पशु कौन है
पशु कौन है
खड़े खड़े मेरे पैर दुखने लगे हैं। मेरी शाखाएँ कमजोर अकड़ गए हैं। 200 साल पुराने मेरा यह शरीर में और फल देने में समर्थ नहीं है। मेरे पास जितने पत्ते हैं उनसे अधिक कहीं अधिक मेरे पास आँखों देखी घटनाओं का अनुभव है । आज मैं एक ऐसा घटना देखा जो मुझे भावुक कर गया ।जो मुझे एक ऐसा बात की याद दिला गया जो मैं कभी भूल नहीं सकता। जानते हो वह घटना क्या है?यह बात है आज सुबह की जब एक बूढ़ी़ औरत के मर जाने पर उसे श्मशान ले जा रहे थे। और उनके पीछे एक गाय भागी जा रही थी। जानते हो क्यों? क्योंकि वह बूढ़ी उसे अपने पास रखती थी। अपनी बेटी की तरह संभालती थी। प्यार से उसकी देखभाल की थी। तो आज वह बूढ़ी औरत के अंतिम समय में उसे अकेले कैसे छोड़ सकती है?इस घटना ने मुझे इतनी भावुक कर दिया और मुझे एक ऐसा बात की याद दिला गई जो मैं कभी नहीं भूल सकता ।
यह घटना है कुछ दो तीन साल पहले की। जब यहाँ एक हिन्दी भाषा -भाषी एक परिवार आया था। जो कि घो़डा़ गाड़ी चला कर पैसा कमाता था। बोला जाए तो उस परिवार की पूरी जीविका उनके दो घोड़ों पर निर्भर थी। वह दोनों घोडे़ अलग अलग किस्म के थे। एक था सफेद, नौजवान और तंदुरूस्त पर और एक था भूरा, बूढा और कमजोर। एक दिन की बात है। वह बूढा़ घोडा़ बीमार हो गया। उसका पूरा बदन लाल पड़ गया था और उसके मुंह से लार टपक रही थी। उसके मालिक ने उसे देखा पर अनदेखा कर दिया। वह सोचा कि कौन पैसा खर्चा कर के इसका इलाज करेगा और उससे और काम करवाने लगा।
एक दिन वह घोडा़ कमजोर हो कर गिर गया तो उसका मालिक उसे अपने पर एक बोझ समझ कर मेरे पास फेंक दिया। उस रात बहुत तेज बारिश हुई। उस बारिश में तड़पता रहा। उसे देखकर मुझे दया आने लगी लेकिन मैं कर भी क्या सकता हूँ सिवाय देखने के। मैंने सोचा क्या इन्सान इतना कृतघ्न है। जो प्राणी दिन रात मेहनत करके उसे दो वक़्त का रोटी दिलाता था वह उसे अकर्मण्य हो जाने पर बाहर फेंक दिया? क्या यही इंसानियत ,क्या यही है मानवता?यह प्रश्न मुझे परेशान करके रख दिया। सुबह हुआ तो लोगों ने घोड़े को देखा तो उसे थोडा़ खाना पानी दिया। और जब वे लोग उस मालिक के पास गए तो पता चला कि वह परिवार वहाँ से जा चुका था। लोगों ने वन भिवाग कर्मचारियों से संपर्क किया पर उन्होने कहा कि वे बाद में देखेंगें। अब गाँव वाले क्या कर सकते थे। अगले दिन का सूरज उगा तो पता चला कि वह घोडा़ मर गया है। उसे लेने बन वन विभाग के कर्मचारी आए, कुछ मीडिया वाले भी आए। लेकिन क्या यह लोग एक दिन पहले नहीं आ सकते थे । लेकिन वह नहीं आए। उन लोगों ने भी पशुता का उदाहरण दे दिया था। इधर इस गाय ने जो काम किया उस यह मानव ने नहीं किया। आखिरकार जब मैं ने उस मृत घोड़े के मुंह को देखा तो मुझे लगा कि वह बोल रहा है कि "पशु कौन है, मैं या यह इंसान?
