माँ
माँ
मधु अपने कमरे से बाहर निकली पूरा घर शांत नजर आ रहा था। मधु एक बार दीवाल घड़ी में टाइम देखि दो बज रहे थे। जिसे देख वह दिल में बोली
“सारे घर वाले कितने सुकून से सो रहे हैं बस एक मेरी ही सुकून कही चली गई।” फिर वह गहरी साँस ली और एक कमरे का दरवाजा खोली। कमरे में हल्की रौशनी थी जिस वजह से उसे वहाँ सब कुछ नजर आ रहा था। मधु धीरे कदमों से बेड के पास आई और बेड पर बैठ गई और झुक कर जो सोई थी उसका सर चूम ली तो वह अपना हाथ बढ़ाकर मधु को पकड़ फिर वापस से सो गई। मधु एक टक उसे देखती रही। ये माही हैं मधु की बेटी जो डॉक्टर बनना चाहती हैं और दिन रात मेहनत कर इण्डिया के सबसे अच्छे युनिवरसिटी में सलेक्ट होना चाहती हैं और पिछले दो किशिश में वह कामियाब नहीं हो पाई थी और यह उसका आखरी मौका था। माही से ज्यादा मधु की ये चाहत बन गई हैं की माही सेलेक्ट हो जाये। वह यह भी जानती हैं की इस पढ़ाई में ढेरो पैसे लगेंगे जो हर मध्यम वर्ग के लोगों के बस की बात नहीं होती हैं, लेकिन फिर भी वह आपनी बेटी को ये ख़्वाब देखने से नहीं रोक पाई और इसी की वजह से मधु की नींद चैन गायब हैं इस डर से की कही उसकी लाडली का पहला देखा ख़्वाब ही न टूट जाए। जितने पैसे की जरूरत हैं उनमें ये असमर्थ हैं और यही बात मधु की नींद सुकून और चैन उससे कोसो दूर लेकर चली गई हैं मधु माही के बगल में लेटती हुई बोली
“माही।”
“हूँ।” माही अपनी आँखें बंद किये ही बोली
“आप सोई नहीं अभी तक ?”
“नींद ही नही आ रही हैं।”
“कोई बात नहीं मैं आपको सुला देती हूँ।” बोलती हुई मधु अपनी उँगलियों को उसके बालों में फिराने लगी तो माही बोली
“आप क्यों नहीं सोई अभी तक ?”
“मुझे भी नींद नहीं आ रही थी तो सोचा अपनी प्यारी बेटी के पास ही चलती हूँ और वही अपनी माही से बातें करती हुई सो जाउंगी।” मधु की बात सुन माही मुस्कुराने लगी और मधु की बाहों पर अपना सर रख उसकी तरफ देखने लगी। मधु एक बार फिर से उसका सर चूमी और बोली
“बेटा आपको अपनी माँ पर यकीन हैं ?” मधु की बात सुनकर माही की आँखों में हैरानी फ़ैल गई जिसे देख मधु बोली
“बेटा आप कुछ मत सोचिये बस अपनी दिल की बात बोलिए।” मधु की बात सुन माही बोली
“इस दुनिया में अगर मैं किसी पे अपनी आँखें मूंद यकीन करती हूँ तो वह आप हैं आपसे ज्यादा यकीन मैं किसी पे नहीं करती हूँ।” माही की बात सुन मधु शरारत से बोली
“एक बार सोच लीजिये अगर पापा को पता चला तो फिर......|” बोल वह मुस्कुराने लगी तो माही उसे अपनी बाहों में भर उसको चूम कर अपनी आँखें बंद करती हुई बोली
“फिर कुछ नहीं और हाँ आपके पास होने से मुझे नींद आ रही हैं तो मैं सो रही हूँ गुड नाईट।” बोल वह अपनी आँखें बंद कर ली तो मधु उसका सर चुमते हुए बोली
“गुड नाईट मेरी परी।” और उसके बालों में अपनी उंगली फिराते हुए अपने दिल में बोली
“और मैं आपसे वादा करती हूँ की आपका यकीन कभी भी टूटने नही दूंगी।” और वह अपनी आँखें बंद कर ली।
...............
माही की जब आँख खुली तो सुबह हो चुकी थी वह बिस्तर से उतरते हुए बोली
“जब पास में माँ होती हैं तो सारी परेशानी भूल जाती हूँ और इतनी अच्छी नींद भी आती हैं।” वह अंगराई ली और फ्रेश होने चली गयी। कुछ देर बाद वह अपने कमरे से बाहर आई तो अपने पापा को देखि और उनके पास आ गई उसे देख मोहित मुस्कुराते हुए बोला
“तो हमारी परी उठ गई।”
“हाँ पापा, लेकिन आप कुछ परेशान से लग रहे हैं।”
“हाँ ये सुबह-सुबह आपकी माँ कहाँ चली गई।” उनकी बात सुन माही मुस्कुराते हुए बोली
“अच्छा माँ नहीं मिल रही हैं इसी वजह से आप परेशान हैं चलो कभी तो वह आपको परेशान कर पाई इस बात के लिए मुझे ख़ुशी हो रही हैं।”
“हूँ आज कल देख रहा हूँ आप कुछ बड़ी लगने लगी हैं मेरा साइड छोड़ अपनी माँ के साइड चली गई हैं और मुझे परेशान करने लगी हैं।”
“परेशान और मैं नहीं पापा मैं तो मासूम सी बच्ची हूँ।” माही बोली तो मोहित मुस्कुराते हुए बोला
“तो हमारी मासूम सी बच्ची क्या मुझे एक कप चाय पिलाएंगी ?”
