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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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कानपुर का मौसम

कानपुर का मौसम

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आजकल कानपुर शहर का मौसम बहुत चर्चित है । हो भी क्यों नहीं । आखिर जून का महीना है और जून में तो उत्तर भारत में चिलचिलाती धूप रहती है जिसके कारण तापमान एवरेस्ट की तरह ऊंचा हो जाता है । राजनीति के दलदल में फंसी पार्टियों की तरह लोग पसीने के दलदल में घिरे नजर आते हैं । अप्सराओं की तरह बिजली ख्वाबों में आकर थोड़ा मन बहला जाती है । मगर लू के थपेड़े नानी याद दिला जाते हैं । वे लोग मुकद्दर वाले हैं जिनकी ननिहाल कहीं इटली या और कहीं होती है । कम से कम गर्मियां तो मस्ती में गुजरती हैं उनकी । "खानदानी" होने का यही तो फायदा होता है । 


कुछ शांतिप्रिय लोगों ने बुलडोजर बाबा को चैलेंज कर दिया और कह दिया कि हम लोग आग लगाने की कला में माहिर हैं और पूरे सूबे को आग के हवाले कर देंगे । वे ऐसा करते आये हैं अब तक और उन्हें विश्वास है कि वे आगे भी ऐसा ही करते रहेंगे । क्योंकि वोट की राजनीति ने उनमें यह विश्वास भर दिया था कि उनके बिना कोई सरकार बन ही नहीं सकती है । इसलिए ये लोग खुद को "खुदा" मानने लग गये । 

उन्हें यह भी विश्वास हो चला था कि बाबा बुलडोजर का जमाना अब जाने वाला है और वे लोग बाबा बुलडोजर को अमरनाथ की गुफाओं में भेज देंगे । वैसे उन लोगों ने इसके लिए मेहनत भी पूरी की मगर दूसरे लोगों ने बाबा बुलडोजर को अभी अमरनाथ की गुफाओं में जाने नहीं दिया । कहा कि अभी तो इस सूबे को बुलडोजर की जरूरत बहुत ज्यादा है । इसलिए बाबा यहीं अटक गये और बुलडोजर पर सवार होकर पूरे सूबे को शिमला बना रहे हैं । 


बाबा बुलडोजर ने कहा भी था कि भाई लोगो मान जाओ , पंगा मत लो । मगर भाई लोग तो "टोंटी चोर" के कंधों पर सवार थे । जैसे छोटा बच्चा बाप के कंधों पर सवार होकर खुद को दुनिया का सबसे बड़ा आदमी समझने लगता है , वैसे ही "भाईजानों" ने समझ लिया कि उनसे बड़ा तो कोई है ही नहीं इस दुनिया में । अत : कहने लग गये कि "छ : महीने तक कोई स्थानांतरण नहीं होगा । पहले हिसाब होगा" । उस भाईजान का वह वीडियो बहुत वायरल हुआ था । 


घूमते घूमते वह वीडियो बुलडोजर बाबा तक पहुंच गया । बुलडोजर बाबा की एक खासियत है कि वे चेतावनी भी देते हैं तो मुस्कुरा कर ही देते हैं । उन्होंने ऐसे गैंगस्टर को चेताते हुये मुस्कुरा कर कहा कि वे अपने "बुलडोजर" अस्त्र से मई जून में भी यूपी को शिमला बना देते हैं । इसलिए ऐसी हिमाकत मत कर बैठना  


मगर कुछ "भाईजानों" ने इसे दिल पर ले लिया । उन्होंने कहा कि हम तो पैदा ही इसलिए हुए हैं कि इस धरती रूपी जन्नत को जहन्नुम बना दें । हम जहां जहां भी गये , हमने जहन्नुम ही बनाया है वहां । अगर यकीन ना हो तो "काश्मीर" को ही देख लो । अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सीरिया और न जाने कितने देश हैं जो आज अपने आपको जहन्नुम में महसूस कर रहे हैं । 


