एक स्वाद
एक स्वाद
आज छुट्टी का दिन है, रविवार की सुबह, रोज़ की सुबह से थोड़ी लेट, बेफिक्री सी होती है। हाँ अच्छी ही होती है, देर तक सोने को जो मिलता है। बस देर तक सो कर उठने के बाद हाथ में एक कप चाय मिल जाए तो क्या बात, पर सिर्फ एक कप चाय की बात नहीं कर रही हूं मैं ..... एक कप माँ के हाथ की चाय मिल जाए तो वो बेस्ट सुबह हो जाए।
खैर, वो चाय मेरे नसीब और हाथ में कहाँ, घर से दूर जो रहती हूं......हाँ घर की सुकून भरी जिंदगी से दूर दिन रात भागती, दौड़ती नगरी में मैं भी शामिल हूं। पर हाँ घर से दूर रहने के शायद एक फायदा तो है, खाना बनाना तो सीख ही लिया है, ठीक ठाक बना ही लेती हूं।
बस उसी कोशिश में आज सुबह किचन में पहुंची, ये सोच कर की आज शायद माँ के हाथ का स्वाद मेरी चाय में आ जाए, बहुत कोशिश की पहले भी पर हमेशा एक नया स्वाद हाथ लग जाता है पर वो स्वाद नहीं......
पर वो कहते है ना कभी तो होगा, वैसे ही आज जब मैने अपनी चाय की एक चुस्की ली इस होप में की आज कैसा स्वाद होगा और मैं अपने आपको दूसरी चुस्की लेने से रोक ही नहीं पाई......क्योंकि आज मेरी चाय में वो स्वाद था, एक अलग खुशी और संतुष्टि अनुभव हुई।
बस अब यही इंतज़ार है मुझे की ये स्वाद दोबारा कब मिलेगा.....