“जी पापा बस पाँच मिनट में मैं आपके लिए चाय लाती हूँ।” बोल वह चली गई तो मोहित धीरे से बोला
“ये मधु सुबह-सुबह कहाँ चली गई कुछ बताया भी नहीं की कहाँ जा रही हैं।” तभी उनकी माँ वहाँ आई और बोली
“मधु हैं ही एसी एकदम लापरवाह उसे किसी की फ़िक्र नहीं हैं बस अपनी मनमानिया करती रहती हैं।”
“माँ ऐसा नहीं हैं।”
“हाँ तुम सही बोले वो तो तुम्हारी छूट का नतीजा है और मेरी एक बात अपनी कान खोल कर सुन लो एक दिन तुम्हारी पत्नी पूरे खानदान की नज़रें नीचे करवाएगी और तुम किसी के सामने अपना मुंह दिखाने के लायक नहीं रहोगे।” वे गुस्से से बोल रही थी तभी मोहित की नजर माही पर पड़ी जो चाय लेकर वहाँ आई थी और अपनी दादी की बात सुन वही रूक गई थी। मोहित ने देखा उसकी आँखें झिलमिला रहे हैं तो वह उसके पास आये। माही चाय का कप उन्हें पकराते हुए एक बार उनकी तरफ देखि और बड़ी ही तेजी से अपने कमरे की तरफ चली गई। मोहित बेबसी से माही को जाते हुए देखा और उसके आँखों से ओझल हो जाने पर दुखी होकर अपनी माँ की तरफ देखा तो वह नाराजगी से मोहित की तरफ देखि फिर गुस्से से बुदबुदाती हुई अपने कमरे में चली गई। मोहित वही खड़ा बहार के दरवाजे की तरफ देखा और चाय पीने का मन तो नहीं कर रहा था लेकिन, माही बनाकर लायी थी तो वह अपने होठों से लगाकर एक सिप लिया और अपने कमरे की तरफ चला गया।
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माही का मूड बिगड़ गया था तो वह अपने कमरे से नहीं निकली। मोहित भी उसे परेशान नहीं किये ये सोच कर की कुछ देर में मधु आ जायेगी तो माही का मूड ठीक हो जाएगा इसी लिए वह दरवाजे के बाहर से ही ये बोल कर चले गये की “मैं आफिस जा रहा हूँ।” माही अपने कमरे मे बैठी अपनी किताबे पढ़ रही थी तभी उसकी नजर घड़ी पर पड़ी।
“माँ घर आई या नहीं शाम हो गयी हैं और अगर वे आ गई होती तो इतनी देर मुझे भूखे नहीं रहने देती तो क्या वे अभी तक घर नहीं आई।” ये सोच वह घबरा कर अपने कमरे से बाहर आई तो सामने अपनी दादी को बैठे देखि उनसे नाराज थी सुबह से तो उनसे न पूछ सीधे मधु को ढूंढती हुई उसके कमरे में आई, लेकिन मधु को न देख वापस बाहर आ गई।
“कही भी ढूंढ लो नहीं मिलेगी तुम्हारी माँ।” माही को कमरे से निकलते देख उसकी दादी बोली तो वह उनकी तरफ देखि
“मुझे घूरने से सच बदल नहीं जाएगा तुम्हारी माँ हमेशा से लापरवाह हैं और उसका परिणाम ये हैं की सुबह से भूखी बैठी हूँ।” उनकी बात सुन माही को और गुस्सा आ गया और वह किचन की तरफ चली गई और कुछ देर में उनके लिए खाना लेकर आई और उनके आगे में रख उनकी तरफ एक बार गुस्से से देखि और अपने कमरे में जाने लगी तो उसके कानों में फिर से उनकी बात आई वह बोल रही थी।
“पता नहीं मोहित को उस लड़की में क्या नजर आया की उसे मेरे सर पर लाकर रख दिया कितना समझाया था की जो कभी खुद माँ को नहीं देखि किसी परिवार में नहीं रही वह क्या किसी परिवार का ख्याल और इज्जत बनाये रखेगी कभी माँ को देखि होती तो उससे उम्मीद कर भी सकती थी की वह माँ बनकर अपनी बच्ची का ख्याल रख.........|”
“मेरी माँ दुनिया की सबसे अच्छी और सबसे ज्यादा ख्याल रखने वाली हैं।” उनकी बात सुन माही बीच में ही गुस्से से बोली तो वह खाना खाते हुए ही बोली
“वह तो मुझे भी दिख रहा हैं कितना ख्याल रखती हैं सुबह से भूखी हो और उससे ये भी नहीं हुआ की कुछ बनाकर ही जाए.....” उनकी बात सुन माही उनके पास वापस आई और बोली
