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Sangeeta(sansi) Singhal

Children Stories Inspirational

4.0  

Sangeeta(sansi) Singhal

Children Stories Inspirational

मित्र की सलाह

मित्र की सलाह

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रवि अपनी कक्षा का कमजोर और डरपोक डरा सहमा सा बच्चा था। कोई उसके साथ खेलना भी पसंद नहीं करता था। सबको डर था कि इसकी वजह से कही उनकी team हार ना जाए। हर कोई उसे हेय दृष्टि से देखता था। किसी तरह से गिर पड़ कर वो बस पास ही हो पाता था। सभी कक्षा में हिंदी पढ़ रहे थे कि school के principal कक्षा में एक बहुत सुदंर लड़के के साथ आए और बोले "ये बच्चा आज से आपकी कक्षा पढ़ेगा।इसका नाम वंश है। सभी बच्चे वंश को देख कर बहुत खुश हुए। हर कोई उसे अपने पास बैठाना चाहता था।कयोंकि वो सुंदर होने के साथ,साथ ताक़तवर भी दिख रहा था। अगले दिन वो अपनी मम्मी के हाथ से बने बेसन के लडडू लाया और सबको बारी बारी से सबको देने लगा। जैसे ही उसने एक लडडू रवि को पकड़ाया, कक्षा का एक बच्चा बोला " अरे संभाल के, कही कलाई में मोच ना आ जाए". सब ये सुन कर जोर जोर से हंसते लगे। रवि ने सिर झुका कर लडडू ले लिया। अभी खा ही रहा था कि फिर कोई बोला "अरे इसने तो पकड़ लिया? पर भाई खाना जरा....... कही आपका नाज़ुक सा पेट सह ना पाए," फिर से सब हँसने लगे। पर रवि रोने लगा। 

तुम सब अगर अब कुछ भी बोले तो....... ये मेरा दोस्त है वंश सबकी ओर गुस्से से घूरते हुए बोला। " दोस्त वो भी तुम्हारा ?? कब से? कैसे? ", सभी का मुँह आश्चर्य से खुले रह गये। पूरी कक्षा में जैसे सन्नाटा छा गया। रवि का मुँह भी खुला का खुला रह गया। जब सब कक्षा से बाहर चले गए तब डरता डरता रवि वंश के पास आया और बोला " क्या तुम सच कह रहे हो, तुम मेरे दोस्त? "

रवि ने सिर झुका कर बोला "हाँ ।क्या तुम बनोगे मेरे दोस्त??। रवि ने खुशी से वंश का हाथ कस कर प

कड़कर बोला "हाँ। रवि हाथ छुड़ा कर बोला "पर एक शर्त है। " मैं हर शर्त मानूँगा, उतावला होकर रवि बोला। 

तुम्हें मेरी हर बात माननी पड़ेगी। जो सलाह दूँगा follow करना होगा", वंश बोला। सबसे पहले आज से ही मन में सोचना शुरू कर दो कि तुम स्वस्थ हो। शर्त नंबर दो, रोज जल्दी उठ कर सैर पर जाएंगे और थोड़ा सा योगाभ्यास हम मिल कर करेंगे। 

शर्त नंबर तीन एक पाठ याद करके अपनी कॉपी में लिखना और जब मैं आँऊ मुझे सुनाना और मेरा भी सुनना।

शर्त नंबर चार समय से खाना, खेलना पढ़ना (यानी हर काम का एक timetable )।सलाह नंबर पाँच " अरे बस बस !!मै कमजोर हूँ। इतना ही बहुत हैं अभी उसकी चार शर्त पर रोक कर रवि हताशा भरे शब्दों में बोला। तो चलो आज से हम पक्के दोस्त", ये कहते हुए वंश रवि को गले लगा लेता है। अब कोई भी उसको नहीं चिढ़ाता था। रोज सैर और योगाभ्यास से वो बीमार भी नहीं हो रहा था। पढ़ने लिखने में भी काफी अच्छा होता जा रहा था। कक्षा में अब उसके सभी दोस्त थे। अब वोnegative बातें नहीं सोचता था। आज जब उसे अच्छी सेहत और पढ़ाई में अच्छे नंबर लाने पर पूरे school के सामने सम्मानित किया गया तो उसने सभी 

के सामने अपने दोस्त वंश को अपने साथ सम्मान लेने के लिए बुलाया। सभी ने जोर जोर से तालियाँ बजा कर दोनों का स्वागत किया। सभी की जुबान पर एक ही बात थी। हमेशा अच्छी सलाह देने वाला दोस्त बनो और बनाओ। वो शर्त थी या सलाह इस सवाल पर कभी कभी रवि अपने आप से उलझ जाता था। आप बताए सलाह या शर्त??? 

बात तो जीवन सुधारने की है ना! चाहे जो समझो 



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