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pooja Singh

Children Stories Drama

3  

pooja Singh

Children Stories Drama

मासूम लड़की अवनी

मासूम लड़की अवनी

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 कोलकता 

यह कहानी एक लड़की है जो बहुत ही मासूम सी दिखने वाली उसका नाम अवनी था अवनी नवमी कक्षा में पढ़ती थी अवनी बहुत सुन्दर थी अवनी को दुनियादारी की समझ नहीं थी अवनी केवल अपने परिवार तक ही सीमित थी। 


 वो अपने माता-पिता और दादी और दो बहनों के साथ कोलकता में रहती थी वह बच्चों से बहुत प्यार करती थी और बच्चे उससे वह पूरे दिन खेलती रहती थी अवनी बहुत हंसती रहती हंसते हंसते जमीन पर लेट जाती थी वो अपने पापा और दादी की लाडली थी उसकी दादी बाहर नौकरी करतीं थीं। 


उसके पापा शराब पीते थे और उनकी माँ को मारा करते थे उनकी माँ देवी संतोषी माता की पूजा करती थी माता के मंदिर जाती और व्रत कथा करती थी। 


अवनी के पापा शराब में सारे पैसे खर्च कर देते थे और सारा खाना कूड़े में फेंक दिया करते थे सब पूरी रात भूखे रहते थे। 


कभी कभी पड़ोसी खाने को दे देते थे एक दिन अवनी अपने दोस्तों के साथ बाहर खेल रही थी और उनकी माँ घर में काम कर रही थी अचानक अवनी सीढ़ियों से नीचे गिर गई अवनी के पापा अवनी से बहुत प्यार करते थे इसलिए उन्होंने अवनी की माँ को बहुत मारा ओर कहा कि तू पूरे दिन कहा रहती है पूरे दिन क्या करती हैं जो बच्चे नहीं सम्भलते।


अवनी के पड़ोसी अवनी को होस्पिटल ले गए अवनी ठीक होकर अपने घर आ गई अवनी की दादी बहुत परेशान थी अपने नालायक बेटे से अवनी की दादी ने उसके पापा को बहुत ङाँटा और कहा कि सब को इतना परेशान करना ठीक नहीं है ईश्वर से तो डर बेटा, अवनी के पापा ने कहा कि कौन ईश्वर माँ मैं किसी ईश्वर को नहीं जानता और वहां से चले गये अवनी के पापा के ग़लत और बिगड़े हुए दोस्तों के साथ रहकर अवनी के पापा और बिगड़ने लगे अवनी विद्यालय जाती और अवनी का कक्षा में भी मन नहीं लगता था। अवनी एक दिन कक्षा में रोने लगी उसको टीचर ने रोते हुए देखा और कहा कि क्यूँ रो रही हो अवनी ने टीचर को सारी बात बताई टीचर ने अवनी की मदद की कपड़े दिये पैसे दिये और खाना दिया और अपना मोबाइल नम्बर दिया ओर कहा कि जब भी तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे फोन करना वो अवनी की मदद करती रहती थी अवनी की दो बहने थी बड़ी बहन कानता अवनी को पसंद नहीं करती थी छोटी बहन खुशी अवनी को बहुत प्यार करती थी खुशी अवनी के लिए कान्ता से लड़ाई भी कर लेती थी। 


कानता सबसे कहती कोई मुझसे प्यार नहीं करता सब खुशी और अवनी से प्यार करते है अवनी दादी के लिए खाना बनाती। और दादी के कपड़े धोती अवनी बहुत प्यार करती थी दादी से और दादी अवनी से  


 अवनी के पापा को फिल्म देखने का बहुत शौक था जब वह शराब नहीं पीते थे तो फिल्म देखने जाते थे एक दिन सब फिल्म देखने जा रहे थे अचानक से कान्ता अवनी से लड़ाई करने लगी, भोली और सीधी मासूम लड़की रोने लगी तभी खुशी ने कहा मेरी बहन को रूला क्यूँ  रही है उनकी माँ दोनों को शान्त कराया। 


