प्रकृति परिचय
प्रकृति परिचय
ज्यों ही वसंत ऋतु का आगमन होता है प्रकृति में एक अनोखा वातावरण हो जाता है। पेड़ पौधों से पत्ते झड़ने लगते हैं और नए हरे हरे पत्ते आने लगते हैं, फूल खिलने लगते हैं, प्रकृति अपना कौमार्य भी बिखेरती है इस प्रकार के परिवर्तन से प्रकृति के प्रति हमारा एक लगाव जुड़ जाता है। प्राचीन समय से ही प्रकृति के प्रति भारतीयों का प्रेम अद्भुत है अर्थात प्राचीन समय से ही भारत देश में प्रकृति को एक उच्च स्थान प्रदान किया गया है। प्रकृति से हमें हर दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तु की पूर्ति होती है। वर्तमान मनुष्य का स्वभाव उग्र होता जा रहा है लेकिन वह एक क्षण के लिए भी प्रकृति के सुरम्य में वातावरण की गोद में चला जाए तो उसका उग्र स्वभाव पल भर में ही नम्र स्वभाव में बदल जाएगा यही हमारे देश की प्रकृति की एक अनोखी पहचान है। प्रकृति के वातावरण में सबसे सुंदर मौसम या यों कहें कि ऋतुओं का राजा वसंत को कहा जाता है क्योंकि वसंत ऋतु के आगमन से ही प्रकृति में सब कुछ नयापन आ जाता है। वसंत ऋतु के आगमन के समय कृषकों के चेहरे पर प्रसन्नता का भाव दिखाई देता है। चिड़िया चहचहाती है ,भंवरे गुनगुनाते लगते हैं ,और पक्षियों का कलरव वातावरण को रमणीय बना देता है। इस तरह का रमणीय वातावरण अन्य ऋतुओं में देखने को नहीं मिलता। इस प्रकार के वातावरण में बैठा मनुष्य जन्नत में बैठा हुआ महसूस करता है। पत्थर दिल मनुष्य भी इस प्रकार के वातावरण को देखकर पिघल जाता है ।
ऊपर लिखे गए शब्दों के माध्यम से इतना तो स्पष्ट है कि वसंत ऋतु का ये पूरा खेल पेड़ पौधों व पक्षियों की गतिविधियों पर अधिकाधिक आश्रित है इसलिए हमें इतना अवश्य सोचना चाहिए कि हमें पेड़ पौधों व पक्षियों के प्रति उदारता का भाव अपनाकर इनकी रक्षा करनी चाहिए और इन पेड़ पौधों को अधिकाधिक संख्या में लगाकर अपनी मन आत्मा को शुद्धि की तरफ ले जाना चाहिए। यूं तो हर ऋतु मनभावन लगती है और हर ऋतु में हम प्रकृति के वातावरण से विस्मृत हो जाते हैं और खुद को प्रकृति से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। जिस समय हम पेड़ पौधों के आस-पास रहते हैं उस समय हमारा मन शून्य की स्थिति में होता है ,कहने का अभिप्राय यह है कि प्रकृति हमें शांत वातावरण प्रदान करके हमारे मन को शांति प्रदान करती है और दिमाग को शून्य करके उसमें कुछ भरने का रास्ता प्रदान करती है।
