इस कविता के बाद मेहमान बड़ी देर तक हँसते रहे,। इस कविता के बाद मेहमान बड़ी देर तक हँसते रहे,।
लेखिका: मरीना द्रुझीनिना अनुवाद: आ. चारुमति रामदास लेखिका: मरीना द्रुझीनिना अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
ख़त आज फिर मुझे एक पुरान दोस्त याद आया है,लिफाफे में ख़त की जगह गुलाब ... ख़त आज फिर मुझे एक पुरान दोस्त याद आया है,लिफाफे ...