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Swati Kumari

Others

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डर है मुझे

डर है मुझे

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आज का दिन मेरे लिए काफी खास है पता है क्यों ? क्योंकि आज मेरी शादी है। मैं कौन...? मैं हूँ स्नेहल इस शहर की सबसे बदमाश और खूबसूरत लड़की ऐसा मैं नहीं कहती भैय्या कहते हैं। मैं घर में सभी की लाड़ली हूँ, माँ-पापा की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हो गई थी। उस वक़्त मैं काफी छोटी थी। सड़क दुर्घटना होने की मुख्य वजह उनका सीट बेल्ट ना लगाना था अगर लगाए होते तो शायद आज वो हमारे साथ होते, अगर आप अपनी फैमिली से प्यार करते हैं तो जरूर सीट बेल्ट लगाये वरना ईश्वर ना करे कल आपके बच्चे भी मेरी तरह आपको याद करेंगे। आ.... चलो मुद्दे पर आते हैं तो पहले मैं आपको अपनी फैमिली के बारे में बता दूं।

    हम कुल सात भाई बहन हैं जिसमें मैं सबसे छोटी हूँ बाकियों की शादी हो चुकी है आज मेरा नम्बर है और मजे की बात बताऊं? मेरी शादी उस इंसान से हो रही है जिसे मैं आज से नहीं बचपन से जानती हूँ और बचपन से ही चाहती आई हूँ। खास बात पता है, क्या है? वो मेरा बेस्ट फ्रेंड भी है। उसका नाम साहिल है मेरा साहिल... हम दोनों का नाम कितना सेम-सेम है ना? साहिल और स्नेहल ऐसा लगता है जैसे हम एक दूसरे के लिए ही बने हो है ना... भाई मेरी शादी में कोई भी कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं हर एक चीज पर उनकी बाज की नजर है। उफ्फ... सॉरी-सॉरी बड़े भाई के लिए अपशब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए।

     पता है इस शादी के जोड़े से लेकर मेरे सारे गहने भाई के पसंद के हैं। अब आपके मन में प्रश्न उठ रहा होगा भाई के पसंद के क्यों......? क्योंकि उनकी पसंद पूरी दुनिया में बेस्ट है और मेरी पूरी दुनिया भाई हैं। अब आप ही बताओ इन सारे चीजों को पहनने के बाद मैं किसी राजकुमारी से कम थोड़ी ना लगूंगी।

        अरे! लगता है बारात आ गई । मैं जल्दी से तैयार हो कर आती हूँ ओके बाय.....


देखा आ गई ना मैं, अब बताओ कैसी लग रही हूँ? हाँ, हाँ मुझे पता है मैं बहुत ही सुंदर लग रही हूँ। एक मिनट किसी के कदमों के आहट सुनाई दे रही है। शायद कोई लेने आ रहा है मुझे, मैं जल्दी से घूंघट डाल लेती हूँ। 

            पता है ये चारों लड़कियाँ मेरी दोस्त है मतलब की दोस्त कम सौतन ज्यादा जब देखा मेरे साहिल पर लाइन मारती है, पर भगवान का लाख-लाख शुकर है मेरा साहिल मुझे ही मिला। पता है मेरी शादी में इतने लोग आए हुए हैं कि गिनती करना तक मुश्किल हो रहा है। भाई को भाभी से मैंने बात करते हुए भी सुना था वो बोल रहे थे कि टन-का-टन अनाज मिनट भर में ही खत्म हो रहा है ऐसा लगता है मानो सारे गाँव का अनाज आज ही खत्म हो जाएगा। पर जो भी हो भाई ने सब कुछ बहुत ही अच्छे से संभाल लिया । किसी को शिकायत का मौका तक नहीं मिला। 