“दादी अभी आप जो खा रही हैं ये उन्होंने ही बनाकर रखा था मैंने तो बस गर्म कर आपको दिया हैं मेरी माँ लापरवाह नहीं हैं।” गुस्से से अपने कमरे की तरफ चली गई और मोहित को फोन कर ये बता दी की मधु अभी तक घर नहीं आई हैं। उसकी ये बात सुन मोहित घबरा कर घर के लिए निकल पड़ा और कुछ ही देर में घर पहुंचा और माही के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए बोला “माही बेटा बाहर आइये।” उसकी आवाज पर माही बाहर आई सामने मोहित को देख घबरा कर बोली
“पापा माँ का फोन बंद है।”
“बेटा परेशान नहीं होते बस जरा मधु की डायरी ढूंढने में मेरी मदद करिये क्योंकी वे अपने सारे दोस्तों और रिश्तेदारो का नंबर उसी में लिखती हैं। मुझे मिल ही नहीं रही हैं।” मोहित की बात सुन माही अपने कमरे से बड़ी जल्दी में मधु के कमरे की तरफ भागी और कमरे में आई तो हर तरफ सामान बिखरा देख समझ गई की मोहित कोशिश करके थक गया और न मिलने पर उसकी मदद माँगा। माही आगे बढ़ी और बिस्तर के पास वाले टेबल के दराज़ को खोली और उसमें से एक डायरी निकाल मोहित की तरफ बढाई मोहित उसके हाथ से ले नंबर निकाल किसी को फोन किया माही मोहित की तरफ देख रही थी।
“हेलो भाभी मधु आपके घर से अभी तक निकली नहीं।” तो उधर से जवाब मिला की मधु आज उनके घर नहीं आई हैं तो मोहित ये बोलकर की शायद किसी दोस्त के घर चली गई होगी कॉल काट दिए और फिर एक के बाद एक फोन करते चले गये लेकिन हर जगह बस एक ही जबाब उसे मिल रहा था की मधु उनके घर नहीं आई हैं और ये जवाब मोहित और माही को जहाँ घबरा रहा था वही मोहित की माँ का गुस्सा मधु पर बढ़ा रहा था।
“सुबह जब मैंने बोला था तो बहुत ही बुरा लगा था तुम दोनों को अब क्या हुआ अब क्यों परेशान हो रहे हो ? एक दिन तो ये होना ही था पिछले दस दिनों से मैं उसकी चाल देख रही थी किसी से फोन पर बातें करते लेकिन जब तुम्हे बताया तो तुम मुझे ही समझाने लगे थे की मुझे गलत फहमी हुई हैं अब भुगतो।” मधु मोहित की पसंद थी एक रिश्तेदार की शादी में जब मोहित गया तो मधु को देखते ही उसके दिल में मधु के लिए एक इमोशन बन गया उसका चुप-चुप रहना किसी भी बात का बड़े ही धीरे से जवाब देना पता नहीं चला मोहित को और वह अपने माँ-पापा के सामने मधु से शादी करने का प्रस्ताव रख दिया माँ तो ये बात सुन बवाल मचा दी, लेकिन उसके पापा उसका साथ दिए और मधु उसकी जिंदगी में शामिल हो गई। मोहित मधु को अपना बना कर जितना खुश था उसकी माँ उतनी ही दुखी और मोहित जहाँ मधु को दुनिया की हर खुशियाँ देने की कोशिश करता रहा था वही उसकी माँ मधु को दुनिया भर के ताने सुनाती आई थी। मधु कितनी भी कोशिश करती की वे उसके कामों से खुश हो वे उतनी ही नाराज होती चली गई जो मोहित के साथ-साथ बाकियों को भी बुरा लगता लेकिन वे कुछ कर नहीं पा रहे थे और आज तो मधु ने कुछ गलती कर दी थी तो आज तो वे अपनी इतनी बरसों की तम्मना जी भर कर पूरी करने में लगी हुई थी जिससे परेशान होकर मोहित बोला
“बस माँ अभी और कुछ मत बोलिए अभी मुझे मधु को ढूंढने दीजिये।” बोल मोहित घर से बाहर चला गया और माही बाकी के लोगों को कॉल करने लगी।
