हमारे पुराने खेल
हमारे पुराने खेल


गली के सारे बच्चे खेलने के लिए इक्कठे हुए ,आज उनकी पाठशाला की छुट्टी जल्दी हुई थी ,तो आज उनके पास खेलने का समय भी अधिक था।
सारे बच्चे आये खेलने के लिए सोचने लगे कि कोनसा खेल खेले।राहुल ने एक सुझाव दिया कि हम छुपन छुपाई खेलते हैं।तो पूजा हँस के बोली छुपन छुपाई तो रात को खेलने में मजा आता है। रात को कहि भी छुपेंगे तो भी मिल नहीं पाएंगे और अभी कही भी छूपोगे तो आराम से देख लेगा।
फिर पूजा ने कहा कि हम पकड़म पकड़ाई खेलते हैं।
पूजा का ये कहना था कि दीपू बोला नहीं नहीं हम बर्फ ओर पानी खेलते हैं।उसके बाद नीतू बोली हमसे इतना भागा नहीं जायेगा हम केरम बोर्ड खेलते हैं।
तो उसके बाद रवि ने कहा केरम में तो चार ही खेल पाएंगे बाकी क्या करेंहम खो खो खेलते है।11-11 खिलाड़ी सब आ जाएँगे सब की बारी आएगी।
तो इतने मे मुकेश ने कहा मुझे खो खो बिल्कुल पसंद नहीं हैं और नरेश उसमे बहुत चीटिंग करता हैं।इतने में नरेश ने कहा मैं चीटिंग नहीं करता तुमको खेलना नहीं आता और बार बार आउट हो जाते हो तो इसलिए मुझे कह रहे हो।दोनों की बात काटकर सलमा बोली चलो हम कहि रंगोली बना लेते हैं।
सलमा का मजाक बना कर किशन ने कहा कि अभी दीवाली नहीं हैं जो हम रंगोली बनाए।
उसके बाद किशन की बात को सही बताकर रिंकू ने कहा हम जमीन पर पाला बनाकर लंगड़ी(खटु -खटू) खेलते हैं उसके लिए मेरे पास बहुत से चिकने पत्थर भी हैं।फिर ऋषभ बोला नहीं नहीं हम कबड्डी खेलते हैं इतने में आकाश ने कहा नहीं कबड्डी में मेरी सांस फूल जाती हैं। फिर लादू ने कहा हम क्रिकेट खेलते हैं, तो रोशनी ने डाट लगाकर बोली कल मेरे घर का कांच तुम लोगो ने क्रिकेट खेल के तोड़ दिया कोई दूसरा खेल बताओ।
चलो तो हम संतालिया खेलते हैं सात पत्थर ऊपर ही ऊपर जमाकर उसको बॉल से मरना पड़ता हैं और जो बॉल से उन पत्थर को गिराता हैं वही फिर उनको वापस जमाता हैं बॉल मिलने से पहले।कैसा रहेगा ये।इतने में बिट्टू आया और बोला नहीं ये भी बॉल का ही खेल हैं हम गीली- डंडा खेलते हैं ।
इसके बाद केतु ने गुस्से से कहा हम ज्यातर यही खेलते रहते हैं कोई और दूसरा खेल खेलते हैं। इससे अच्छा तो चलो हम रेत से टीटोरी बनाते हैं सब अपनी अपनी कोई खास जगह लेलो ओर रेत की टिटोरी बनाते हैं जो ज्यादा टिटोरी बनाएगा वो जीतेगा। ऋतु ने आनाकानी करके कहा नहीं हम रस्सी का खेल खेलते हैं। मेरे पापा ने एक नई रस्सी लायी है। इतने में गुड़िया ने कहा हमे नहीं खेलना, रस्सी से कूद कूद कर पैर बहुत दर्द करने लगते हैं।फिर फूली ने कहा चलो हम अंताक्षरी खेलते हैं ।फिर रमन ने कहा हम क्लास के अंदर भी यही खेलते हैं पूरे दिन। इन सबके बीच वीरजु बोला चलो हम गोल कांच के कंचे खेलते हैं।फिर गुंजन ने भी कहा कि हम लंबी कूद खेलते हैं।रामु ने भी पीछे से कहा चलो ऐसा करते हैं , आँख मिचौली खेलते हैं।फिर कालू ने भी अपनी बात रखी नहीं नहीं ये नहीं हम सब एक बड़ा गोल घेरा लगाकर बैठते हैं और रुमाल से खेलते हैं।रामु की बात काटते हुए सुमन बोली हम एक कागज के चार टुकड़े करके उनकी पर्ची बनाकर उन पर राजा, चोर ,सिपाही, रानी वाला खेल खेलते हैं।
सबकी बहस होते होते दिन ढल गया इतने में शाम भी हो गयी फिर कहि से गुरजु भागा-भागा आया और बोला "भागो भागो भागो भागो कोरोना आ गया।"अचानक डिम्पी की नींद खुली ओर उसने देखा कि वह तो अपने कमरे मे बैठी है, अपने स्टडी टेबल पर ही उसे नींद आ गयी।वह तो एक धुंधला सा सपना था।