    जब मैं आंगन तक पहुँची तो देखा एक बड़ा सा मंडप लगा हुआ है और पता है मंडप की सजावट कच्चे फूलों से की गयी है। मैं धीरे-धीरे अपना कदम मंडप की ओर बढ़ाती हूँ। मंडप में पहुँचते ही मैंने सबसे पहले अपना घूंघट सरकाया और तिरछी नजर से साहिल को देखा । साहिल की नजर मुझ पर नहीं पड़ी क्योंकि वो किसी ओर से बात करने में व्यस्त था। पता है आज पहली बार ऐसा हुआ कि मैं साहिल को देखकर शरमायी ना जाने क्यों......? पंडित जी हम दोनों को बैठने के लिए बोले और आगे की प्रक्रिया प्रारंभ हुई । कुछ ही घंटों बाद पंडित जी ने कहा "आज से आप पति-पत्नी हुए।" मतलब विवाह संपन्न हो चुकी थी।

       अब विदाई का वक़्त आया, मैं बहुत रोयी मेरे आँसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे । हाँ मैं साहिल और उसके घरवालों को बचपन से ही जानती थी पर एक अजीब सा डर था जो शायद हर लड़की के मन में होता है । अब मैं अपने ससुराल पहुँच चुकी थी । यहाँ पर मेरा भव्य स्वागत हुआ किसी महारानी की तरह । साहिल का घर काफी बड़ा है साथ ही परिवार भी काफी बड़ा है यहाँ पर परिवार में कुल 30 सदस्य होगे मुझे जोड़कर 31 ससुराल में भी मैं सभी की लाड़ली रही क्योंकि घर में सबसे छोटी मैं ही थी ।

       धीरे-धीरे वक़्त बीतता गया और शादी के लगभग दो साल बाद मैं माँ बनी वो भी एक नहीं दो-दो बच्चों के और वो भी दोनों बेटों को.... सासु मां और ससुरजी के खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा उन्होंने पोते के आने की खुशी में महाभोज का आयोजन किया जिसमें काफी लोग आए, काफी खर्चा भी हुआ। आज लगभग दो साल बाद मुझे हवेली से बाहर घूमने का मौका मिला और जब मैं बाहर आई तो बाहर का नजारा देखकर सन्न थी। हमारी गली में इतने सारे घर बन चुके थे और उसमें इतने सारे लोग थे जिसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे की मधुमक्खी के छाते में लटकी मक्खियाँ.... मैं यह सब देखकर अवाक थी साथ ही थोड़ी चिंतित भी । 

       पर फिर भी मैंने इन सारी बातों को नजरंदाज करना चाहा और अंदर आ कर टीवी देखने बैठ गई। न्यूज चैनल से चौंकाने वाली खबर सुनने को आया... हमारा देश भारत दुनिया भर में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है इतना ही नहीं आबादी के साथ-साथ भुखमरी भी फैल चुकी थी । कसम से दिल दहला देनी वाली खबर थी । अब तो मुझे सच में भविष्य की चिंता होने लगी। अब मैं ज्यादातर चुप-चुप सी रहने लगी , साहिल एवं बाकी के सदस्यों ने मेरे परेशानी का कारण जानना चाहा पर मैं उन्होंने कुछ बताना वाजिब नहीं समझी इसलिए मैं चुप ही रही । 

       वक़्त बीतता गया अब मेरा दोनों बेटा चार साल के हो चुके थे। सासु मां अब पोती की रट लगाए बैठी थी जबकि मेरी बड़ी जेठानी की तीन, छोटी की चार बेटियां और मझली की पाँच बेटियाँ थी । सासु मां और साहिल के आगे मुझे मजबूर होना पड़ा। कुछ महीने बाद मैं पुनः माँ बनने वाली थी । सभी घर में सभी काफी खुश थे । जैसे ही मेरा छठा महीना चढ़ा वैसे ही घर में नए मेहमान के स्वागत की तैयारियाँ शुरू हो गई । तीन महीने बाद मेरा बच्चा मेरी गोद में आया। बच्चा क्यों...? क्योंकि वह बेटा था बेटी नहीं.. जरूरी तो नहीं हमने जो चाहा वही हो।