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मोहित पुलिस के पास गया तो वही चौबीस घन्टे बाली बात सुनने को मिली। मोहित आस-पास के अस्पतालों में एक्सीडेंट के केस में भी ढूंढा लेकिन वह नहीं मिली चार हॉस्पिटल में ढूंढ कर वह जब पांचवे में आया तो उसे बताया गया की आज सुबह किसी की एक्सीडेंट में मौत हुई हैं तो वह थोड़ा घबरा गया क्योंकी जहाँ ये घटना हुई थी वह जगह उसके घर के पास ही हैं। तभी एक वार्ड बॉय मोहित के पास आया और बोला “सर चलिए आप अपनी वाइफ की.....|” उसकी बात सुन मोहित उसे घूर कर देखा तो वह चुप हो गया मोहित किसी तरह हिम्मत कर उसके साथ चला गया उसका हर कदम बड़ी ही मुश्किल से उठ रहे थे और दिल से यही दुआ निकल रही थी की उस कमरे में मधु न हो
“सर आप देख लीजिये।” वह बोला तो मोहित एक बार उसे देखा और फिर आगे बढ़ गया और धीरे-धीरे कदमों से वहाँ पहुंचा उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी की उसके ऊपर से चादर हटाकर देखे उसकी हाल समझ वह वार्ड बॉय आगे बढ़ा और धीरे से चादर हटाया तो मोहित के दिल ने बोला
“नहीं मेरी मधु नहीं हैं।” और वह बड़ी ही तेजी से वहाँ से बाहर चला आया। सारे जगह ढूंढकर वह थक गया रात से सुबह हो गई, लेकिन मधु उसे कही नहीं मिली और चौबीस घन्टे हो जाने की वजह से पुलिस ने भी मोहित की कंप्लेंट लिख लिया और उसे यकीन दिलाये की बहुत जल्द वे उसकी मधु को ढूंढ निकालेंगे। मोहित पुलिस स्टेशन से घर के लिए निकल गया।
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“क्या इंतज़ार कर रही हो अब तुम्हारी माँ कभी नहीं वापास आएगी।” वे कड़वी जुबान में बोली उनकी बात सुन माही दुखी होकर बोली
“दादी आपको मेरी माँ नहीं पसंद हैं तब भी आप ये बात मत बोलिए वे आपकी बहु हैं तो वे मेरी माँ हैं और शायद आपको भी पता होगा की बच्चे के लिए उसकी माँ क्या होती हैं।” माही की बात सुन वे कुछ नहीं बोली तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो माही अपने आँसू साफ़ करती हुई दरवाजा खोली तो सामने मोहित को देख बोल पड़ी
“पापा माँ मिली आपको ?” मोहित नहीं में अपना सर हिलाते हुए मायूस सा अन्दर आया। माही उसके पीछे अन्दर चली आई।
“मैं बोलती हूँ वो.........” तभी माही अपनी आँसू भरी आँखों से उनकी तरफ देखि तो वह चुप हो गई एक तो मधु का कही पता नहीं चल रहा था और ऊपर से उनकी कड़वी बातें मधु के लिए। माही परेशान हो रही थी।
“पापा माँ कहाँ हैं किस हाल में हैं कुछ मालुम नहीं चल रहा हैं।” माही बोली तो मोहित उसकी तरफ बेबसी से देखा।
“पापा हमें ऐसे नहीं बैठना हैं चलिए हम माँ को ढूंढते हैं कल से वह गायब हैं और हमें उनके बारे में कुछ पता नहीं हैं।” माही तड़प कर बोली तो मोहित कुर्सी से उठ कर खड़ा हुआ।
“बिना मतलब के परेशान होने का इन दोनों को शौख हैं वह मिलेगी ही नहीं।” वे फिर से अपनी कड़वी जुबान में बोली तो मोहित दुखी होकर अपनी माँ की तरफ देखा तो वह चुप हो गई तभी दरवाजे पर दस्तक हुई तो माही जल्दी से दरवाजे की तरफ लगभग भागते हुए आई और दरवाजा खोली।
“माँ.....” बोल वह मधु से लिपट गई मोहित की नजर भी दरवाजे की तरफ थी मधु को देख वह आगे बढ़ा।
“माँ आप कहाँ चली गई थी आपको पता हैं मैं और पापा आपके लिए कितना परेशान थे।” माही बोली तो मधु प्यार से उसका गाल छूते हुए बोली
“अब तो आ गई हूँ अब परेशान मत हो।” बोलती हुई वह माही के साथ अन्दर आई और जैसे ही उसकी नजर अपनी सास पर गई तो वह रूक गई और वह अपने हाथों में पकड़े एक लिफाफे को माही की तरफ बढ़ाती हुई बोली
“ये लीजिये और अन्दर रख दीजिये......” मधु के हाथों से लिफाफा छीन कर उसकी सास फेकती हुई गुस्से से बोली
