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YOGESH KUMAR SAHU

Children Stories

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YOGESH KUMAR SAHU

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पुरखौतिक मुक्तांगन

पुरखौतिक मुक्तांगन

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वार्षिक परीक्षा के पूर्व विद्यालय में एक अद्भुत सा वातावरण बना हुआ था। बच्चों के चेहरे उत्साहित दिख रहे थे और उसका कारण था शैक्षणिक भ्रमण पर जाने की योजना क्रियान्वित होना।

    दिसंबर माह के बाद जनवरी के तीसरे हफ्ते में वार्षिक खेलकूद का आयोजन और तत्पश्चात शैक्षणिक भ्रमण पर जाना तय हुआ। सभी चीजें व्यवस्थित रूप से होने लगी और वो दिन भी नजदीक आ गया जिसका बच्चों के साथ - साथ हम शिक्षक भी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। सभी बच्चों को एक हफ्ते पूर्व ही सारी जानकारियां दे दी गई थी, 28 जनवरी को सभी बच्चे प्रातः 8 बजे पूर्ण तैयारी के साथ विद्यालय में पहुंच गए। विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक और अन्य स्टाफ मेंबर्स ईश वंदना के बाद बस में सवार होकर निकल पड़े पुरखौतिक मुक्तांगन की ओर।

     पुरखौतिक मुक्तांगन छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में निर्मित एक संग्रहालय है जिसमे हमारे राज्य की परंपरा, संस्कृति, जीवन शैली, कला, स्थापत्य जैस विभिन्न विषय वस्तु के जीवंत दर्शन होते है।

      लगभग 3 घंटे के मनोरंजक यात्रा के बाद हम अपने मंजिल तक पहुंच ही गए। बस पार्किंग पर लगवाकर सभी शिक्षक बच्चों को क्रमबद्ध रूप से खड़ा कर टिकट लेने के पश्चात मुख्य द्वार से प्रवेश किए और बहुत ही आनंदपूर्वक वहां मौजूद शिल्पों, मंदिरों के प्रतिकृति, रुद्र शिव की विशाल प्रतिमा से लेकर सिरपुर के लक्ष्मणेश्वर मंदिर का अवलोकन किया। बच्चे बहुत उत्साहित थे,वे वहां झूला भी झूल रहे थे और खूब सारी मस्ती भी कर रहे थे साथ ही साथ अपने राज्य की परंपरा का व्यापक जानकारी भी बटोर रहे थे।

दोपहर 2 से 3 बजे के मध्य विद्यालय प्रबंधन ने सभी के लिए भोजन की व्यापक व्यवस्था की थी जिसका सभी ने भरपूर लाभ लिया। खाने के बाद सभी बच्चे विभिन्न तरह के खेल खेलने लगे उसी में शामिल थी रस्सा खींच जिसमें एक तरफ सारे बच्चे थे तो दूसरी तरफ पूरा स्कूल स्टॉफ। माहौल काफी मनोरंजक था वहां उपस्थित सभी लोग इस दृश्य का भरपूर आनंद उठा रहे थे तभी एक यू ट्यूबर डी के 080 भी वहां पहुंच गए और अपने कैमरे में उक्त गतिविधि को कैद कर लिया। पूरे दिन मस्ती के बाद अब समय था घर वापसी का।

सभी बच्चे पुरखौतिक मुक्तांगन के शानदार यादों को अपने मानस पटल पर धारण करके बसों में बैठ गए और अंताक्षरी खेलते हुए अपने गंतव्य की ओर पहुंचे। सभी बच्चों को उनके निवास तक सुरक्षित पहुंचाने के बाद मैं भी अपने अन्य शिक्षक साथियों के साथ अपने घर की ओर लौट आया। आज काफी वक्त बीत जाने के बाद भी वो यात्रा, वो आनंद के पल चेहरे पर मुस्कुराहट ले आते है।


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