अवनी की दादी श्री विष्णु भगवान जी को बहुत मानती और पूजा पाठ किया करती थीं एकादशी के दिन व्रत करती थी और नौकरी भी करती। एक घर ही तो था वो भी अवनी के पापा बेचने की तैयारी कर ली अवनी ने विद्यालय से आते समय देखा कि उसके पापा किसी से घर बेचने के बारे मे बात कर रहे थे तभी तुरंत जाकर अवनी ने अपनी माँ को सारी बात बताई तभी तुरंत जाकर अवनी और उनकी माँ अवनी के मामा को बुला कर ले आईं और घर बेचने से बचा लिया। 


 एक बार अवनी की माँ को उसके पापा ने कान काट दिया और बहुत मारा अवनी की माँ का नाम शीला था और पापा का भगतसिंह था एक पड़ोसी ने कहा कि शीला तू अपने पति को मुँह तोड़ जवाब दे अत्याचार सहन करना गलत है में तो कहती हूँ छोड़ दें अपने पति को। 


तब शीला ने पड़ोसी की बात मान ली और पुलिस स्टेशन चली गई अपने पति के खिलाफ एफ• आई• आर करवाई और दो दिनों के लिए अरेस्ट करवा दिया दो दिनों के बाद जब पुलिस ने वाॅरनिंग देकर छोड़ दिया। 


 कान्ता घर का कोई काम नहीं किया करती थी सारा काम अवनी और खुशी करती थी अवनी के एक टेलिविज़न भी नहीं था वो पङोसी के घर टेलिविज़न देखने जाते थे अचानक से अवनी की दादी का एक पाँव खराब हो गया था अब दादी का नौकरी पर जाना और मुश्किल हो गया था अवनी के पापा की आदत अब भी नहीं सुधरी वो शराब पीकर आया और शीला को मारने लगा अवनी दूर खङी होकर रोने लगी उसके अवनी ने अपनी टीचर को सारी बात बताई की मेंरे पापा मेरी माँ को बहुत मारते हैं अवनी टीचर के साथ पुलिस स्टेशन चली गई अपने पापा के खिलाफ एफ• आई• आर करवाई और जेल में बंद करा दिया टीचर ने अवनी को प्यार करते हुए कहा कि बहुत साहसी और समझदार लड़की है अवनी और कहा शाबाश। 


कान्ता को अच्छा नहीं लगता था जब कोई अवनी को प्यार करता शाबाश कहता पर दादी बहुत खुश थी अगले दिन अवनी की परीक्षा का रिजल्ट आने वाला था अवनी इंतजार कर रही थी अगले दिन अवनी विद्यालय गई तो टीचर ने बताया कि अवनी तुम 1st आई हो बधाई हो अवनी ऐसे ही अपना और अपने परिवार का नाम रोशन करती रहना अवनी की माँ ने अवनी के 1st आने की खुशी में खीर बनायी। 


अवनी के मामा के बेटे की शादी थी अवनी के मामा शादी में आने के लिए इनवाईट करने आए थे और अवनी को 1 महीने पहले ही अपने घर ले गये पर मामी जी बहुत ताने देतीं थी और परेशान करती और घर का सारा काम किया करती थीं और शादी की तैयारी में मदद कर रही थी छोटी बच्ची खाना बनाती कपड़े धोती बर्तन साफ करती, भाई की शादी पर अवनी के पास अच्छे कपड़े भी नहीं थे पर करे भी तो क्या करें अवनी की दादी ने अवनी को नए कपड़े दिलाए अवनी ने दादी को धन्यवाद कहा अवनी की माँ और अवनी ने बरात में बहुत मस्ती की। 


कुछ दिनों में दोनों घर आ गए और अवनी ने अपनी माँ को सारी बात बताई,उनकी माँ ने कहा हमारा कोई भी नहीं है इसलिए हमारे साथ ऐसा होता है अवनी बहुत उदास रहती थी कि हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ सबके जीवन में परेशानी होती है एक महीने बाद अवनी के पापा घर आ गए उनहोंने खाना खाया और सो गए बेचारी दादी नौकरी करके घर आ गई और अवनी ने दादी कहा दादी पापा आ गए दादी ने कहा कि बेटा अगर इसने इस बार कुछ करा तो मैं कुछ करूँग तु परेशान मत होना मेंरी बच्ची शीला भी डरी हुई थी बोली माँ अब क्या होगा दादी बोली सब कुछ ठीक हो जाएगा शीला संतोषी माता से प्रार्थना कर रही थी कि उसके पति जो गलत आदत है वो निकाल दे और उन्हें एक अच्छा इंसान बना दे एक नौकरी दे दे 