“अच्छा तो तुम कल ये काम करने गई थी।” उनकी बात सुन मधु हैरानी से उनकी तरफ देखने लगी गुस्से से उनका चेहरा लाल हो रहा था वे अपनी अंगारे भरे आँखों से मधु को इस तरह देख रही थी जैसे उसे अभी-अभी जला देंगी अपनी नज़रों से, लेकिन मधु अभी भी हैरानी से उन्हें देख रही थी। माही और मोहित भी उन्हें हैरानी से देख रहे थे।
“तुम मेरे घर को समझती क्या हो और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसे पैसे लाने की और तुम वापस ही क्यों आई अभी इसी वक्त अपने ये पैसे उठाओ और इस घर से निकल जाओ।” वह गुस्से से बोली
“माँ आप ये क्या बोल रही हैं और मधु इस घर से क्यों जाएगी क्या कल से आपने देखा नहीं की हम कितने परेशान हैं और अभी आई हैं तो उसका हाल पूछने के बदले उसे जाने के लिए बोल रही हैं।” मोहित उनकी बात सुन दुखी होकर बोला तो वह गुस्से से बोली
“तुम चुप रहो मेरी बात काटने की जुर्रत मत करो तुमने इतने साल अपनी मनमानी कर ली, लेकिन आज अगर तुम कुछ बोले तो मोहित समझ लो बहुत बुरा हो जाएगा।” मधु की नजर माही पर गई तो वह बोली
“माही बेटा आप अभी अपने कमरे में जाइये मैं माँ से बात करती हूँ।”
“खबरदार माही तुमने जो इन पैसो को हाथ भी लगाया।” वे बीच में गरज कर बोली क्योकि माही झुककर लिफाफा उठाने लगी थी तो मधु बोली
“माँ आप मुझसे नाराज हैं तो मुझे डाटीये, लेकिन माही को अभी जाने दीजिये।”
“तुम क्या चाहती हो तुम्हारे पाप की कमाई से इस घर में खुशियाँ होगी......”
“पाप......” मधु इतना ही बोल पाई और उसके चेहरे पर दर्द ही दर्द फ़ैल गये वह अपनी हैरानी भरी नज़रों से बस उन्हें देखती रह गई ऐसा लग रहा था मानो उसके इर्द-गर्द आग लगा दिया हो और उस आग की गर्मी उसे झुलसा रही हो माही और मोहित का भी यही हाल था।
“ऐसे क्या देख रही हो जब कल इस घर से तुम पाप करने गई.........
“बस...बस....माँ ऐसा मत कहिये।” मधु बीच में ही तड़प कर बोल उठी।
“ये तुम्हे सोचना चाहिए था की जब तुम ये पाप करके आओगी तो तुम्हे ये सब सुनना पड़ेगा।” वह अपनी जुबान से आग उगलती हुई बोली मधु उनकी ये बात सुन तड़प कर बोली
“माँ मैं भी एक माँ हूँ...."
“तो कल तुम्हे ये बात याद नहीं थी की तुम एक माँ हो और तुम्हारे किये हुए पाप का परिणाम हम पूरे घर वाले भुगतेंगे और सबसे ज्यादा तुम्हारी बेटी को भुगतना पड़ेगा।” वह और गुस्से से बोली
मधु की आँखों से आँसू निकलने लगे और वह दुखी होकर उनकी तरफ देखि और बोली
“मुझे कल भी याद था और अपनी जिंदगी के अन्त तक याद रहेगा की मैं एक माँ हूँ और अपनी बेटी की जिंदगी में एक पल भी दर्द नहीं आने दूंगी।”
“दादी आप मेरी माँ से इस तरह की बातें नहीं कर सकती हैं।” बीच में माही चिल्ला कर बोली तो वह बोली
“तुम्हारी माँ ने किया तो गलत नहीं और मैंने एक बार बोल दिया तो मैं बुरी हो गई।”
“मेरी माँ कभी कोई गलत काम नहीं कर सकती हैं वे तो मुझे कुछ गलत करने से मना करती हैं।” माही गुस्से से अपनी दादी से बोली इधर ये सारी बातें सुन मोहित हैरान सा जहाँ का तहा खड़ा रह गया उसे अपनी माँ से इसकी उम्मीद नहीं थी।
“अच्छा तो अपनी माँ से ही पूछ कल सुबह से कहाँ गायब थी और रात भर किस.......|” बीच में ही मधु बोली
“माही बेटा आप कुछ देर के लिए अपने कमरे में चली जाइये।” मधु की बात सुन माही उसका हाथ पकड़ते हुए बोली
“नहीं मैं आपको छोड़कर नहीं जाउंगी।” उसकी बात सुनते हुए मधु बोली
“आपको अपनी माँ पर यकीन हैं न ?”
