खुशियों की आहट
खुशियों की आहट
काश सब एक सपना होता, नींद खुलती और वह टूट जाता।
मगर हर काश का जवाब भी नहीं होता।
कभी - कभी लगता है भगवान कितने निष्ठुर होते हैं। मगर राम की लीला राम ही जाने।
दो हफ़्ते पहले ही तो सब शिवानी को सांत्वना दे रहे थे। बुत की तरह बैठी एक टक राज की तस्वीर देखे जा रही थी। जैसे कितने सवालों के जवाब मांग रही हो। सारे दोस्त रिश्तेदार तस्वीर पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे थे। एक सड़क दुर्घटना में राज की मौत हो गयी थी। टूट सी गयी थी वो।
आज सुबह से कुछ तबीयत ठीक नहीं लग रही थी। कुछ चेकअप के बाद डॉक्टर ने प्यार की थपकी दी-
"शिवानी अब तुम अकेली नहीं, तुम्हें दो लोगों का ख्याल रखना होगा। मुझे खुशियों की आहट सुनाई दे रही है। खुशियाँ फिर से दस्तक दे रही हैं। "
शिवानी ने राज की तस्वीर को देखा, तस्वीर मुस्कुरा रही थी।
