Qudsiyah Mustafa

Others

4.8  

Qudsiyah Mustafa

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पंख

पंख

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एक चिड़िया को एक इंसान से मोहब्बत हो गई ।वो इंसान उस चिड़िया का बहुत ख्याल रखता था। वह उसे खाना पानी देता और उसके पिंजरे को एक महफूज जगह रखता, हर बुरे मौसम से बचाता ,वह उसके पास बैठकर घंटों उससे बातें करता । दोनों की तन्हाई एक दूसरे के होने से जैसे खत्म हो गई थी ।वह जब काम पर जाता तो चिड़िया दिन भर दिन भर उसका इंतजार करती। कभी गलती से पिंजरा खुला भी रह जाता तो वह डर के बाहर भी ना जाती, कि कहीं कोई उसे उड़ा कर दूर ना ले जाए । कहीं वापस आने का रास्ता ही न भूल जाए। कभी-कभी मन करता तो थोड़ी धूप अपने पंखों को दिखा लेती और वापस पिंजरे में उसका इंतजार करती ।

         वक्त बीत रहा था, 1 दिन फिर हमेशा की तरह पिंजरे का दरवाजा खुला रह गया। बहुत सर्दी थी और धूप खिली थी। चिड़िया ने सोचा थोड़ी सी धूप मै भी सेक लूं वह अपने पंखों को खोल कर धूप सेंकने लगी। मगर इस बार इंसान वहां गया ।वह चिड़िया को बाहर देख कर बावला सा हो गया। उसने बिना कुछ सोचे समझे चिड़िया के पंख काट दिए ।और बोला मुझे तुम्हारे पंखों को पहले ही काट देना चाहिए था। अगर आज तुम उड़ जाती तो क्या होता। चिड़िया हैरान-परेशान एक टक उसे देख रही थी। वह खामोश सी बेबस यही सोच रही थी कि यह क्या हुआ। चिड़िया रात भर सो नहीं पाई। आज पिंजरे मैं उसका दम घुट रहा था ।कितनी बार पिंजरा खुला रहा मगर वह उड़ न पाई ,उस भरोसे पर जो वह उस इंसान पर करती थी। वह सोचती थी कि वो इंसान भी उस पर इतना ही भरोसा करता है। रात भर सोचती रही मेरी क्या खता थी। इसी तरह रात कटी, दिन निकला और वह इंसान बिना कुछ कहे वहां से चला गया एक बार भी उसने चिड़िया को बेगुनाही साबित करने का मौका नहीं दिया। 

         बेशक चिड़िया उडी़ नहीं । मगर उसे अपने पंखों से बहुत प्यार था उसे फ़ख्र था उन पर जिनपंखों के साथ उसने अपना पूरा बचपन जिया। एक ही पल में किसी ने उन्हें काट कर फेंक दिया। वह पंख जो उसकी ताकत थे।वह पंख जो उसे मजबूत बनाते थे। वह पंख जो बुरे वक्त में उसकी जान बचाते थे। आज वो बेजान सी पड़ी लड़ रही थी, अपने वजूद से ।पंख कटने का दर्द इतना नहीं था जितना कि दिल टुकड़े-टुकड़े होकर बिखरने का। 

         वक्त बीत रहा था और एक दिन वह पिंजरा फिर खुला रह गया चिड़िया ने देखा एक बिल्ला उसकी तरफ आ रहा था। चिड़िया तड़पी ,उसने भागने की कोशिश की, उड़ने की कोशिश की ,लेकिन उड़ ना सकी। कुछ वक्त बात चिड़िया उस बिल्ले की गिरफ्त में थी। तभी अचानक से वहां वह इंसान आ गया ।उसने चिड़िया को बिल्ली के चंगुल से छुटा लिया ,मगर चिड़िया घायल हो चुकी थी। उसकी सांसे अटक रही थीं और वो इंसान उसे मरता हुआ देख रहा था। वह तो चाहता था कि चिड़िया उसे छोड़कर कभी ना जाए कहीं ना जाए। इसीलिए तो उसने उसके पंख काटे थे। लेकिन आज वह पछता रहा था ।सोच रहा था कि अगर आज उसके पंख होते तो उड़ जाती और अपने आप को बचा लेती। मगर आज उसकी एक नादानी ने उस चिड़िया की जान ले ली ।

         तभी अचानक उस चिड़िया ने टूटी सांसो को जोड़कर कहा कि देखो तुमने मुझ पर एतबार नहीं किया पर मेरे पंखों को काट दिया। पिंजरा तो कई बार खुला था ,मगर मैं तुम्हारे पास थी। उस वक्त मेरे पंख भी मेरे साथ थे ।फिर भी मैं तुम्हारे साथ थी । आज मैं तुमसे बहुत दूर जा रही हूं। मुझे मेरे पंख कटने का इतना दुख नहीं है, जितना इस बात का कि जिस इंसान से मैंने प्यार किया बिना किसी शर्त, पिंजरे में कैद रही ।उसी ने मेरे पंखों को काट दिया।आजादी किसी भी रिश्ते की ताकत होती है, और पिंजरा कमजोरी आज तुम हार गए और मैं जीत गयी। मेरे पंख काट कर भी तुम मुझे अपने पास नहीं रख पाए। पिंजरा तो कई बार खुला था, यह कहकर चिड़िया ने अपनी सांसे तोड़ दी ,उसकी बाहों में जिस पर वह एतबार करती थी। 

  « इस कहानी में चिड़िया एक औरत है जो किसी ने किसी पिंजरे में कैद है ।कहीं अपनी मर्जी से तो किसी ने उसके पंख काट रखे हैं ।कहीं जालिम मां-बाप हैं तो कहीं शौहर तो कहीं भाई ।भरोसा एक औरत की सबसे बड़ी ताकत है । इसके सहारे वह किसी से भी लड़ सकती है ।भरोसा एक औरत के पंख है जो उसे उड़ा कर बहुत दूर ले जाते हैं और वापस अपने घर ले आते हैं लेकिन अगर आप उनके पंखों को काट देंगे तो वह इस दुनिया में किसी न किसी दरिंदे के शिकंजे में फंस जाएंगी और उसका बचना बहुत मुश्किल होगा। तो प्लीज उन्हें आजादी दीजिए, पंख दीजिए ,कहीं भी जाएंगी वापस आपके पास ही आएंगी। क्योंकि भरोसा मोहब्बत से भी बड़ा है । और जो मोहब्बत करता है उसे भरोसा भी करना चाहिए। पिंजरे को एक औरत का घर बनाइए ना कि कैदखाना"।

 



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