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ANSHIKA CHAURASIA

Children Stories Inspirational

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ANSHIKA CHAURASIA

Children Stories Inspirational

ईमानदार मछुआरा

ईमानदार मछुआरा

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किसी गाँव में एक गरीब मछुआरा रहता था। उसका नाम मोहन था। वह अपनी पत्नी मोहिनी के साथ रहता था। वे गरीब तो थे, पर खुश थे। मोहन बहुत परिश्रमी था। वह एकदम सुबह मछलियाँ पकड़ने के लिए पास के एक सागर में चला जाता और दोपहर होते-होते घर पहुंचता। इससे वह अपना और अपनी पत्नी का पेट पाल लेता। एक दिन वह हमेशा की तरह मछलियाँ पकड़ने के लिए घर से निकल पड़ा। समुद्र के पास पहुँच जाने पर उसने अपनी नाव ली और समुद्र की और चल दिया। जब वह मछलियाँ पकड़ रहा था, तब उसने अपने जाल में एक अति सुंदर मछली देखी। उसे तड़पता देख मोहन को उस पर दया आ गई और उसने उसे छोड़ने का फैसला लिया। उसने उस मछली को समुद्र में वापस डाल दिया।


समुद्र में पहुंचते ही मछली मोहन से बोली, 'तुमने मुझे छोड़ा, इसके लिए धन्यवाद, भाई।'

एक बोलती हुई मछली को देख मोहन चौंक उठा। उसने ऐसी मछली अपनी जिंदगी में पहली बार देखी थी।

मोहन बोला, 'वाह! तुम बोलती भी हो। चमत्कार! एक बोलने वाली मछली!'

मछली ने उत्तर देते हुए कहा, 'हाँ, और चूंकि तुमने मुझे जीवनदान दिया है, मैं तुम्हारी एक इच्छा पूरी कर सकती हूँ।'

मोहन सोचने लगा, 'इच्छा! क्या मेरी कोई इच्छा है?'

उसने मछली से कहा, 'नहीं, मेरी कोई इच्छा नहीं है।‌‌ भगवान ने मुझे मेरी पत्नी, खाने के लिए खाना, पहनने के लिए कपड़े, और मुझ जैसे नीच जाति के खर्च के लिए पर्याप्त धन दिया है। इसके अलावा मुझे और कुछ नहीं चाहिए।'


इतना सुनकर मछली प्रसन्न होकर बोली, 'मोहन, तुम परिश्रमी होने के साथ-साथ एक ईमानदार और सच्चे आदमी भी हो। तुमने मेरी जान बचाई है। इसके लिए मैं तुम्हें बहुत सारा धन देती हूँ, जिससे तुम अपनी और अपनी पत्नी की हर जरूरतों को पूरा कर सकोगे। घर जाओ। तुम्हें धन वहीं मिलेगा। अलविदा!'

इतना कहकर मछली पानी में अदृश्य हो गई। मोहन घर जाने के लिए तैयार हो गया। जब वह अपने घर गया तो उसे वहाँ कुछ भी नहीं मिला। वह मन-ही-मन सोचने लगा कि वह मछली व्यर्थ की बातें कर रही थी।


जब वह खाना खाने गया तब उसकी पत्नी ने उससे पूछा कि उसने घर लौटने में इतनी देर क्यों लगा दी। फिर मोहन अपनी पत्नी को सारी बातें बताता है।


मोहिनी भी जादुई मछली के बारे में सुनकर चौंक उठती है और कहती है, 'ऐसी चीजें नहीं होती हैं। जरूर आपके साथ किसी ने मजाक किया होगा।'

मोहन बोला, 'हाँ, मुझे भी यही लगता है।'

इसके बाद दोनों खाना खाकर सोने चले गए। 


जब मोहन सुबह उठा और जैसे ही उसने अपने कपड़े निकालने के लिए अलमारी खोली, वह चौंक उठा। 

उसने देखा की पूरी अलमारी सोने और चाँदी की मुद्राओं और मोतियों से भरी हुई थी। उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

उसने मोहिनी को बुलाया और उसे अलमारी दिखाई।

मोहिनी खुशी के मारे झूम उठी। 

उन्हें उस मछली की याद आ जाती है और वे उसे धन्यवाद करते हैं।

उसके बाद वे खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत करने लगे।


सही ही कहा गया है:- 

अंत भला तो सब भला


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