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Harsh Singh

Children Stories Others

4.4  

Harsh Singh

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सर्पचक्र

सर्पचक्र

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सपने हम अक्सर देखते हैं कभी कोई अच्छा तो कभी बहुत बुरा पर हर रोज एक अलग एक नया सपना। शायद हमें इन सपनों की आदत सी हो जाती है पर क्या कभी किसी ने एक ही सपना बार बार हर बार देखा है ?अगर मैं आपसे पूछूँ तो आप में से बहुतों का जवाब ना में होगा। पर ऐसा हुआ है मेरे साथ। मैं देखता था एक सपना जिस से मैं डर जाया करता था। मुझे नही पता था कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है और शायद पता भी ना चलता जब तक मैं किसी ज्योतिषाचार्य से ना मिलता। तो चलिए मैं शुरू से बताता हूँ आप सबको अपने सपने के बारे में।

मैं शुरू से ही काल्पनिक चीजों में विश्वास करता था मैं अब भी मानता हूँ कि ऐसी सभी चीजें जिसे हम सोच सकते हैं वो इस दुनिया के किसी न किसी कोने में विद्यमान है। ये हो सकता है कि वो चीजें हमारी पहुँच से बाहर हो, हम वहाँ कभी पहुँच ना पाए पर हमारी सोच हमें वहां ले के जा सकती है। ऐसे ही शुरू हुआ जब मैं बचपन में टीवी पर पहली बार साँपों की फिल्म देख रहा था। उसे देखने के बाद मैं कल्पना करने लगा कि इच्छाधारी साँप होते होंगे या नहीं, होंगे तो कहाँ होंगे , मैं कभी उनको देख पाउँगा या नहीं। तब मैंने पहली बार अपने सपने में सांप को देखा था पर ये एक अच्छा सपना था। जब मैं सुबह उठा तो बहुत खुश हुआ की मैं इन साँपों की दुनिया में रहा भले ही वो सपने में क्यों ना हो पर मैं उनके साथ था कुछ पल के लिए ही सही पर मैं वहाँ था उन्हीं के बीच। मैं बहुत खुश हुआ था उस दिन।

उसके बाद मैंने घरवालों से कहकर और साँपों की फिल्में मँगाई और देखनी शुरू कर दी। सोने से पहले अक्सर मैं साँपों के बारे में ही सोचता था उनकी दुनिया के बारे में की कैसी होती होगी उनकी दुनिया। तब अक्सर मैं साँपों को अपने सपने में देखता था पर मैं कभी डरा नहीं। लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे रोज़ाना साँपों के सपने आने लगे। मैंने सोचा की ये सिर्फ फिल्मों के वजह से है। कुछ समय के बाद पढ़ाई लिखाई आगे बढ़ने लगी समय भी कम मिलने लगा तो साँपों के बारे में सोचना या फिर फिल्में देखना दोनों ही कम हो गये। कुछ समय तक तो सब ठीक रहा लेकिन उसके बाद सिलसिला शुरू हुआ साँपों का मेरे सपने में आने का। पर ये अच्छी यादें नहीं थी, ये बहुत ही डरावना सा हक़ीक़त लगता था। मैं बहुत डर गया था काफी समय से इनको अपने सपने में देखकर। मन में खयाल आया कि घरवालों से बताऊँ पर मैंने नहीं बताया। पर एक रात जब मैं सोया था तो मैंने कई साँप लगभग सैकड़ों साँपों को मुझे दौड़ाते हुए देखा, मुझे वो काटने के लिए दौड़ा रहे थे, मैं भाग रहा था हर तरफ साँप ही साँप, मैं साँपों से घिर चुका था मुझ पर उन्होंने हमला किया की तभी मेरी नींद खुल गयी। मेरे पास सोयी मेरी माँ मेरी आवाज़ सुनकर वो भी उठ गयी। उन्होंने पूछा क्या हुआ तब मैंने उनसे अपने सपनों का