“हूँ।”
“तो जाइये।” मधु की बात सुन फिर उसकी सास बोली
“वो बच्ची हैं तुम उसे अपनी बातों में बहला लोगी लेकिन बाकी के कोई भी तुम्हारे बातों का यकीन नहीं करेंगे।” उनकी बात सुन मधु अपनी पलके उठा मोहित की तरफ देखि। मोहित की आँखों में उसे अपने लिए वही भरोसा और प्यार नजर आया उसका दिल ख़ुशी से भर उठा उसकी बेटी उसका पति उस पर यकीन करते हैं। मोहित अपने कदम मधु की तरफ बढ़ाया।
“माँ हर कोई बेबसी में अपनी कदम गलत रास्ते पर नहीं बढ़ातें हैं और जो माँ होती हैं वे कितनी भी मजबूर क्यों न हो जाए वे भूल से भी गलती नहीं करती हैं। माँ आज आपकी ये बातें सुन दिल बहुत दुखा ये जानकर की आप खुद एक माँ होकर एक माँ को नहीं समझ सकी हर रात के अंधेरे में पाप नहीं होता हर घर से निकलने वाले कदम पाप के लिए नहीं निकलते। वे कदम कभी मंदिर तो कभी किसी की मदद के लिए भी निकलते हैं। हर अँधेरी रात में बाहर रहने वाली लड़कियां पाप नहीं करती किसी का घर बचाती हैं तो किसी के प्यार उसकी खुशियों की रक्षा के लिए निकलती हैं और ये पाप के पैसे नहीं हैं।” बोलते हुए उसके आँखों से आँसू गिरने लगे और वह नीचे से पैसो का लिफाफा उठाने लगी तभी पीछे से किसी की आवाज आई।
“अरे ये आप क्या कर रही हैं ?” मोहित और उसकी माँ चौक कर दरवाजे की तरफ देखे मोहित के उम्र का ही एक आदमी दरवाजे से जल्दी में अन्दर आया और मधु से पहले पैसो का लिफाफा खुद उठाकर उसके हाथों में देते हुए मधु से बोला
“आपको अभी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए अभी आपको आराम करना चाहिए आपकी जिद्द की वजह से आपको यहाँ लाया हूँ और आप तो अपना ख्याल ही नहीं रख रही हैं।” उसे देख मधु हैरानी से उसे देखने लगी। मधु की आँखों में साफ़ नजर आ रहा था की उसे यहाँ देख मधु को अच्छा नहीं लगा हैं। मधु को हैरानी से अपनी तरफ देखते देख वह बोला
“वो आप मेरी गाड़ी में ही अपना ये सामान छोड़ आई थी वही लौटाने आया था।” मोहित मधु के पास आ चुका था और उस अनजान से बोला
“मधु को क्या हुआ हैं ?” मोहित की बात सुन मधु जल्दी से बोली
“कुछ भी तो नहीं हुआ हैं मुझे।” और वह जल्दी से उस अनजान आदमी के हाथों से पैकेट लेते हुए उसे धन्यवाद बोली वह अनजान कुछ सोचते हुए एक बार मधु की तरफ देखा। मधु के चेहरे पर थोड़ी घबराहट देख वह जाने के लिए पलटा की उसके फोन की घंटी बज उठी और वह फोन उठाया और बात करते हुए बाहर की तरफ बढ़ा, लेकिन उसके उठते कदम रुक गये और उसकी बातों से ऐसा लग रहा था जैसे कोई उससे किसी बात की जिद्द कर रहा हो और उधर वाला बात नहीं मान रहा हो। मोहित मधु का हाथ पकड़ते हुए बोला
“चलो थोड़ी देर आराम कर लो......”
“नहीं... पहले इसे बताना होगा की ये कहाँ किसके साथ रात बिता कर आई हैं और तुम लोग सुन लो इसके लिए इस घर में अब कोई जगह नहीं हैं।” वे अजनबी का भी ख्याल नहीं की और अपनी जुबान से मधु को घायल करती हुई बोली तो वह अजनबी हैरानी से पीछे पलटा और उन्हें उसी हैरानी से देखा।
“चुप क्यों हो मैंने कुछ पूछा हैं जवाब दो।” वह गुस्से से बोली तो वह अजनबी एक बार मधु की तरफ देखा और बोला
“आप लोगों के बीच में बोलने के लिए मैं माफी चाहता हूँ, लेकिन क्या आप मुझे ये बताएंगी की आप भी एक नाड़ी ही हैं न ?” उस अजनबी की बात सुन वे भड़क उठी और खा जाने वाली नज़रों से उसे देखते हुए बोली
“मैं आपसे बात नहीं कर रही हूँ।”
“हाँ यही बात से तो मैं हैरान हूँ की आप खुद एक औरत होकर किसी दूसरी औरत के साथ ऐसी बातें कर रही हैं अगर यही बात इनके पति बोलते तो मुझे हैरानी नहीं होती, लेकिन आप खुद एक औरत होकर दूसरी की इज्जत की इस तरह......|” वह दुखी होकर उनकी तरफ देखा और अपने फोन पे किसी का नंबर डायल करने लगा और दो तीन मिनट के बाद वह अपना फोन उनके सामने में करते हुए बोला
