मिलन की ऋतु

मिलन की ऋतु

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मैं बरसात का भरपूर मज़ा ले के साइकिल चला के घर जा रहा था। कई सारे अनगिनत भावनायें मेरे मन में आ रहा था। उस दिन बारिश ज्यादा तेज़ नहीं थी। मैं भीग कर कॉलेज से घर आ रहा था लंच के टाइम पर। मुझे इस बात की ज्यादा ख़ुशी थी के मैं जानबूझकर घर पर ही छाता छोड़ आया था। आते वक़्त देखा की एक ३ या ४ साल का छोटा सा बच्चा बारिश में भीग के बहुत ज़ोर से रो रहा है। मैं अपने साइकिल को रास्ते के पास छोड़ के उसके पास आया। मैंने चारों तरफ देखा। वहां पर कोई भी नहीं था। मुझे देख के वो बच्चा और भी ज़ोर से रोने लगा। मैंने उसको धीरे से जाके अपने बाँहों में उठाया। उसको इधर उधर की बातें कर के समझाने लगा। वहां पर एक बस स्टॉप था। बच्चे को लेकर मैं वो बस स्टॉप के नीचे चला गया। काफी देर तक भीगने के वजह से बच्चा थोड़ा सा ठंडा पड़ गया था। वहां पर मैं आधा घंटा रुका। देखा कोई उस बच्चे को लेने नहीं आ रहा है तो मैं उसको अपने घर पर ले गया। 


मेरी माँ उस बच्चे के बारे मेरे में मेरे से सब कुछ सुन लेने के बाद वो मुझसे उसको ले गयी और खाना पीना देने के बाद उसको सुला दिया। माँ बोली जिसका बच्चा है वो उसको मिल जाना चाहिए। वो मुझे पुलिस को खबर देने के लिए बोली। मैं अपना लंच ख़त्म  कर के कॉलेज के लिए जाते वक़्त पुलिस स्टेशन में उस बच्चे की मिसिंग की कम्प्लेन लिखवाया। कॉलेज के लिए थोड़ा देर हो चुका था। मैं अपनी साइकिल को ज़ोर से भगा रहा था। मैं कॉलेज में जाके देखा की प्रिंसिपल की चैम्बर के आगे भीड़ लगी हुई है। मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। क्या हुआ है जान ने के लिए दरवाज़े के पास जा कर झाँका। मैंने देखा की हमारी हिस्ट्री की टीचर कविता मैडम प्रिंसिपल के सामने बैठ कर रो रही थी। मैं माजरा क्या है सुनने की कोशिश किया। पता चला की उसकी ४ साल का बेटा मुन्ना आज दोपहर से ग़ायब है। उसने बच्चे को कामवाली आया के पास छोड़ के आयी थी । लेकिन वो बाई किसी को बिना बताये ही बच्चे को अकेला छोड़ के बारिश आने की वजह से घर चली गयी थी। कविता मैडम ज़ोर से रो रही थी। कॉलेज के सारे टीचर्स वहां पर जमा हो गए थे।

उसी वक़्त मैंने ज़ोर से आवाज़ लगाया मैडम मुझे एक ४ साल का बच्चा आज जाते वक़्त रास्ते में मिला है। यह सुन कर कविता मैडम भाग के मेरे पास आयी। और मेरे दोनों हाथ को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। मैंने उनको समझाया और बोला की एक बार मेरे घर चल कर देख लीजिए वो आप का बेटा है या नहीं। तुरंत प्रिंसिपल ने उनका कार निकला और हम तीनों को बिठा के मेरे घर ले गए। मेरे घर के सामने जाके गाड़ी रुका। हम तीनों घर में दाखिल हुए तो देखा की वह बच्चा मेरे माँ के साथ हँस हँस के खेल रहा था। कविता मैडम ने जैसे ही उसको देख के मुन्ना कह कर उसको बुलाया। वो बच्चा अपने माँ को देख कर दौड़ा चला आया और अपने माँ को गले लगा लिया। दोनों माँ और बेटे कुछ समय तक ऐसे ही एक दूसरे को गले लगा के रोते रहे। मेरी माँ, प्रिंसिपल,और मेरी आँखों में भी आँसू आ गए थे I वह माँ और बेटे का मिलन देख के उस वक़्त मुझे एहसास हो रहा था की सावन के महीना को क्यों मिलन की ऋतु कहा जाता है।    



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