Leena Jha

Others

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एक बंगला बने न्यारा

एक बंगला बने न्यारा

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मधु आज होठों पर मुस्कान लिए हुए अपने घर के सामान को बांध रही थी। सामान को बांधे हुए मधु को एक साल पहले की घटना याद आ रहा आ रही थी। कितनी दुखी थी वह उस दिन मकान मालिक ने उससे मकान खाली करने के लिए कहा था बिना किसी कारण के। 6 साल में यह चौथा मकान उसने उसे बदलना पड़ रहा था। मकान मालिक के सारे नियमों को मानने के बाद भी हर मकान मालिक दो साल पूरा होने से पहले ही मकान खाली करने के लिए कहने लगता और हर बार मधु इस बात पर झल्ला उठती थी और अरुण से शिकायत करती थी जाने क्या हो गया है हमने तो कुछ कहा भी नहीं कुछ किया भी नहीं फिर भी मकान खाली करने बोल रहे हैं ? अरुण बहुत शांत होकर कहता कोई बात नहीं नया देख लेते हैं नए सिरे से शुरूआत करते हैं क्यों परेशान हो रही हो । मधु झल्लाते हुए बोलती एक नए सिरे से शुरुआत सामानों को बांध, खोलो जमाव, पूरी तरह जानते भी नहीं है कि नए मकान खोजने की शुरुआत हो जाती है। सुनो! क्यों नहीं हम अपने लिए अपना मकान ढूंढ ले। अरुण ने कहा पागल हो गई हो क्या ? कहां से लायेगें इतने पैसे ? मधु ने कहा… जितना हम किराया देते हैं थोड़ा और लगा लेंगे तो हम इंस्टॉलमेंट दे देंगे। बैंक अब आराम से कर देते हैं मकान के लिए। ले लो ना यह बार-बार का बदलना बड़ा परेशान करता है। अरूण झल्ला के ऑफ़िस के लिए चला गया था। मधु ने भी ठान लिया था अब तो वह अपने घर में ही जाएगी। अब हर रविवार अखबारों में से मकान बेचना खरीदने को विज्ञापन में देखती और उनमें अपने बजट के हिसाब से छांटती। इस क्रम में शुक्रवार से ही अरुण का मूड खराब होने लगता रविवार खराब होने के नाम पर और मधु शनिवार से अरुण के मनपसंद खाना बना बना कर उसे मनाने के क्रम में लग जाती रविवार को मकान देखने के लिए। हर रविवार सुबह सुबह अरुण गुस्सा होता फिर भी तैयार हो जाता और मधु को लेकर उसके बनाए लिस्ट के मकानों को देखने निकल जाता। हर बार झल्ला कर बोलता….” क्या तुमने मुसीबत पाल लिया है? अच्छा भला किराए के मकान पर रह रहे हैं शांति से।“ मधु जानती थी कुछ कहने से बात बिगड़ जाएगी इसलिए हँस कर रह जाती। उस रविवार भी मधु के बनाए लिस्ट लेकर दोनों मकान देखने निकले थे। 


