स्वाभिमानी कुत्ता
स्वाभिमानी कुत्ता
एक गाँव में दो कुत्ते रहते थे। एक का नाम शेरू था और दूसरा था टॉमी। शेरू बहुत स्वाभिमानी था और किसी चीज़ को बिना सोचे-समझे स्वीकार नहीं करता था, जबकि टॉमी सरल स्वभाव का था और जो भी उसे मिलता, वह उसे खुशी-खुशी खा लेता।
एक दिन शेरू एक घर में गया, जहाँ घर की मालकिन उसे रोटी दी। लेकिन रोटी में दूध नहीं था, तो शेरू ने वह रोटी नहीं खाई। उधर टॉमी, जो शेरू के साथ था, उसने बिना सोचे-समझे रोटी खा ली। मालकिन ने इस पर ध्यान नहीं दिया और सोचा कि शायद शेरू का पेट भरा हुआ होगा।
अगले दिन फिर शेरू उस घर में आया। इस बार फिर मालकिन ने उसे रोटी दी, लेकिन वह बिना दूध के थी। शेरू ने फिर से उसे खाने से मना कर दिया, और टॉमी ने फटाफट वह रोटी खा ली। मालकिन को थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने फिर भी ध्यान नहीं दिया।
तीसरे दिन जब शेरू फिर से आया, तो मालकिन ने कुछ सोचा कर शेरू को दूध में डूबी हुई रोटी दी, और शेरू ने खुशी-खुशी वह रोटी खा ली। मालकिन को अब शेरू की पसंद समझ में आ गई थी। तब से वह शेरू को हमेशा दूध वाली रोटी देने लगी और टॉमी को सिंपल रोटी, क्योंकि दोनों की पसंद अलग-अलग थी।
इस प्रकार, मालकिन ने दोनों कुत्तों की पसंद का ख्याल रखा और गाँव में शेरू और टॉमी दोनों खुश रहने लगे।
कहानी का सार यह है कि हर किसी की पसंद और आदतें अलग होती हैं, और अगर हम ध्यान से समझें, तो हम हर किसी को उनकी पसंद के अनुसार खुशी दे सकते हैं।