ज़िक्र किया इस पर उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं सपने में ऐसा होता है। फिर मैंने उनको बताया कि मेरे साथ ये अक्सर होता है कभी मुझे एक साँप दिखता है कभी दो तो कभी बहुत सारे। उन्होंने मुझे समझा कर सुला दिया पर कहीं ना कहीं उनके मन में भी ये सवाल आया कि ऐसा क्यों ? फिर मैं जब भी सपने में साँपों को देखता मैं अपनी माँ को बताता उन्हें भी कुछ अजीब लगने लगा पर मुझे वो ये कहकर चुप करा देतीं कि तुम साँपों के बारे में ज्यादा सोचते हो इसलिए वो तुम्हारे सपने में आते हैं। फिर मैं क्या करता मैं भी चुप हो जाता।

एक दिन मैं बाहर खेल रहा था कि तभी मेरे दोस्तों ने साँप साँप चिल्लाना शुरू कर दिया, पर ये सपना थोड़े ही था जो मैं डर जाऊँ मैं झटपट उसे देखने के लिए दौड़ा। जब मैं वहाँ पहुंचा तो देखा की वो तो एक छोटा सा बच्चा था। पर था तो एक साँप इस पर मैंने और मेरे दोस्तों ने उसे पीट पीटकर मार डाला। अब मुझे साँपों को देखने की आदत जो हो गयी थी और वो भी बड़े और डरावने तो मुझे डर नहीं लगा। फिर जब मैं उस रात सोया तो वही जगह अपने सपने देखा और जहाँ पर मैंने साँप को मारा था वही पर लेटा हुआ था एक दूसरा साँप पर ये कोई बच्चा नहीं था ये तो बहुत बड़ा था और डरावना भी। उसने मुझे देखकर अपना मुँह खोल दिया उसके बड़े बड़े दाँत देखकर मैं डर गया वो मुझे दौड़ाने लगा मैं वहाँ से अपने घर की तरफ भागने लगा। भागते भागते मैं घर तक पहुँच गया और झटपट घर का दरवाज़ा बंद कर दिया और मैं बच गया, तभी कानों में कुछ आवाज़ आने लगी जब आँख खुली तो माँ मुझे उठा रही थी सुबह हो चुकी थी। जब इस बात को मैंने अपनी माँ से बताया तो वो थोड़ा परेशान हुई और मुझे साँप मारने से मना भी किया। फिर उसी दिन शाम में मेरे घर एक बाबा आये वो मेरे घर के बहुत पुराने पुरोहित थे और साथ ही साथ एक ज्योतिष भी। पूरा परिवार उनकी खातिरदारी में जुट गया। इसके बाद बाबा एक एक करके सबका हाल चाल पूछा तो इस पर कुछ ने अपनी तकलीफ़े बतायी तो किसी ने अपनी जन्मकुंडली दिखायी और जब मेरी बारी आयी तो माँ ने मेरे सपने की सारी बात खोलकर उनके सामने रख दी। उन्होंने इस बात को गंभीरता से लिया, तुरंत ही उन्होंने अपनी एक पत्रिका निकालकर पढ़ना शुरू कर दिया और इस तरह के सपनों के आने की वजह भी बतायी। बाबा ने कहा कि ऐसा तभी होता है जब किसी पर पित्रदोष होता है या फिर होता है सर्पदोष। चाहे जो भी वजह हो पर मुझे ऐसे सपने दिखते थे, उन्होंने मुझे साँपों से दूर रहने के लिए बोला और एक हवन पूजा करने के लिए भी कहा। माँ ने ठीक वैसा ही किया जैसा की बाबा ने कहा था, अब मुझे वो सपने नहीं दिखते,अब मैं सपनों में साँपों को नहीं देखता, ये सब सिर्फ उन महात्मा के कारण हो पाया है। वजह चाहे जो भी रही हो पर मैं अब इस सर्पचक्र से मुक्त हो चुका हूँ।


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