“ये कल यही काम कर रही थी।” उस फोन में माही के उम्र की ही एक लड़की हॉस्पिटल के कपड़ों में लेटी हुई थी।” मोहित की माँ उस अजनबी की तरफ हैरानी से देखि तो वह बोला
“ये मेरी बेटी हैं इसके पैदा होने के कुछ दिन बाद ही मेरी पत्नी इस दुनिया से चली गई तबसे ये मेरी जिंदगी की आखरी ख़ुशी हैं और अचानक से ये बीमार हो गई और जब डॉक्टर ने टेस्ट किया तो पता चला की उसकी किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी हैं। मैं कहाँ-कहाँ उसके लिए गया, लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी और जब मैं हार गया और मान बैठा की मेरी आखरी ख़ुशी मुझसे हमेशा के लिए दूर चली जाएगी तब एक फ़रिश्ते के रूप में ये मेरी मदद करने आई और मेरी घर की आखरी ख़ुशी को हमसे दूर होने से बचाई अगर ये मेरी बेटी को अपना एक किडनी डोनेट नहीं करती तो मेरी बेटी हमेशा के लिए मुझसे दूर चली जाती।” उसकी बात सुन मोहित मधु की तरफ देखा वे अपनी नज़रें नीचे किये खड़ी थी।
“मधु.....ये मैं क्या सुन रहा हूँ......?” मोहित बोला तो मधु बोली
“आपसे बिना पूछे करने के लिए मुझे माफ़ कर दीजिये।”
“लेकिन इतनी बड़ी बात.....और अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो माही और मेरा क्या होता ?” मोहित की बात सुन मधु मोहित की तरफ देखि उसके चेहरे पर दर्द देख बोली।
“मोहित मैं क्या करती मैं एक माँ हूँ और एक माँ अपने सामने किसी बच्चे की जान जाते नहीं देख सकती हैं। माँ के लिए न ही कोई बच्चा अपना होता हैं और न ही पराया माँ के लिए तो बच्चे बस बच्चे होते हैं और जब मुझे पता चला की मेरी मदद से वह बच सकती हैं तो मैंने वो कदम उठाया और बिना पूछे उठाया, इस लिए मोहित क्या आप मुझे माफ़ कर सकते हैं ?” मोहित से कुछ बोला ही नहीं गया वह बस उसे देखता रह गया तभी माही दौरती हुई उसके गले से लग गई और रोती हुई बोली
“माँ आप ठीक तो हैं न आपको दर्द तो नहीं हो रहा हैं ?” मोहित की माँ चुप थी बस उनकी नजर उस लिफ़ाफ़े पर थी। मधु की नजर उन पर पड़ी तो वे उनके दिल की बात समझ गई और बोली
“माँ हूँ और माँ कभी भी अपने बच्चों की जान बचाने के लिए किसी भी तरह का सौदा नहीं करती। माँ ये पैसे मेरे हैं मैंने अपने सारे गहने बेचे हैं और मेरे नाम जो पापा ने जमीन किया था उन्हें बेच कर मैं माही के पढ़ाई के लिए पैसे लाई हूँ। मैं माँ हूँ और कोई माँ अपनी बच्ची की जान का सौदा नहीं करती हैं। मैंने उसमें अपनी माही को देखा हैं और क्या मैं अपनी माही की खुशियों को उस तक पहुँचाने के लिए उससे सौदा कर सकती हूँ।” मधु की बात सुन वे हैरानी से उसकी तरफ देखि आज उनकी आँखों में कुछ अलग भाऊ हो रहे थे।
“मधु तुम मुझसे एक बार बात करती ये सारे तुम्हारे पापा की आखरी निशानी थी उनमें उनका तुम्हारे लिए प्यार था और तुम बेच दी।” मोहित दुखी होकर बोला
“हाँ मैं जानती हूँ लेकिन जब मेरी बेटी की खुशियाँ ही उससे दूर चली जाती तो इनसे मुझे क्या खुशियाँ मिल पाती ? नहीं मिल पाती मुझे तो माही की होठों की मुस्कुराहट देख खुशियाँ मिलती हैं उसकी जिन्दगी की खुशियाँ देख खुशियाँ मिलती हैं और जब मुझे पता हैं की उससे ये खुशियाँ छीन जाएगी तो फिर कभी वापस नहीं आ सकती हैं तो मैं कैसे कोशिश न करती।” मधु बोली तो माही हैरानी से उसे देखती हुई बोली
“लेकिन आपको कैसे पता चला मैंने तो किसी को बताया ही नहीं था तो फिर आप कैसे जान गई ?” उसकी बात सुन मधु उसके चेहरे को प्यार से छूती हुई बोली
