लालच
लालच
मेरे पड़ोस में बूढ़े अंकल और आंटी रहते हैं, उनके घर अक्सर मैंने एक आंटी को आते देखा है, मै एक दिन किसी काम से उनके यहाँ गयी हुयी थी तो मैंने देखा वही आंटी जो अक्सर उनके यहाँ आती थी वो भी वहां मोजूद थी और बहुत दुखी व परेशान लग रही थी, मैंने जब उनसे उनकी तबियत के बारे मै पूछा तो कहने लगी कि "बस बेटा किसी तरह से अपने दिन पूरे कर रही हूँ, ये जीना भी कोई जीना है जो पति के जीते जी अकेला रहना पड़ रहा है" और ऐसा कह कर वो फूट फूट कर रोने लगीं, मैंने उनको चुप कराने की बहुत कोशिश की लेकिन उनके आंसू थे कि रुकने का नाम नहीं ले रहे थे....बहुत देर बाद जाकर जब उनका रोना बंद हुआ तो मैंने उनसे पूछा, "आंटी..अगर आप सही समझें तो मुझसे अपना दुःख साझा कर सकती हैं"....बहुत सोचने के बाद उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहने लगी की "बेटा क्या बताऊँ मेरी किस्मत में ही दोष है किसी का कोई कसूर नहीं है जो भाग्य में लिखा है वह तो भोगना ही पड़ेगा, मैंने कहा कि आंटी आप ऐसे क्यों कह रही हैं, तो वह कहने लगी कि यह किस्मत ही तो है जो मेरे पति के होते हुए मै अकेली रह रही हूँ, शायद मुझ में ही कोई कमी होगी वर्ना मेरे साथ ऐसा क्यों होता, मैंने पूछा आंटी आप क्या कह रही हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है...फिर कुछ देर सोचने के बाद वह बताने लगी की "मेरा भरा पूरा परिवार है दो बेटी और एक बेटा है, दोनों बेटियों की शादी सम्पन्न परिवार में हुई है दोनों अपनी गृहस्ती में बहुत खुश हैं, बेटा भी शादी- शुदा है और विदेश में एक अच्छी कम्पनी में कार्यरत है...अभी कुछ ही महीने पहले बेटे का मेरे पति के पास फोन आया था कि उसे किराये का मकान बहुत महँगा पड़ रहा है इसलिए उसे वहां पर एक मकान खरीदना है, उसने कहा कि हमारा दिल्ली में जो घर है उसे बेचकर यहाँ एक घर ले लेते हैं और आप दोनों मेरे पास ही रहना, पहले तो मेरे पति तैयार नहीं हुए लेकिन उसके बार बार मनुहार करने पर वो घर बेचने को राजी हो गए...एक महीने के अन्दर ही घर बिक गया, हम लोगों ने किराये पर एक छोटा सा घर ले लिया, बेटे को पैसे ट्रान्सफर कर दिए और उसने विदेश में एक घर खरीद लिया..कुछ महीने बाद मेरे पति की बेटे से बात हुई तो बेटे ने कहा कि पापा अभी आप मेरे पास आ जाओ मम्मी को बाद में बुला लेंगे क्योंकि मेरे पास अभी दोनों की टिकट के पैसे नहीं हैं, मेरे पति ने कहा कि ऐसा करो अपनी माँ को पहले बुला लो मै बाद में आ जाऊंगा, बेटे ने बहुत जोर देकर कहा की पापा पहले आप आ जाओ मम्मी बाद में आ जायेंगी, कुछ दिन उनको दीदी के यह छोड़ दो, बेटे की बातों में आकर मेरे पति बेटे के पास चले गए ….कुछ दिन बेटी के यहाँ अच्छी तरह से बीते, एक दिन बेटी और दामाद के झगडे में दामाद ने कह दिया कि तुम्हारी मम्मी यहाँ कब तक रहेंगी, वह तो कुछ ही दिन रहने आई थीं लेकिन अब तो दो महीने होने को आये, तुम अपने भाई से बात करो कि अपनी मम्मी को लेकर जाये...बेटी ने बेटे से फोन करके बात की तो बेटा कहने लगा.... मै मम्मी को नहीं रख सकता, यहाँ पर सब कुछ बहुत महंगा है, हम लोगों का गुजारा ही मुश्किल से हो पाता है ऐसे मे एक सदस्य का खर्चा और बढ़ जाएगा तो बहुत मुश्किल हो जायेगी, ऐसा करो आप ही मम्मी को अपने पास रख लो...इतना कहकर उसने फोन रख दिया....आज पांच महीने होने को आये ना तो मेरे पति का फोन आया और ना ही बेटे का...मुझे लगता है बेटे ने अपने पिता को भी पुरी तरह से अपने कंट्रोल में कर रखा है ...बेटी के यहाँ रहकर मै उसकी गृहस्ती खराब नहीं करना चाहती इसलिए मैंने यहीं पास ही में एक कमरा किराये पर ले लिया है, एक घर में आया का काम करती हूँ उसी से जैसे तैसे गुजर-बसर हो रही है.....इन बहनजी से अच्छी बातचीत है इसलिए जब मन उदास होता है तो इनके पास आकर अपना मन हल्का कर लेती हूँ...मैंने आंटी से पूछा कि आपके बेटे ने फिर आपके पति को अपने पास क्यों रखा है जबकि आप दोनों यहाँ रह सकते थे...आंटी कहने लगीं कि जिस मकान को बेचकर मेरे पति ने बेटे को पैसे दिए थे वो मेरे नाम था, वह तो उसको मिल गया तो अब माँ की क्या जरुरत है, पिता को इसलिए रखा है क्योंकि उनके नाम उन्होंने कुछ ऍफ़ डी करा रखी हैं और वो जल्दी ही मैच्योर होने वाली हैं, जब उसको ऍफ़ दी का पैसा मिल जाएगा तो हो सकता है उनको भी छोड़ जाए"...आंटी की दर्द भरी कहानी सुनकर मुझे बहुत बुरा लग रहा था और सोच रही थी कि माँ बाप अपने बच्चों को पालते है, अपनी हैसियत अनुसार उनकी हर इच्छा पूरी करते हैं और बच्चे बड़े होकर उनके साथ ऐसा व्यवहार करें तो उन माँ बाप पर क्या बीतती होगी...मुझे तो सुन कर ही बहुत शर्म महसूस हो रही है और सोच रही थी कि क्या यही दिन देखने के लिए माँ बाप अपने बच्चों को पैदा करते हैं, माता पिता की जीवन भर की कमाई हुई पूंजी पर सिर्फ और सिर्फ उनका हक़ होता है जिसको वो अपने बच्चों के लाढ में आकर उन्हें सोंप देते हैं और यह सोच लेते हैं कि बुढ़ापे में उनके बच्चे उनका ख्याल रखेंगे...लेकिन बच्चे उनके लाढ प्यार का नाजायज फायदा उठाते हैं, माँ बाप से उनकी धन संपत्ति छीनकर उनको दर दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर देते हैं या फिर उन्हें वृध आश्रम में छोड़ जाते हैं, उन बच्चों को यह ध्यान रखना चाहिये कि जो व्यवहार वह आज अपने माता-पिता के साथ कर रहे हैं कल उनके बच्चे भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे, समय का चक्र लौटकर जरुर आता है।