तो कानपुर शहर के एक भाईजान "हाय अम्मी" ने इसे चैलेंज समझा और मुनादी करवा दी कि 3 जून को बंद और 5 जून को जेल भरो आंदोलन होगा । जगह जगह पर पोस्टर चिपका दिये । कुछ लोगों को पत्थर पकड़ा दिये तो कुछ लोगों को पेट्रोल बम । टार्गेट पर कानपुर शहर था । उसका कहना था कि हम कानपुर शहर में गर्मी का ऐसा तांडव मचा देंगे कि बाबा को बर्फानी बाबा की गुफा में जाना ही होगा । इसका पूरा इंतजाम भी कर लिया गया था । 


इस देश के "मौसम वैज्ञानिक" भी कानपुर के मौसम के "मिजाज" को पहचान नहीं पाये और जैसा कि होता है , सब कुछ सामान्य मानकर चुपचाप बैठे रहे । मगर भाईजानों ने तो लू, अंधड़, तूफान की तैयारी कर रखी थी । वे अपनी "पत्थरबाज सेना" को लेकर कहर बरसने लगे । अचानक लू के थपेड़े चलने लगे । बमों की आंधी चलने लगी और देखते ही देखते कानपुर शहर एक "लावा कुण्ड" में परिवर्तित हो गया । चारों तरफ आग के गोले गिरने से हाहाकार मच गया । बहुत से पुलिस वाले "झुलस" गये इससे । लोगों के नाम पूछ पूछकर उन्हें पीटा जाने लगा । चारों तरफ अफरा तफरी का माहौल बन गया । 


यह एक सोची समझी साजिश के तहत हुआ था । उस दिन महामहिम राष्ट्रपति महोदय, प्रधानमंत्री जी और बाबा बुलडोजर खुद कानपुर में ही थे । भाईजानों ने जैसे सोते सिंह को जगा दिया था । अब तो "मूछों का सवाल" पैदा हो गया था । बात कानपुर के मौसम की जो थी । एक कह रहा है कि लावा बरसा देंगे तो दूसरा कह रहा था कि शिमला बना देंगे । कानपुर शहर खुद कन्फ्युजिया गया था कि उसका क्या हाल होगा, पता नहीं । 


पर बाबा तो बाबा हैं । जो ठान लिया सो ठान लिया । कोई माने या ना माने । मगर बाबा तो हर हाल में मनवाना जानते हैं । उन्होंने अपने प्रिय अस्त्र बुलडोजर का आह्वान किया । आह्वान करते ही बुलडोजर हाजिर । बुलडोजर अस्त्र चलाने की पूरी तैयारी की जा रही है अब । इसके लिए पहले "माहौल" बनाना पड़ता है । लावा बरसाने वाले , आंधी लाने वाले, तूफान चलाने वाले लोगों की पहचान की जा रही है । जो लोग कल तक कह रहे थे "कागज नहीं दिखायेंगे" वे आज कह रहे हैं "हम सब कुछ दिखा देंगे पर पिछवाड़ा भत सुजाना" । पर बाबा तो बाबा हैं । उन्हें खातिरदारी करनी आती है । इसलिए इन दंगाइयों के लिये 56 प्रकार के व्यंजन बनवाये गये हैं थानों में । गैंगस्टर एक्ट, रासुका जैसी स्पेशल डिश भी बनवाई गई है । और एक विशेष प्रकार का बंबू भी मंगवाया गया है । अब ये भी बतलाना पड़ेगा क्या कि उस विशेष बंबू का क्या किया जायेगा ? अरे भाई, जब इनकी खातिरदारी होगी तो आवाज नीचे से ना निकले, इसका बंदोबस्त करने के लिए उस बंबू का इस्तेमाल किया जायेगा ना । इतना भी नहीं समझते हो । अब तक तो हो भी चुका होगा । 


अब हालात बदल गए हैं । कानपुर शहर तो शिमला से भी ज्यादा ठंडा हो गया है , ऐसा बताते हैं । हमारे एक मित्र छैलबिहारी कनपुरिया बता रहे थे कि तीन तारीख के अंधड़ तूफान के बाद जो ओले गिरे हैं , बर्फबारी हुई है उससे कानपुर का पारा एकदम गिर गया है । अभी तो बुलडोजर अस्त्र का प्रयोग बाकी है । जब वह अपना रौद्र रूप दिखायेगा तब जाकर शीतलहर का सा अहसास होगा । 


देखते जाइये और महसूस करते जाइए। कानपुर से आने वाली हवा बता देगी कि लू चल रही है या शीतलहर । बस, देखते जाइए । 



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