़ सके। कुछ दूरी तक वो ऐसा ही करता रहा।
अचानक आसमान में बिजली गरजने लगी। टिम्पू आसमान की ओर देखता है बारिश की बड़ी बड़ी बूंदें बरसने लगती है। वह डर जाता है, अपने घर की तरफ भागता है। मगर वह खुद को वीरान जगह पर पाता है जहाँ चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी है और कुछ नहीं। पलट कर वह अपनी कागज से बनी नाव को देखता है। ये क्या? उसकी नाव बहुत बड़ी हो गई है। जल्दी से अपनी नाव पर चढ़ जाता है। धीरे धीरे अंधेरा होने लगता है और नाव का आकार समुद्री जहाज जितना बड़ा हो जाता है। पानी की एक बड़ी लहर आती है जिससे सारे नाव को गति मिल जाती है। टिम्पू को समझ में नही आ रहा उसके साथ ये सब क्या हो रहा है। देखते ही देखते नदी के रास्ते से होते हुए टिम्पू के सभी नाव समुद्र में जा पहुंचते हैं। अब थोड़ा सा टिम्पू खुश हो गया आखिरकार , वह समुद्र की सैर कर सकेगा वो भी अपने नाव में।
आसमान से एक बिजली समुद्र में गिरती है और भंवर बना देती है। एक एक करके सारे नाव उस भंवर में समा जाती है। टिम्पू का नाव अभी भी उसी भंवर में खिंचा चला जा रहा है। उसे लगता है उसका बचना अब मुश्किल है। डर की वजह से वह जोर से चिल्लाता है। जब आंखे खोलता है तो सामने में अपनी माँ को देख उनसे लिपट जाता है और जोर जोर से रोने लगता है। माँ टिम्पू को चुप कराती है--"मेरा बेटा, बहादुर बेटा सपने में क्या देख लिया जो मेरा लाल डर गया।"
टिम्पू जवाब में कुछ नहीं कहता है। अपनी मुट्ठी में एक कागज का नाव पकड़े हुए है। ठीक वैसा ही जैसा सपने में बनाया था और उस पर लिखा था-- "आपका स्वागत है कप्तान टिम्पू। "