“तुम नहीं बताओगी तो क्या मुझे पता नहीं चलेगा। बेटा मैं तुम्हारी माँ हूँ जब तुम पैदा हुई थी और बोल नहीं सकती थी तब भी तो मुझे पता चलता था की तुम्हे भूख लगी हैं इसी तरह तुम नहीं बताई लेकिन तुम्हारे अन्दर की बेचैनी मुझे बताया की तुम बहुत परेशान हो और एक दिन जब तुम अपनी फ्रेंड के घर गई थी उस दिन मुझे तुम्हारे कमरे से तुम्हारे पास होने का सबूत मिला। मैं तो ख़ुशी से पागल हो उठी थी की आखरी मौके में ही लेकिन तुम पास हो गई फिर सोची की इतनी बड़ी बात तुम हम लोगों को क्यों नहीं बताई और जब पता चला की ढेरो पैसो के डर से तुम अपनी चाहत को मार रही हो तो मैं तड़प उठी और तुम्हारे पापा के पास आई बताने की हमारी बेटी अपनी खुशियों से दूर नहीं होनी चाहिए, लेकिन जब मैंने माँ और मोहित की बात सुनी की हेतल की शादी में लिए कर्ज बढ़ते जा रहे हैं और माँ चाह रही थी की उसके बच्चे के जन्म पर वहाँ तोहफे भेजे और मोहित बोल रहे थे की लाख रूपये कहाँ से आएँगे तो मैं वापस चली आई कुछ दिन चैन से नहीं रह पाई की एक तरफ तुम्हारी खुशियाँ दूसरी तरफ हेतल की चाहत और अकेले मोहित क्या कर सकते हैं तो मुझे यही रास्ता नजर आया और तुम्हारा दाखिला तो हो गया हैं इनमें हेतल के घर जो तोहफे भेजने हैं उसके लिए पैसे हैं क्योंकी मैं जानती हूँ अपनी बच्चों की ख़ुशी माँ के लिए कितनी जरूरी होती हैं।” मधु की बात सुन उसकी सास उसके चेहरे को देखती जा रही थी।
“माँ क्या होती हैं मुझे पता नहीं था क्योंकी मेरी माँ नहीं थी, लेकिन जब भी किसी को उसकी माँ के साथ देखती थी तो मेरा भी दिल करता की काश मेरी भी माँ होती, लेकिन जब मोहित से मेरी शादी तय हुई तो मैं बहुत खुश हो गई इस लिए नहीं की मोहित अच्छे हैं इस लिए की अब मुझे भी माँ मिल जाएगी और मैं भी हर बाकियों की तरह अपनी माँ से बातें करुँगी। मेरी माँ भी मेरे परेशान होने पर मुझे अपने बाहों में भर कर प्यार से समझाएगी और मेरी परेशानी ख़त्म हो जाएगी........|” उसकी सास आगे बढ़ उसे अपने बाहों में भारती हुई बोली
“मुझे माफ़ कर दो मैं कभी तुम्हारी माँ नहीं बन पाई हमेशा तुम्हे बुरा भला बोलती रही यह सोचकर की बिन माँ के बच्चों को कुछ नहीं आता हैं लेकिन ये नहीं जान पाई की मैं अपनी माँ के प्यार पाने के बाद भी सही मायने में एक माँ नहीं बन पाई और तुम माँ का प्यार न पाकर भी एक अनोखी माँ बन पाई जिसके दिल में हर बच्चे के लिए एक सा प्यार हैं सच में आज मुझे भी तुमने ही माँ बनाया हैं तुम ही मेरे घर की ख़ुशी हो तुम ही मेरे घर की लक्ष्मी हो।” बोलते हुए वह रो पड़ी मोहित उन दोनों को बस देख रहा था बरसो पहले जो वह चाहा था आज पूरा हुआ था। मधु की ममता ने उसे भी उसकी माँ दिला दी थी। माही भी उन दोनों के गले से लग गई तो मोहित बोला।
“अरे आप तीनो गले लग गये मुझे तो अकेला ही छोड़ दिए।” तो उसकी बात सुन उसकी माँ बोली
“बहुत प्यार कर लिया तुम्हे अब बस अपनी बेटी को प्यार करुँगी इस बार दिवाली अपने घर की लक्ष्मी के साथ मनाऊंगी l”
“वाह मेरा प्यार ही चला गया।” वह शरारत से बोला तो सब मुस्कुराने लगे और वह अजनबी बोला
“सच में इस दुनिया में अगर कुछ सच्चा हैं तो वो माँ का प्यार है उससे सच्चा और निस्वार्थ प्यार कोई नहीं हो सकता हैं मैं हर माँ को सलाम करता हूँ की वे अपने बच्चों के लिए इतना हौसला कहाँ से लाती हैं। आज मेरी बेटी बिन माँ के होते हुए मधुजी में अपनी माँ को देखि माँ तो बस माँ होती हैं न अपनी न पराई।” उसकी बात सुन मोहित उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला
“सारी दुनिया ही इसी एक नाम पे झुकती हैं और वो हैं माँ।”
फिर वे दोनों उनलोगों की तरफ देखे जहाँ आज मधु को भी माँ का प्यार मिल रहा था उसके चेहरे पर आज एक अलग ख़ुशी नजर आ रही थी जिसे देख मोहित के दिल को एक सुकून मिला।
