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Saroj Maheshwari

Others

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Saroj Maheshwari

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क्या खोया,क्या पाया

क्या खोया,क्या पाया

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"कोरोना काल की विषम घड़ी, कुछ खोया कुछ पाया "


   कोरोना काल का समय सभी के जीवन में विषम था। किसी की तो कठिन परीक्षा के पल थे। इन कठिन क्षणों ने कोरोना योद्धाओं को लड़ना और जीना सिखाया ...

         सरकारी सेवानिवृत्त प्रशांत बाबू अपनी पत्नी माधवी के साथ भारत के महानगर मुंबई में रहते थे। माधवी एक प्राइवेट स्कूल में प्रधानाचार्या थीं। उनकी इकलौती बेटी अपाला अपने पति के साथ अमेरिका में रहती थी। सब कुछ ठीक चल रहा था तभी कोराेना विषाणु ने सम्पूर्ण विश्व को अपने पंजों में जकड़ लिया। एक दिन अचानक माधवी की तबियत खराब हो गई। अस्पताल में भर्ती कराया गया। माधवी को तीसरे स्टेज का कैंसर निकला । डॉक्टरों ने पूरा प्रयास किया किंतु माधवी को बचाया न जा सका। कोरोना के कारण सभी फ्लाइट बंद थी।

सात समुंदर पार बैठी अपाला भारत न आ सकी

उसने ऑनलाइन अंतिम दर्शन कर अपनी जन्मदात्री को अंतिम विदाई दी ।

        अब प्रशांत बाबू भारत में अकेले रह गए। बेटी पिता को अमेरिका बुलाना चाहती थी किंतु कोरोना के नियमों के कारण उन्हें बुला न सकी।

दुर्भाग्य की कहानी यही समाप्त नहीं हुई। कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में विकराल रूप धारण कर लिया। एक दिन प्रशांत बाबू को तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी। पड़ोसी ने अस्पताल में भर्ती कराया जांच के बाद उन्हें भी तीसरी स्टेज का कैंसर निकला तभी यह भी मालूम पड़ा कि कोरोना के सूक्ष्म अणु भी प्रसाद बाबू के शरीर में प्रवेश कर चुके हैं। यह सुनते ही रिश्तेदार और पड़ोसियों ने भी मुंह मोड़ लिया। दो बड़ी बीमारियों से जकड़े प्रशांत बाबू ने भी दुनिया से अलविदा कह दिया। दुर्भाग्यवश इस बार भी बेटी अपाला न सकी। नौ महीने की गर्भवती होने के कारण अपाला को डॉक्टरों ने यात्रा करने से मना कर दिया।

     माना जाता है कि कोई भी परेशानी अकेले नहीं आती अपने साथ अनेक परेशानियों को भी लाती है। अमेरिका में गर्भवती अपाला और उसके पति दोनों कोरोना पॉजिटिव हो गए। डॉक्टरों ने

ऑपरेशन द्वारा बच्चे का जन्म कराया । नवजात को दो सप्ताह बिना मां बाप के बिना रखा गया।

           दो सप्ताह बाद अपाला ने बच्चे को गोद में लिया उस की आंखों से आंसू की अविरल धारा बह निकली। जो खुशी और दर्द को एक साथ दर्शा रही थी। एक ओर माता पिता को खोने का दुख था तो दूसरी ओर एक जीवन को देने की खुशी भी। इस कोरोना काल में आपला ने कुछ खोया तो कुछ पाया था।



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