जंगल चला शहर होने -7
जंगल चला शहर होने -7
गाय से पहला सवाल यह पूछा गया कि जब वह बच्चों को पढ़ाने स्कूल में आयेगी तो उसके ख़ुद के बछड़े का क्या होगा? उसे कौन संभालेगा?
गाय ने फ़ौरन जवाब दिया - "श्रीमान, मैं अपने बछड़े को भी अपने साथ यहां लाऊंगी। वह भी तो पढ़ना चाहता है। शिक्षिका बच्चों के लिए मां समान होती है। मैं सभी के बच्चों को अपना बालक समझ कर ही पढ़ाऊंगी। मैं उन्हें मां की ममता दूंगी।"
हिप्पो और जिराफ़ अभिभूत हो गए। गाय का चयन हो गया।इसी तरह भैंस, घोड़े, मगर, चिड़िया और बारहसिंघा का इंटरव्यू भी हुआ।मिट्ठू पोपट, लोमड़ी और खरगोश की मेहनत से राजा शेर का खज़ाना दिन रात बढ़ता ही जा रहा था। राजा साहब तो राजा साहब, रानी साहिबा शेरनी मैम भी खुशी से फूली नहीं समाती थीं। लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या ये थी कि अब वो आम लोगों की तरह जंगल में यहां वहां घूम नहीं सकती थीं। उन्हें ज्यादातर मांद महल में ही रहना होता था जहां कभी कभी एक कैद की तरह उनका जी घुटता।लोमड़ी ने इसका भी तोड़ निकाला।हाथी , जिराफ़, ऊंट, दरियाई घोड़ा, बारह सिंघा, जेब्रा, रीछ आदि से कह दिया कि रानी साहिबा शेरनी मैम ने महल में एक पार्टी रखी है जिसमें आप सबकी पत्नियां सादर आमंत्रित हैं।ये तो सभी के लिए गर्व की बात थी। मादा शक्ति मंडल का गठन कर दिया गया।सभी पत्नियां अपनी अपनी धाक जमाने की गरज से सज धज कर आईं। वुल्फ ज्वैलरी शॉप की खूब बिक्री हुई। सभी ने पार्टी में पहन कर जाने के लिए एक से बढ़कर एक गहने वहां से खरीदे थे।दोपहर को शानदार लंच के बाद शेरनी मैम ने वहीं हॉल में सभी के मनोरंजन के लिए एक रोचक खेल भी खिलाया।मिट्ठू जी ने अपनी मित्र कोयल को मीठा गीत सुनाने के लिए आमंत्रित कर दिया था।
पार्टी में रानी साहिबा के हाथ में एक फूल दे दिया गया। रानी साहिबा ने वो फूल अपने बराबर बैठी किसी महिला को दिया, उसने आगे पास किया और इस तरह फूल बारी बारी से सबके हाथों में जाता रहा। उधर कोयल जैसे ही अपना गीत रोकती, वैसे ही फूल जिस महिला के हाथ में होता उसे उठ कर अपना कोई भी एक गहना रानी साहिबा को भेंट करना पड़ता।खेल आगे बढ़ जाता। शाम को पार्टी से घर लौटते समय सबके चेहरे उतरे हुए थे पर मन में इस बात का संतोष भी था कि चलो रानी साहिबा उनसे खुश तो हो गईं।
लोमड़ी ने शाम को रानी साहिबा से कहा - "मैम, आपकी पार्टी में तो बहुत सारे गहने - ज़ेवर इकट्ठे हो गए। आप कहें तो इन्हें भी सरकारी ख़ज़ाने में जमा कर दें।"
" नहीं नहीं...इसका सरकारी ख़ज़ाने से क्या लेना - देना? ये तो मेरी निजी कमाई है। ये मेरे पास ही रहेगी।" रानी साहिबा ने वो सभी गहने अपने शयन कक्ष की अलमारी में रखवा दिए।
राजा शेर ने भी रानी साहिबा को इतना धन जमा करने के लिए बधाई दी और साथ ही उपहार में आई कारों में से एक बेशकीमती कार भी उन्हें तोहफ़े में देदी। इस कार पर रानी साहिबा की नेम प्लेट लग गई और इसके लिए एक बिल्ली को ड्राइवर के रूप में भी रख दिया गया।इस लेडी शोफर की शान ही निराली थी। आंखों पर बड़े से सन ग्लास लगाकर जब वो फर्राटे से गाड़ी को सड़क पर दौड़ाती तो देखते ही बनता था। लोग दस दस फीट दूर हट जाते और अगर गाड़ी में रानी साहिबा हों तो झुक कर सलाम करते।उधर हिप्पो जी के स्कूल में टीचर्स आ जाने के बाद स्कूल में पढ़ाई जोर- शोर से शुरू हो गई।
तभी एक दिन राजा साहब के पास एक दिलचस्प मामला आया। एक चींटी ने दरखास्त दी थी कि स्कूल में टीचर्स की भर्ती में धांधली हुई है। चींटी का कहना था कि वह योग्यता में भैंस से कहीं बेहतर थी पर भैंस का चयन कर लिया गया क्योंकि भैंस ने इंटरव्यू लेने वाले हिप्पो जी और उनके दोस्त जिराफ़ को टिफिन भर के ताज़े दूध की खीर बनाकर भेंट की थी।
राजा शेर को इस तरह के मामले में कार्यवाही करने का कोई अनुभव नहीं था। एडवाइजर मिट्ठू पोपट ने सलाह दी कि राजा साहब को एक न्यायालय की स्थापना कर देनी चाहिए जिसमें ऐसे सभी मामलों को सुलझाया जा सके।शार्क मछली को इस नए न्यायालय में जज मनोनीत कर दिया गया। कोर्ट रूम में एक पानी की बड़ी सी खुली टंकी बनवा दी गई जिसमें बैठ कर न्यायाधीश शार्क सभी फ़ैसले करने लगी।