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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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पूजा की लक्ष्मी

पूजा की लक्ष्मी

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आज बड़े असमंजस में हूं । असमंजस यह है कि बड़े लोग बातें भी बड़ी बड़ी करते हैं मगर उनके काम उतने ही गंदे होते हैं । जितने भी लोग आई ए एस बनते हैं और उनका साक्षात्कार आता है तब वे बड़ी बड़ी बातें करते हैं "हम तो देश की सेवा करने के लिए इस सेवा में आये हैं । देश को गरीबी, अशिक्षा , बीमारियों से मुक्त करवाने के लिए इस सेवा में आये हैं । लोग इन आई ए एस अधिकारियों को सिर आंखों पर बैठाकर रखते हैं । मगर ये बातें कितनी हास्यास्पद लगती हैं जब किसी "सफेद हाथी" के घर से "नोटों का पहाड़" निकलता है या अकूत संपत्ति के कागज निकलते हैं । तब ऐसा महसूस होता है कि कोई भी व्यक्ति "सेवा" करने नहीं आता है, सब "मेवा" खाने के लिए ही आते हैं । यह सोचने वाली बात है कि करोड़ों रुपये का पैकेज त्यागकर कोई लाख दो लाख रुपये महीने की तनख्वाह पर नौकरी क्यों करेगा ? क्या सिर्फ देश सेवा के लिए ? अगर देश सेवा का इतना ही जज्बा था तो सेना में क्यों नहीं गये ? किसको बुद्धू बना रहे हैं ये लोग ? अब लोग मूर्ख नहीं हैं, सब जानते हैं । जो भी इस सेवा में आया है वही "धनकुबेर" पाया है । कुछ घटनाओं ने इस बात को पुष्ट किया है ।


अभी कल परसों की ही बात है , सखि । झारखंड में खान सचिव पूजा सिंघल के बहुत से ठिकानों पर ई डी ने दबिश दी । बताते हैं कि लगभग 20-25 खोका नकद रुपए मिले थे वहां पर । खबर सुनकर मन को तृप्ति हो गई । चाहे कुछ भी है जाये मगर इन आई ए एस लोगों ने अपना स्टैंडर्ड बनाकर रखा हुआ है । आई ए एस हैं तो इतने नोट तो मिलने ही चाहिए । इसे कहते हैं "क्लास" । मतलब "एलीट क्लास" । एक बात बहुत अच्छी लगती है इन आई ए एस अफसरों की , "क्लास" का बहुत ध्यान रखते हैं ये । अपनी अलग पहचान बनाकर रखते हैं ये आई ए एस । हर जगह "आम" लोगों से हटकर नजर आते हैं ये । 20-25 करोड़ रुपए जब किसी के पास नकद हों तो उसके पास सम्पत्ति कितनी होगी, कल्पना ही की जा सकती है । यदि औसतन वेतन 2 लाख रुपए महीने का भी मान लें तो एक साल का कुल वेतन 24 लाख रुपए होगा । 25 साल में कुल वेतन केवल 6 करोड़ रुपए होता है । यदि आधा भी खर्च करें तो बचत केवल 3 करोड़ रुपए की ही होनी चाहिए।

तो सखि, सोचने वाली बात है कि आखिर इतने रुपए कहां से आये ?


तुम्हें पता है सखि कि झारखंड में सबसे ज्यादा मलाई वाली पोस्ट कौन सी है ? अरे पगली , यही तो है जिस पर मोहतरमा पूजा सिंघल थीं । खान विभाग ही एक ऐसा विभाग है जहां खान में से "नोट" निकलते हैं । तुम्हें तो यह भी पता नहीं होगा कि झारखंड में खान विभाग हमेशा मुख्यमंत्री के पास ही रहता है । तो झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास ही है खान मंत्रालय । इस विभाग का सचिव तो कोई "कमाऊ पूत" ही होना चाहिए । तो आई ए एस पूजा सिंघल से ज्यादा कमाऊ पूत और कौन है वहां पर ? तुम्हें मालूम है कि हेमंत सोरेन इकलौते ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने खुद अपने आप को खान आबंटित कर दी । जब सचिव पूजा सिंघल जैसे हों, तो कुछ भी हो सकता है । इसकी शिकायत चुनाव आयोग के पास गई है । जांच हो चुकी है । शिकायत सही पाई गई है । देखते हैं कि चुनाव आयोग कब हेमंत सोरेन को "अयोग्य" घोषित करता है । मतलब हेमंत सोरेन की कुर्सी जल्दी ही जाने वाली है । 


तो हम बात कर रहे थे पूजा की । इस देश में सब लोग पुजारी हैं । कोई किसकी पूजा करता है तो कोई किसकी । कोई "हुस्न" का पुजारी है तो कोई "इश्क" का । कोई "मधुशाला" की पूजा करता है तो कोई "सफेद पुड़िया" की । कुछ लोग भगवान राम, कृष्ण के भी पुजारी हैं तो कुछ लोग "हनुमान" जी के भी भक्त हैं । मगर एक बात सौ प्रतिशत सत्य है कि हर कोई "लक्ष्मी" की पूजा जरूर करता है । ये पूजा सिंघल तो पैदा ही "लक्ष्मी" जी के लिए हुई हैं । तो इन्होंने सारा ध्यान "लक्ष्मी पूजा" पर ही लगा दिया था । तभी तो नोटों का पहाड़ खड़ा कर पाई थी ये । वैसे इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है । देश की गरीबी दूर करने आई थीं न इस सेवा में । तो पहले अपनी गरीबी दूर करेंगी या नहीं ? वही तो कर रहीं थीं बेचारी । गरीबी दूर करना कोई गुनाह है क्या ? लोग बड़े बेकार हो गये हैं यहां के । गरीबी दूर करने पर भी ई डी से पकड़वा देते हैं ।


सखि, विषय तो बहुत हैं तुमसे बतियने के लिए, मगर समय का भी तो ध्यान रखना है ना । और भी तो काम पड़े हैं , उन्हें भी पूरा करना है न । तो अब चलें ? कल फिर मिलते हैं । ओ के । बाय बाय।  



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