Kavi Sharad Wakeel

Others

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कोरोना एवं लॉकडाउन

कोरोना एवं लॉकडाउन

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आज के समय और स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन आगे बढ़ाने का निर्णय ही सही हो सकता है परंतु कुछ लोगों का कहना है कि यह व्यवहारिक नहीं ।मध्यमवर्गीय छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले एवं प्राइवेट जॉब करने वाला वर्ग जो कि किसी सरकारी सहायता, सुविधाओं एवं योजनाओं से वंचित रहता है के लिए बहुत ही भयावह होने वाला है हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने सहायता स्वरूप निचले तबके के लिए अपने खजाने खोल दिए हैं एवं उच्च वर्ग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है अब रहा उच्च-मध्यमवर्ग उन्हें लॉकडाउन होने या ना होने ना से भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। चिंता सिर्फ निम्न मध्यम वर्ग की है मगर उनसे भी मैं यह कहना चाहूंगा कि उनके लिए अगर सरकार राहत दे भी दे कि वह अपना व्यापार चला सके तो भी उन्हें कच्चे माल की पूर्ति कैसे होगी क्योंकि थोक बाजार तो सारे बंद रहेंगे दूसरी बात लेबर जो कि 60 से 70 पर्सेंट अपने गांव घरों को लौट चुके हैं उनके बिना कार्य कैसे होगा तो ऐसे समय में उनको मंझोले किसान की तरह सोचना होगा कि प्राकृतिक आपदाओं में अपनी फसल चौपट हो जाने के बाद भी वह अगले साल का इंतजार बड़ी आशाओं, उम्मीद को लेकर करता है। वैसे भी शास्त्र अनुसार धीरज धर्म मित्र और नारी । आपद काल परखिए चारी ।। तो हमें धीरज एवं धर्म को धारण करना चाहिए एवं इस विपत्ति के समय सरकार को ना कोसते हुए हर तरह से सरकारों को सहयोग करते हुए सरकार के हर निर्णय में सकारात्मक रूप से साथ देना चाहिए यह वह देश है कि जहाँ स्वयं की थाली लगाने से पहले पड़ोसी भूखा तो नहीं है देख लिया जाता है अतिथि हेतु भोजन व्यवस्था की जाती है एवं आज भी भारतीय रसोई में गाय एवं श्वान हेतु उनका हिस्सा पहले ही निकाल कर रख लिया जाता है अतः हमें अपने जीवन के इस आपत्ति काल को मुस्कुराते हुए भोगना होगा और इश्वरीय वरदान मान कर समय को निकाल लेने में ही सबकी भलाई होगा । इस गंभीर समस्या का एकमात्र लॉकडाउन ही विकल्प है कोई दूसरा रास्ता नहीं है हमने देखा जिन विकसित देशों ने लॉकडाउन एवं सोशल डिस्टेंस को नहीं माना आज उनकी क्या स्थिति है वहां सब कुछ होते हुए भी आज कुछ नहीं है एवं उनके कर्ता-धर्ता ओं ने घुटने टेक दिए हैं तो अब हमें परिस्थितियों के बदलने का इंतजार एवं सोशल डिस्टेंसिंग रखने के सिवा कोई चारा नहीं है । पुनश्चः--- आज की स्थिति को हर आदमी किसान से स्वयं को जोड़कर देखें जो की फसल चौपट हो जाने के बाद उन्हें अगले साल के लिए कमर कसकर तैयार रहता है और सबसे बड़ी बात कि हम एवं हमारा देश एक बहुत ही धीर गंभीर कुशल नेतृत्व के हाथों में है वह जो भी निर्णय लेंगे देश हित में ही होगा ।


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