नौकरी का पहला दिन शीला ने टिफ़िन पैक कर दिया ।

माँ ने सुन ली और सरकारी नौकरी लग गई सरकारी नौकरी लगने की खुशी में भगतसिंह जलेबी, रसगुल्ले, गुलाब जमुन, समोसे, छोले भटूरे लेकर आऐ और कुछ महीने बाद अवनी की दादी का स्वर्गवासहो गया था अब दादी के शव को कोई ले जाने वाला भी नहीं था और भगतसिंह तो शराब पीकर आया और सौ गया था अब शीला और अवनी क्या करें वह और खुशी तुरंत ही अपने माता मामी, बुला फूफा ,और मोसी मोसा , सबको बुला लाईं उनहोंने और पड़ोसी के साथ मिलकर दादी का दाह संस्कार किया गया अवनी बहुत रोने लगी अवनी के पापा शराब में सारी सैलरी शराब पीकर खर्च कर देते थे 

शीला बहुत परेशान थी अपने परिवार क्या खिलाएं ऐसे में शीला खुद ही निकल गई काम करने वह कोटियों में बर्तन साफ करती थी और बच्चे संभालती और घर का सारा काम किया करती थीं और उन्हें 11 हज़र रूपये मिलते थे और एक दिन जब शीला को भगतसिंह ने मारा और उस दिन के बाद शीला ने भगतसिंह को छोड़ दिया और कहा अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती हूँ।  

एक बार शीला अवनी को विद्यालय छोड़ने आई तो उनकी टीचर ने पूछा क्या हुआ है ये सब तब शीला ने टीचर को सारी बात बताई की हमारे अलग होने के शुरुआती दिनों में मुझे अक्सर यह ख़्वाब आता कि हम फिर से एक हो गए हैं और पांचों एक साथ रहने लगे हैं.

कभी-कभी मुझे डर लगता कि कहीं किसी दिन वो लौट आए और मुझसे मेरी बेटी को ना छीन ले.

जब हम साथ रहते थे तो हम अपनी बेटी की ज़िम्मेदारियों को आपस में बांट लेते थे, लेकिन अब तो सारी ज़िम्मेदारियां मुझे अकेली को ही निभानी थीं.जब भी कोई मुझे बुरा-भला कहता तो वह हमेशा मेरा बचाव करती, जब मैं परेशान या हताश होती तो मेरा हौसला बढ़ाती.

कुछ साल पहले मेरा बहुत ख़तरनाक एक्सिडेंट हुआ और मुझे बहुत गंभीर चोटें आईं. जब मैं अस्पताल में और उसके बाद घर में इन चोटों से उभर रही थी तब मेरी बेटी मेरा सहारा बनी।

वह मेरी दवाओं का ख़याल रखती, हमेशा मेरे साथ रहती।

इतना ही नहीं वो मेरी मां की बीमारी का ध्यान भी रखने लगी. मेरी मां को डायबिटीज़ की बीमारी है तो वह उन्हें डॉक्टर के बताए अनुसार इन्सुलिन की डोज़ देती।

मुझे कई लोगों ने दूसरी शादी करने की सलाह दी, लेकिन मेरे लिए अपने पति को भुला पाना उसके साथ तलाक़ को भुला पाना आसान नहीं था। आख़िर हमारी अरैनज मैरिज हुई थी।

अब मेरी बेटी अवनी 13 साल की हो गई है और खुशी 10 साल की है और कान्ता 16 की हो गई है मेरे माता-पिता चाहते हैं कि अब वो मेरे साथ बाहर ज़्यादा घूमने ना जाए क्योंकि अगर घूमने के दौरान उसे माहवारी हो गई तो शायद मैं उसे संभाल नहीं पाऊंगी।


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