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Dharmendra Mishra

Children Stories Fantasy

3  

Dharmendra Mishra

Children Stories Fantasy

मोती कुत्ता और मरियल लोमड़ी

मोती कुत्ता और मरियल लोमड़ी

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एक बार की बात है, मरियल नाम की एक लोमड़ी थी, इधर - उधर घूमती फिरती, कहीं माल मसाला मिल जाये ,झपट्टा मारती रहती । शेर की वजह से जंगल में ज्यादा कुछ खाने को मिल नहीं पाता था छिप -छिपा कर रुखा सूखा खा कर ही दिन गुजारा चल रहा था ।

एक दिन मरियल ऐसे ही भटकते -भटकते कुत्तों की सभा में जा पहुंची, झूठ की लस्सी चाटने में माहिर मोती नाम का एक कुत्ता था । वो क्या बोलता था किस लिए बोलता था, उसे इसका कुछ भान ही नहीं रहता था। उसे बस मतलब था तालियों और वाह- वाही से।

 मोती अपने अंधे-बहरे कुत्तों को भाषण दिए जा रहा था " अब कुत्तों के दिन आ गये हैं , अब कुत्ते ही राज करेंगे ,जंगल में जो कुछ भी है उसमें सारा हक़ हम कुत्तों का ही है, बचा कुछ सब का है, सही से जिसने मेरी बात न मानी, हम उस पे मनमानी करेंगे, शिकार करेंगे वो भी घेर कर।“

उस सभा में जो अंधे-बहरे कुत्ते थे, मोती की खूब तारीफ की। मोती फूल के गुप्पा हो गया ।

मरियल ने सोचा ये है तो कुत्ता ही जैसे ही थोड़ा पुचकारूंगी खुस हो जायेगा, फिर तो मजे ही मजे, वहीं मडराने लगी जो भी कुत्ता दिखता उसे प्रणाम करती "आरे कुत्ता जी!!!आरे कुत्ता जी !!! मोती जी! में जो बात है वो और किसी में नहीं, शेर भी भींगी बिल्ली है मोती जी के सामने। " मोती के चाटुकारों ने मरियल से " हमारे मोती जी से शेर भी डरता हैं ? कितनी बड़ी बात है, मोती जी को जब ये बात पता चलेगी बहुत खुश होंगे। "

कुत्तों ने मरियल को घेर लिया " मोती जी का भाषण कैसा लगा ?”

सब एक साथ भौंकते हुए "बता…बता । "झपटते हुए “बता नहीं तेरा कान कटा। “

मरियल ने डरते हुए " अद्भुत ! ये तो बहुत अच्छा भौंकता है, ऐसा पहले किसी कुत्ते को भौंकते मैंने तो नहीं सुना । "

कुत्तों ने जैसे ही आँख दिखाई "क्या मतलब भौंकते हैं ? "

मरियल अपनी जुबान निकाल कर कुत्तों को सहलाते हुए " नाराज न हो माई -बाप! जो बात बिना बात, बिना मतलब के कहे उसे भौकना ही कहते हैं। "

कुत्ते, चिढ़ते हुए "लोमड़ी का भी कोई ईमान धरम होता है, चल तुझे अभी सबक सिखाते हैं । "

मरियल को पकड़ कर मोती के पास लेकर गए, मोती से शिकायत करते हुए " महामहिम ! ये बोल रही है, आप भौंकते हैं। "

मोती, मरियल को डपटते हुए " क्यों रे मैं भौंकता हूँ ? "मरियल बिना देरी किए मोती के पाँव सहलाते हुए " हुजूर ! आप कहाँ भौंकते हैं, आपने तो अपनी जाती का यश और गौरव बढ़ाया है, सब जगह आप का ही डंका बज रहा है । "

मोती प्रसन्न होकर मरियल को कमल फूल की माला पहनाई, उसकी पीठ थप-थपाई ,कुछ बोटी फेंकते हुए "जा तू भी ऐश कर। "

मरियल अपनी खीस निचोड़ते हुए " हुजूर! बेवजह के भौंकने को अब बेवजह नहीं कहते,

आप ने ही वजह बताई है, सब आपकी बात मानते हैं। "

मोती गुर्राते हुए "तू नहीं जानती, ये जंगल मेरे भौंकने की वजह से ही है। "

मरियल, मोती के चरणों में अपनी नाक रगड़ते हुए " जानती हूँ हुजूर!!! मगर बांकी जंगलवासी माने तब न ?"

अंधे -बहरे कुत्ते एक साथ भौंकने लगे मरियल को दुलारते हुए " जा पूरे जंगल में मोती जी का डंका बजा, बाकियों को भी बता ये जंगल मोती जी के भौंकने की वजह से ही सुरक्षित है। "

मरियल अपना दुम हिलाते हुए जंगल की तरफ "मोती जी हुके-चुके" करते हुए भागी। मन ही मन प्रसन्न थी, मुफ्तखोरी में ऐसे ही माल-मलाई मिलती रहे मोती तुझे तो अपना बाप बना लूँ।

                                                                                                                


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