पुराना बचपन
पुराना बचपन
मोलू राजस्थान में पली बड़ी । उसका परिवार वहाँ किराये पर रहता था। जिस घर में वें रहते थे वो एक बहुत पुरानी हवेली थीं , जिसकी मालकिन अकेले वहाँ रहती थी , उनके खानदान मे कोई ओर नही बचा था उनके सिवा ।मोलू दादू कहकर पूकारती थी उन्हें Iमोलू को अपनी दादी से जो प्यार नही मिला था वो उस घर की मालकीन से मिला ।
बचपन मे जब कभी उसे अपनी माँ से या फिर बाबा से डाँँट पड़ती वो जोरो से रोने लगती जबतक दादू उसे बचाने नही आ जाती ।मोलू पढ़ायी मे काफी अच्छी थी उसके सपने बहुत बडे थें उसे डॉक्टर बनना था ।
जब मोलू बारहवीं मे थी तब नवम्बर में उसे पता चला कि अगली साल उसकी परीक्षा के बाद ही वे हमेशा के लिये कोलकाता चले जायेंगे ये सुनकर उसे मानो कोई बड़ा झटका सा लगा हो । उसने बहोत यादें बनायी उस घर की दीवारो पर लिखा की वापिस जरूर आयेगी ' उसे अपना पूरा बचपन पीछे छूूूूटता नजर
आ रहा था मानो ।
आखिर कार वो दिन भी आया वो दादू से लिपट कर बहोत रोयी क्यूूंकि उसे पता था अब घंटो बेठकर उसकी बाते कौन सुनेेेगा ।उसने अपना स्नातक कोलकात्ता की एक बड़़ी कोलेेज से किया । फीर वापिस दादू के पास लौटी , एक साल वहाँ रहकर मेडीकल परीक्ष्षा की तैयारी करीजैसे ही परीक्षा होने वाली थी कोरोना ने दस्तक दी उसने जैैसे तैैसे उन हालातो में भी पढ़ायी की 1
आज वों दादू से तो बहोत दूर है लेेेेकिन उसको एक बड़ेे मेडीकल कॉलेज में दाखिला जरूर मिल गया है लेकिन अभी भी मोलू को एक आशा है कि जब वो बहोत अच्छी बडी डोक्टर बन जायेेेगी तब वो दादू को हमेेेेशा के लिये अपने पास कोलकाता बुला लेगी ।
मुश्किल बस ये है कि समय को बिल्कूूल समय नही लगता करवटे बदलने मेें ' डर इसी चीज का है मोलू को कही समय ओर रहे ही ना तो . . . . . . . . . .