    इसी तरह मुझे बार-बार माँ बनने पर मजबूर किया गया और आज मैं कुछ छः बेटों की और सातवीं मेरी गुड़िया मेरी बेटी यानी सात बच्चों की माँ हूँ। अंततः भगवान को मुझपर तरस आ ही गया और उन्होंने मुझे बेटी दे ही दिया। इस बार बेटी होने की खुशी में कोई महाभोज कहीं कुछ नहीं हुआ पता है क्यों.... क्योंकि सारे अनाज खत्म हो चुके थे सिर्फ मेरी हवेली से ही नहीं बल्कि पूरे गाँव से, पूरे शहर से, पूरे देश से...., अनाज आता भी कहाँ से हम ने खेत-खलिहान में भी तो अपना घर बना लिया है। जनसंख्या बढ़ती गयी हम ने कभी ध्यान ही नहीं दिया जिसका परिणाम था ये...., खाने वाले तो करोड़ों से भी अधिक है पर अनाज ही नहीं है। अब तो ऐसा वक़्त आ चुका है जिसमें हमें सामने वाला व्यक्ति चिकन की तरह दिख रहा है। हम ने अब पेट की आग को शांत करने के लिए एक-दूसरे का शिकार करना शुरू कर दिया । हर रोज किसी ना किसी के घर से दो तीन सदस्यों को लाया जाता और उसे मार कर आग में पकाते थे और उसी आग की राख एवं इंसानी मांस को खाना शुरू किया क्योंकि भूख मिटाने के लिए कोई रास्ता बचा ही नहीं हमने पहले से सब खत्म कर लिया। शुरूआत में तो काफी अजीब लगा कई दिनों तक मैं भूखी रही पर पेट की आग कहाँ मानने वाली। धीरे-धीरे आदत हो गई मुझे भी इन सारी चीजों की..... बचपन में जिस चीन के चीनियों से हम नफरत करते थे आज हम उन से भी बत्तर हालत में हैं। उनके जानवर और इंसानी मांस खाने से हमें घिन आती थी लो अब उन से भी खराब हालत हमारी हो गई है । अरे! हम राक्षस से भी एक कदम आगे बढ़ चुके हैं । अगर पहले ही आबादी रोकने में हमने अपना योगदान दे दिया होता तो शायद यह दिन देखने को नहीं मिलता। अब तो साँस लेने में भी बहुत दिक्कत होने लगी क्योंकि हम सारे पेड़ जो काट दिये । ऐसा लग रहा है मानों उपर वाला हमें इसी बात की सजा दे रहा है।

      धीरे-धीरे दिन कट रहे थे तभी एक दिन अचानक कुछ लोग मेरे घर आए और बताया कि आज मेरे दोनों बड़े बेटों की बारी है यानी आज उसे मारा जाना था। आज मेरे बच्चों को खाकर सब अपनी भूख शांत करते । मैं बहुत गिड़गिड़ायी, बहुत रोयी पर किसी ने ना सुनी.., मेरे आँखों के समाने मेरे बेटे को मार दिया गया साथ ही आग में पकाया गया मैं तो पत्थर सी बन चुकी हूँ ना तो कुछ बोलने लायक बची ना ही सुनने... साँस था पर प्राण निकल चुके थे, शरीर था पर आत्मा गायब थी।


सहसा किसी ने मेरे मुँह पर पानी का छीटा मारा... मैं हड़बड़ा कर उठी ....तो पता चला अभी तक तो मेरी शादी ही नहीं हुई है। मैं आने वाले भविष्य की कल्पना कर रही थी। पर जो भी हो मेरी ये कल्पना रोंगटे खड़े कर देने वाली थी अगर हम और हमारी सरकार बढ़ती जनसंख्या पर आज सख्त नहीं हुई तो हो सकता है हमारी आने वाली पीढ़ियों को ये दिन देखना पड़े। सखियों ने कई बार कहा कि मैं शादी की रस्मों को निभाऊं पर मुझे आने वाले भविष्य की बहुत चिंता होने लगी और मेरे मन में हमेशा वहीं ख्यालात आने लगे, मैं सोच के सागर में डूबती चली जा रही थी। कहने के लिए तो मैं उस भयावह स्वप्न से बाहर आ चुकी थी जो मेरे मन का भ्रम मात्र था। इस को बीते कई साल गुजर चुके हैं पर अब भी उस कल्पना के बारे में सोचकर दहल जाती हूँ। अभी भी मेरे आँखों के सामने वह भयावह दृश्य नृत्य कर रहा है और मेरे रोंगटे खड़े हो जा रहे हैं मन बुरी तरह से सिहर उठता है। 



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