वीर राजकुमार और परी
वीर राजकुमार और परी
एक बार सुंदर राज्य में एक राजकुमार था। वह बहुत दयालु था। वह अपनी प्रजा और पशु पक्षियों से बहुत प्यार करता था। वह साहसी और वीर भी था। उसकी वीरता के चर्चे दूर दूर तक थे। उसके राज्य के उत्तरी छोर पर एक कुआं था। उस कुएं के पास कोई नही जाता था। सब लोग बोलते थे कि जो भी उस कुएं के पास जाएगा वह जीवित वापिस नहीं आएगा। एक दिन राजकुमार उत्तरी छोर पर घूम रहा था तभी उसने देखा कि एक बछड़ा टहलते हुए घास कि तलाश में कुएं के पास आ गया। राजकुमार उसे बचाने के लिए कुएं के पास गया, रात का समय हो गया था, उसे एक सफेद रोशनी दिखी। उसने कुएं में झांक कर देखा। उसने देखा कि कुएं में बहुत सारा सोना और हीरे मोती हैं। तभी उसे किसी के आने की आवाज़ आई। वह पेड़ के पीछे छिप गया। उसने देखा कि एक सुंदर परी कुएं के अंदर चली गई। राजकुमार को वह परी अच्छी लगी। अब हर रात वहकुएं के पास छिप जाता और परी को आते देखता।
एक दिन कुएं के ख़ज़ाने की बात लुटेरों को पता चल गई। उन्होंने कुएं पर हमला कर दिया। परी उस दिन जादू नहीं कर सकती थीं। डाकुओं ने उसे पकड़ लिया और खज़ना भी लूट लिया। राजकुमार कुएं के पास गया तो उसने परी को कैद में देखा तो उसने तलवार से हमला किया और बड़ी वीरता से डाकुओ को हरा दिया। इस तरह उसने परी और ख़ज़ाने की रक्षा की। परी ने राजकुमार का धन्यवाद किया और वह परी लोक चली गई।
