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Pushkar Ki Kalam

Children Stories Inspirational Children

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Pushkar Ki Kalam

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जन की ऑक्सिजन के साथ मुलाकात

जन की ऑक्सिजन के साथ मुलाकात

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"जन को ऑक्सीजन मिलने से आयी जान, इंसान को हुई पेड़ की पहचान।"

एक दिन एक जन नाम का लड़का उसके पापा और मम्मी को जिद्द करने लगा की हम शहर घूमने जाएंगे, मुझे शहर देखना है, यहा तो सिर्फ जंगल, पेड़- पौधे है हमेशा बारिश आने पर पेड़ गिरते है और कितनी तकलीफ होती है, और नही तो पास के जंगल होने के कारण जानवरो का आना जाना रहता है रात न नीदं मिलते है ना सुबह उठ कर इमारते, गाड़िया, नया नया खाना मिलता है - कुछ भी हो मुझे शहर जाना है यहा पेड़ों के बीच नही रहना है।


अगले ही दिन उसके मामा आते जन के घर और कहते है कि मैंने दो दिन के लिए शहर जा रहा हूं, यह सुनते ही जन मामा के पास दौड़ता है कहता है कि तुम शहर जा रहा है तो मुझे भी आना मामा का लाडला होने की वजह से उसने जन की इच्छा पूरी की, 

दूसरी सुबह जन और मामा शहर जाने निकले, जन और मामा बस से जा रहे थे बडे खुशी के साथ झूम झूम कर जन शहर जाने उत्सुक था और बार बार मामा से कहने लगा कि शहर कब आएगा , शहर कब आएगा मामा बोले थोड़ी ही देर में आएगा।

जैसेशहर की सीमा पर आया और जन के नाक और मुह में धूल और धुंआ जाने लगा, जन खास ने लगा और और जन उल्टी कर रहता तबी कंडक्टर ने कहा शहर आया है तुम उतर जाओ सब उतर गए पर जन का दम घुटने के कारण वो उतर नही पा रहा था जैसे - तैसे कर के उतरा।

दोनो उतरे और मामा और जन ने ठंडा ठंडा सोडा पिया, होटल में पिज़्ज़ा, बर्गर खाये, मामा और जन होटल में रुके, जन को बहुत मज़ा आने लगा ऐसी ठंडी ठंडी हवा, बड़ी बड़ी लाइटे, बडा बडा सूंदर सूंदर से बेड था जन खुशी से झूमने लगा।

दूसरे दिन मामा और जन बाहर घूमने निकले कुछ घण्टे बाद जन को गर्मी होने लगी, गला सूखने लगे,

धूल और बड़ी बड़ी गाड़ियों के वो खांसने लगा, तब वहा सब रस्ते में लगे पेड़ काटे जा रहे थे ये देख जन बोला अच्छा हुआ पेड़ काट रहे है, बहुत मुसीबत है ये।

दूसरे दिन फिर जन मामा के साथ घूमने निकला और मामा को काम होने के कारण वो जा रहे थे जैसे वो आफिस में पहुँचे तो वहा जन को मामा ने मै बस दो मिनट में आता हूं वह खड़े रहना, कडती धुप में जन खड़ा था उसका शरीर गर्म होने, लगा वो पसीना - पसीना होने लगा फिर उसे समझ नही आ रहा था ऐसा क्यों हो रहा वो सोचने लगा इतनी अच्छी इमारते और इतने अच्छे रस्ते, लाइटे होने के बावजुद क्यों ऐसे ही रहा है। मामा काम होने के बाद जन के साथ बाइक ओर अपने साथी के साथ जन को बैठ कर चल दिये।

जन को कुछ सूज नही रह था और उसे अचानक चक्कर आने लगा तबी बाइक रुका कर मामा और उसका साथी जन को लेके थोड़ी देर पेड़ के नीचे बैठे

, कुछ मिनटों में हवा आने लगी , जन को अच्छा लगने लगा और कुछ घण्टे वहा सो लिया

रात को जब जन होटल पहुँचा तो वो सोचने लगा कि गाँव ऐसा कबी नही हुआ और शहर में इतनी सुविधा होने के बावजूद इतनी तकलीफ क्यों है और आज न्यूज़ में देखा कि जानवर बाहर शहर में निकले है ऐसा क्यों शहर और गाँव में भी ऐसा? ये सवाल उसके मन मे फिर रात को जन को सपने में पेड़ ने जन के साथ बात की और कहा जन जन देखों मै पेड़ हु जन नफरत इतनी थी कि वो समज नही पा रहा था तब पेड़ ने कहा शहर और गांव में के बारे में तू सोच रहा है ना ? तो उसने कहा हा, तुझे सवाल है कि शहर में इतनी गर्मी क्यों? पेड़ जवाब देते हुए कहा कि देखो कितने कितने पेड़ों को काट कर जमीन को अलग कर वहा कॉन्क्रीट की जमीन बनाई है इसकी वजह से गर्मी होना, दम घुटना, जानवरो का शहर में घुसना, और हवा में धूल और धुंए का होना पेड़ नाराज हो कर कहने लगा पता नही हमारी क्यों इतनी परेशानी है सबको हम तो सिर्फ जन ऑक्सिजन देने, फल देने और ठंडी हवा देते है, देखो हम इतने काम आते है कि हमारे गुजरे हुए बूढ़े पेड़ को काट कर पेपर, बड़ी बड़ी फर्नीचर और आकर्षक वस्तु ये बनाते है और तू जिसपे सोता और जिस दरवाजे से अंदर आया वो भी तो पेड़ की लकड़ी का है, पेड़ ने गुस्से से कहा एक दिन महामारी आएगी, गर्मी से दम घुटने लगेगा और लोग ऑक्सीजन न मिलने के कारण मरने लगेंगे।

जन को सुन कर अफसोस होने लगा उसने तुरंत अपनी गलती मानी और माफी मांगी और वादा किया कि में पेड़ लगाऊंगा और हर गिरे हुए पेड़ बुरा नही बल्कि काम की है ऐसा समजुन्गा।

दूसरे दिन मामा और जन और मामा गाँव गए और जन खुश हुआ,की में गांव जा रहा हूं, मां और पापा को मिलते ही उसे एहसास हुआ और कहना लगा आपने जो कहा वो सच है और कहाँ

 " शहर से बढ़कर मेरा गाँव है,

पेड़ से मिलती छाओ है जिसे मिलती हवा है

धूप चाहे जितनी भी पेड़ से मिलती छाँव है

जहाँ जहाँ पेड़ है वो खुशियो का जहाँ है।"

- पुष्कर की कलम

ऐसा कह कर पेड़ को जन ने पेड़ को शुक्रिया कहा

और वंदन कर उसको छुआ, और रोज एक नया पेड़ लगा ने लगा और गाँव वालों को संदेश देने लगा।

आखरी वाक्य -

जब ऑक्सीजन है तब हम सब जन है

क्योंकी पेड़ ही सांस और धन है

- पुष्कर की कलम

बहुत अच्छी तरह एम.पुष्कर (पुष्कर की कलम) ने छोटी कहानी में शब्दों को सचाई से बया किया है


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