जैसे चाँद पर कुछ दाग़ थमे हैं... गुज़रे ज़माने से सीने की हलचल को समेट लूँ मुट्ठी में, और बंद कर दूँ बा... जैसे चाँद पर कुछ दाग़ थमे हैं... गुज़रे ज़माने से सीने की हलचल को समेट लूँ मुट्ठी म...
कुछ सपने ..कुछ अपने.. और कुछ मुट्ठी भर तरक्की लेकिन मिला क्या ?छोटी आहें ...बिखरी बाहें.. और दम तोड़त... कुछ सपने ..कुछ अपने.. और कुछ मुट्ठी भर तरक्की लेकिन मिला क्या ?छोटी आहें ...बिखर...