PRAVESH KUMAR SINHA

Others

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पलटूराम की आत्मा

पलटूराम की आत्मा

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चित्रगुप्त अपनी रजिस्टर के पन्ने इधर से उधर उलट पलट कर देख रहा है । कभी वो अपनी चश्मा के सीसे पोंछता है और कभी वो अपना गंजा सर खुजलाता है। बार बार देखने पर भी कहीं गलती पकड़ में नहीं आ रही थी । बहुत मेहनत करने पर आखिरकार गलती खोज ही लिया और जोर से रजिस्टर पटका जिसके चपेट में मच्छर आ गया। रजिस्टर हाथ में उठाकर बोला "महाराज में सारी रिकार्ड सही है पलटू राम की आत्मा दस दिन पहले अपना शरीर त्यागी है और यमदूत के साथ पृथ्वीलोक से इस लोक के लिए रवाना भी हुआ पर अभी तक उसका आत्मा यहां नहीं पहुंचा।"

धर्मराज करोड़ों वर्षों से असंख्य लोगो को कर्म के अनुसार स्वर्ग और नरक में स्थान देते आ रहे थे। लेकिन ऐसा घटना कभी नहीं हुई थी। यह एक विचित्र घटना थी।कोई अपना शरीर त्यागे और दस दिन में भी यमलोक न पहुंचे। आखिर कौन हैं ये चतुर मानुष ?

धर्मराज चित्रगुप्त से बोले-"और अपना दूत कहां है।" चित्रगुप्त बोला "उसका भी पता नहीं है।" तभी यमलोक का दरवाजा खुलता है और चिलाते हुए दोनों दूत आते हैं महाराज महाराज गजब हो गया। घबराओं नहीं आराम से बालों क्या बात है इतने दिनों से तुम कहां थे धर्मराज बोले।

दोनों दूत मायूस भरे शब्दों में " महाराज हमदोनो के मेहनत पर शक नहीं कीजिए हम पलटू राम का आत्मा को बहुत सावधानी से लेकर आ रहे थे। तभी हमें चकमा देकर उसका आत्मा चंगुल से फरार हो गया। फिर हम दोनों ने सारी ब्रह्माण्ड छान लिया पर कहीं भी नहीं मिला अंत में हमें खाली हाथ लौटना पड़ा।"

"ये तो हैरान करने वाली घटना है धर्मराज बोले देखो तो चित्रगुप्त पलटू राम के कर्म का लेखा जोखा क्या है ?"

चित्रगुप्त रजिस्टर खोलकर देखता है " महाराज पहनावें से तो ये बहुत सभ्य, विनम्र, आदर्शवादी और सभी का शुभचिंतक जान पड़ता है पर....। पर क्या चन्द्रगुप्त....। महाराज कर्म से तो ये दरिंदा से भी बढ़कर है इसने हजारों गरीबों,मजदूरों और असहायों का खून चूसा है इसके नाम कई रेप, हत्या और जुल्म पड़े है। झूठा वादा करके गरीबों पे अत्याचार किया है यहां तक महाराज अपने परिवार को भी ये धोखा दिया है और तो और कुर्सी के लिए तो अपना जमीर भी बेच दिया है। हाल ही में विधानसभा का चुनाव जो होना है और अच्छी पार्टी इसे टिकट देने से इंकार जो कर दिया। ये टिकट के लिए सभी पार्टी से ताल मेल कर रहा था कोई अच्छी पार्टी से इसबार टिकट बस मिल जाय तभी इसका उम्र समाप्त होता है और इसकी ये इच्छा आधुरी रह जाती है। " ये लोग तो बहुत जालिम होते है चन्द्रगुप्त कुर्सी के लिए कुछ भी कर जाते है इन सब ने तो स्वर्ग सी धरती को तो नरक से भी बदत्तर बना कर रख दिया है। इन सबको तो सबक सिखाना पड़ेगा धर्मराज बोले। पर कैसे महाराज। सब सोचने लगे ।तभी नारद जी आते है नारायण नारायण लगता है कोई गहरी सोच मै डूबे है धर्मराज।"

"हां मुनिवर आपको तो सब पता ही है कोई उपाय बताइए । क्या समय है आज तो धर्मराज ही धर्म संकट में पड़ गए है वो भी एक मानव से लगता है पलटू राम का आत्मा अपना आखिरी इच्छा पूरा करके ही आएगा । ऐसे मुझे पता है कि वो कहां होगा।"

"बताइए मुनिवर आपका बहुत उपकार होगा धर्मराज बोले तो चलिए मेरे साथ दोनों फिर पृथ्वीलोक आते हैं।बताइए मुनिवार कहां मिलेगी पलटू राम की आत्मा।"

"तो चलिए जितनी चर्चित राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष है उसके आस पास ही होगा।"

"एक एक करके सभी पार्टी के अध्यक्ष के पास खोजने पर भी नहीं मिलता है। तब फिर सताधरी पार्टी के अध्यक्ष के पास जाते है और पलटू राम के बारे में बात करने लगते हैं।"

कुछ देर बात चीत होने पर अंत में अध्यक्ष बोलते है अगर पलटू राम होता तो हम उस टिकट दे देते पर बेचारा.....तभी पीछे से आवाज आती है "साहब हम अभी तक यहीं है अब तो हमें टिकट दे दीजिए। ये सुनकर नारद हंसने लगते हैं। लीजिए धर्मराज पलटू राम की आत्मा मिल गई। धर्मराज उसे अपने फांस में बांधकर कहते हैं "अब तो तुझे हम अपनी पार्टी से टिकट देंगे" और उसे लेकर यमलोक चल देते हैं।


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