मकान शहर से थोड़ा अलग हट के था। जहां मकान था वो कॉलोनी नई बन रही थी इसलिए कॉलोनी की सड़क भी कहीं कच्ची थी और कहीं पक्की थी। मधु और अरुण उस मकान को देख ही रहे थे कि बहुत जोर की बारिश होने लगी। दोनों मकान देख कर बाहर निकले तो बारिश हो ही रही थी। दोनों गाड़ी में बैठ घर की ओर निकल पड़ें। थोड़ी दूर जाने पर सड़क टूटी हुई थी और पानी में डूबी हुई थी। अरुण ने गाड़ी उस पर डाल तो दिया पर गाड़ी में चारों तरफ से पानी आने लगा जिसे देख दोनों डर गए कि कहीं गाड़ी बंद ना हो जाए। किसी तरह अरुण ने गाड़ी पानी से बाहर निकाल तो लिया पर ऐसा लग रही थी जैसे कार पानी में तैर कर आई है। मधु बहुत डरी हुई थी क्योंकि अरुण के लिए अरुण की गाड़ी बहुत प्यारी थी। कार अरुण की बेबी थी। दोनों सारे रास्ते गुमसुम रहे। जब दोनों घर के बाहर गाड़ी से बाहर निकले तो दरवाज़ा खोलते ही गाड़ी के अंदर से पानी बाहर की तरफ आने लगा जिसे देख वही खड़े अरुण के दोस्त ने कहा “कहां से आ रहे हो किसी नदी में कार को तैराकी करवा के आ रहे हो क्या?” ये सुन कर अरुण बोला…” अरे श्रीमती जी का कमाल है। जाने कौन-कौन सी गलियों में ले जाती है मकान दिखाने के लिए।” मधु चुपचाप वहां से निकल गई। वह जान रही थी अभी अरुण का मूड खराब है उसे कुछ बोलना अच्छा नहीं रहेगा। मधु घर आकर अपने कपड़े बदल के शाम के नाश्ते की तैयारी में लग गई थी और अरुण अपने दोस्तों से नीचे बातें करने लगा था। जाने क्या बात हुई अरुण ऊपर नहीं आया। मधु थोड़ी देर तक परेशान होती रही फिर अरुण का फोन आ गया। जल्दी नीचे आ जाओ  कहीं जाना है। मधु झटपट जल्दी से दुपट्टा डाल घर के चप्पल में ही बाहर निकल गई। अरुण उसे गाड़ी में फटाफट बिठा कर ले कर चल दिया। मधु पूछती रही कहां जा रहे हो ?  कुछ बताओ तो सही ?। अरुण ने बोला “तुम बैठो तो सही। तुम्हारे लिए एक सरप्राईज है।" मधु अरुण के आवाज़ में खुशी देख कर चुप रह गई। अरुण थोड़ी दूर जाकर एक गली में मोड़, पर एक नए बन रहे मकान के सामने गाड़ी रोक दिया और मधु को बोला चलो अंदर चलते हैं ज़रा मकान देखते हैं। मधु बड़े खुश हो कर उसके साथ अंदर गई। दोनों को मकान बहुत पसंद आया मधु ने पूछा किसने बोला तुम्हें इस मकान के लिए अरुण ने बोला अपनी राय साहब ने बतलाया देख लो पसंद आए तो बतलाओ। कैसा लगा तुम्हें अरुण ने मधु से पूछा, मधु ने कहा बहुत अच्छी है पर यह हमारे बजट में आएगी। अरुण ने बोला तुम पसंद करो बजट की परेशानी मत लो। तुम्हें पसंद है तो हां कर दूँ। मधु ने बोला हां मुझे पसंद है। अरुण ने तुरंत फोन किया वहीं से राय साहब मकान हमें पसंद है फाइनल कर दो। उधर से उत्तर आया कल हम फाइनल कर लेते हैं सब कुछ बैठकर। मधु घर आ गए गुनगुनाते हुए रात के खाने की तैयारी में लग गई। दूसरे दिन ऑफ़िस से आते हुए मकान के लिए सब कुछ फाइनल करके आते ही अरूण ने मधु को खुशख़बरी दी तुम्हारा अपना मकान हो गया तुम्हारी शिकायत दूर हो गई अब। मधु बहुत खुश होकर उसके गले लग गई और कहने लगी मेरे सपने पूरे हो गए। अब बार बार घर खाली करना नहीं पड़ेगा। वो खुश हो गाने लगी एक बंगला बने न्यारा। अरूण उसकी खुशी देखकर खुश हो उठा। आज मधु अपने घर में शिफ्ट हो रही थी और अपनी पुरानी यादों को याद कर मुस्कुराए जा रही थी। उसके सपनों का बंगला तैयार हो गया था और वह उसमें रहने जा रही थी।


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