घमंडी खारगोश और चतुर कछुआ
घमंडी खारगोश और चतुर कछुआ
एक बार एक जंगल में एक खरगोश रहता था।
वह बहुत सुंदर और सफेद था। जंगल में सभी जानवर उसको देखकर उसकी प्रशंसा करते थे। उसे अपनी सुन्दरता पर बहुत अभिमान था। वह अपने आप को सबसे श्रेष्ठ मानता था। एक दिन जंगल में जब वह घूम रहा था तो एक कछुआ उसके सामने आ गया। उसे देखकर खरगोश ने उसका मज़ाक उड़ाया और बोला तुम बहुत बदसूरत हो तुम्हारी पीठ भी कठोर है और रंग भी काला है। तुम्हें यह जंगल छोड़ देना चाहिए। खरगोश की बात सुनकर कछुआ मुस्कुराया और उससे बोला मुझे भगवान ने जैसा बनाया है मैं खुश हूं। क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे मैं तुम्हारे काम आऊंगा। पर खरगोश तो घमंडी था उसने कहा मुझे तुम्हारी आवश्यकता नहीं तुम कभी मेरे रास्ते में न आना। यह कहकर खरगोश वहां से चला गया। कुछ दिन बाद खरगोश जंगल में जानवरों की सभा में जा रहा था तभी एक शिकारी की नज़र उस पर पड़ी। शिकारी ने सोचा इसे बेचकर खूब धन मिलेगा। शिकारी ने खरगोश को पकड़ लिया।
यह सब कछुआ देख रहा था।
उसने खरगोश और शिकारी का पीछा किया।
कुछ देर बाद कछुए ने देखा शिकारी भोजन करने के लिए गया है और खरगोश के पास कोई नहीं है तो वह खरगोश के पास गया और बोला मैं तुम्हारी सहायता करूंगा तुम चिंतित न हो। कछुए ने अपने मित्र चूहें की सहायता से जाल काट दिया और खरगोश को बचा लिया।
खरगोश को अपनी गलती का अनुभव हो गया। उसने कछुए से माफ़ी मांगी और वे दोनों मित्र बन गए।
हमें भी घमंड नहीं करना चाहिए। सभी का अपना महत्व होता है।
