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Rachana Dixit

Others

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Rachana Dixit

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देहलीज

देहलीज

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बचपन, सपने, यादें, विरासत

छोड़ आई थी, रख आई थी, 

सहेज आई थी

अपने घर की

देहलीज़ के भीतर कभी

ढूंढती हूँ, खोजती हूँ,

टटोलती हूँ, तलाशती हूँ

कहीं भी कुछ भी

जब तब

पूंछते हैं वो

क्या खोजती हो ?

यहाँ कहाँ खोजती हो ?

कैसे कहूँ उनसे

क्या खोजती हूँ

कोई नहीं जानता

क्या खोजती हूँ

खोजती हूँ रोशनी

उस देहलीज़ के भीतर

गहन अंधकार जो है।



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