रंग बरसें खुशियों वाले
रंग बरसें खुशियों वाले
"दादी पुनीत भईया कब आएंगे, होली पर तो आएंगे ही ना", करन ने कमला से सवाल किया
कमला देवी एक नर्म दिल की, बुढ़ी औरत थी। वह अपने बेटे पुनीत के साथ एक छोटे से घर में रहती थी। पर कम्पनी के काम की वजह से पुनीत को दूसरे शहर जाना पड़ा। उसे लगा था कि वह दो-चार दिन में लौट आएगा पर दुबारा
लोकडाउन लगने की वजह से, वह नहीं आ पाया। कमला देवी को अपने बेटे के बिना बहुत अकेला महसूस करती थी। लेकिन करन उनके इस अकेलेपन का सहारा था। करन कमला देवी के पड़ोस में ही रहने वाला पांच साल का बच्चा था। वह रोज कमला देवी के पास आता और वे घंटों आंगन में बैठ कर हजारों बातें करते। पर आज कमला देवी थोड़ी उदास थी।
" नहीं बेटा, पुनीत नहीं आ पाएगा। जिस शहर में वो है वहां फिर से लोकडाउन लग गया है।" कमला ने जवाब दिया।
"तो इस बार आप होली अकेले ही मनाओगे दादी" करन ने पूछा।
नहीं बेटा इस बार में होली नहीं मनाऊंगी, पुनीत के बिना मेरा कोई त्योहार मनाने का मन नहीं" कमला देवी ने दुखी मन से कहा।
" करन बेटा आ जाओ" करन की मां ने उसे आवाज दी।
"अच्छा दादी मां बुला रही है मैं चलता हूं, आप ज्यादा उदास मत होना पुनीत भईया जल्द आ जाएंगे"। इतना कह कर करन चला गया।
पर उसे दादी का उदास होना अच्छा नहीं लग रहा था।
कमला देवी रात भर अपने बेटे के बारे में सोचती रही।उन्हें अपने बेटे की बहुत याद आ रही थी। वे उसके साथ होली मनाना चाहती थी। अगले दिन जब उनके बेटे का फोन आया तो कमला देवी ने उस से पूछा कि वह कब तक आएगा।
"पता नहीं मां यहां सब कुछ बंद है, मैं कोशिश कर रहा हूं। मैं भी आपके साथ होली मनाना चाहता हूं। अपना ख्याल रखना, अच्छा लगता हूं।"
दो दिन बीत गए और होली का दिन आ गया, पर कमला देवी के लिए आज कोई खास दिन नहीं था। उसे अपने बेटे के बिना होली नहीं मनानी थी। उसने सोचा कि कम से कम अपने बेटे से बात ही कर लें। उसने अपने बेटे को फोन लगाया पर किसी ने उठाया नहीं। कमला देवी उदास मन से तैयार हुई, मंदिर में दिया लगाया और बाहर पौधों में पानी देने जानें लगी। जैसे ही उसने अपने घर का दरवाजा खोला वह चकित रह गई । उसके आंगन में रंग - बिरंगे
रंंगो की थालिया रखी थी, मेज पर पिचकारीयाां, तरह तरह की मिठाइयां रखी थी। ये देख कमला देवी बाहर आई की तभी करन ने सामने से आकर उस पर रंग डालते हुए कहा "हेप्पी होली दादी"।तभी वहां छुपे सभी पड़ोसी भी आ गए।
दादी को चकित देख करन बोला "दादी क्याा मैं आपका बेटा नहीं हूं। मैं जानता हूं कि पुनीत भईया यहां नहीं है इसलिए आप उदास हो और होली नहीं मनाना चाहते, पर क्या आप मेरे साथ भी होली नहीं मनााएंगी।" यह सुनकर कमला देवी की आंखें भर आईं और उन्होंने करन को गले से लगा लिया। तभी कमला देवी को उसके बेटे की आवाज आई, उसने पलटकर देखा तो विडियो काल पर उनका बेटा था। अपने बेटे को देेखकर कमला के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने अपने बेटे को होली की शुभकामनाएं दी
दादी ने करन को शुक्रिया कहा, तो करन बोला "दादी होली का तो मतलब ही है खुशियां बांटना। # Rangbarse खुशियों वाले"।
और फिर सभी ने खुशी खुशी होली मनाई।
