डॉक्टर डूलिटल - 1.10

डॉक्टर डूलिटल - 1.10

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मगर डॉक्टर ने जानवरों से कहा:

 “मेरे दोस्तों, हमें निराश नहीं होना चाहिए! हमें इस अभिशप्त जेलखाने से निकल भागना होगा – बीमार बन्दर हमारा इंतज़ार जो कर रहे हैं!”

”रोना-धोना बन्द करो! चलो, सोचते हैं कि हम अपने आप को कैसे बचाएँ।”

 “नहीं, प्यारे डॉक्टर,” – मगरमच्छ ने कहा और वह और ज़ोर से रोने लगा। “बचना मुमकिन नहीं है। हम तो ख़त्म हो गए! हमारे जेलखाने के दरवाज़े मज़बूत लोहे के बने हैं। क्या हम उन्हें तोड़ सकते हैं! ये दरवाज़े? कल सुबह, जैसे ही उजाला होगा, बर्मालेय आएगा और हम सबको मार डालेगा!”

बत्तख कीका रिरियाने लगी। चीची ने गहरी साँस ली। मगर डॉक्टर उछला और मुस्कुराते हुए चहका:

”फिर भी हम जेल से निकल भागेंगे!”

और उसने तोते कारूदो को अपने पास बुलाया और उसके कान में फुसफुसाने लगा। वह इतने हौले से फुसफुसा रहा था कि तोते के अलावा उसकी बात कोई और नहीं सुन सकता था। तोते ने सिर हिलाया, वह मुस्कुराया और बोला:

 “अच्छा!”

फिर वह जाली के पास भागा, लोहे के तारों के बीच से निकलकर सड़क पर आया और बर्मालेय के पास उड़ने लगा।                 

बर्मालेय अपने पलंग पर गहरी नींद में था, और उसने तकिए के नीचे खूब बड़ी चाभी छुपाई थी – वही चाभी, जिससे उसने जेलखाने के लोहे के दरवाज़े बन्द किए थे।

तोता हौले-हौले बर्मालेय के पास आया और उसने तकिए के नीचे से चाभी बाहर खींच ली।                                         

अगर डाकू उठ जाता, तो वह इस बेख़ौफ़ पंछी को मार ही डालता।

मगर, सौभाग्य से, डाकू गहरी नींद में था।

बहादुर कारुदो ने चाभी को पकड़ लिया और पूरी ताक़त से वापस जेलखाने की ओर उड़ने लगा।

ओय, कितनी भारी है ये चाभी! कारूदो ने उसे रास्ते में बस, गिरा ही दिया था। मगर फिर भी वह जेलखाने तक आया – और सीधे खिड़की के पास, डॉक्टर डूलिटल  के पास पहुँचा। कितना ख़ुश हो गया डॉक्टर, जब उसने देखा कि तोता जेलखाने की चाभी लाया है!

 “हुर्रे! हम बच गए,” वह चिल्लाया। “बर्मालेय के उठने से पहले भाग निकलते हैं!”

डॉक्टर ने चाभी ले ली, दरवाज़ा खोला और बाहर रास्ते पर भागा। उसके पीछे – सारे जानवर भी भागे।

 “आज़ादी! आज़ादी! हुर्रे!

 “धन्यवाद, बहादुर कारूदो!” डॉक्टर ने कहा। “तूने हम सबको मौत के मुँह से बचाया है। अगर तू न होता तो हम ख़त्म ही हो गए होते। और हमारे साथ ही बेचारे बीमार बन्दर भी मर जाते।”

 “नहीं!” कारूदो ने कहा। “ये तो तुमने ही मुझे सिखाया कि क्या करने से हम जेल से बाहर निकल सकते हैं!”

 “जल्दी, जल्दी चलो बीमार बन्दरों के पास!” डॉक्टर ने कहा और जल्दी-जल्दी घने जंगल के भीतर भागा। उसके साथ साथ सारे जानवर भी भागने लगे।

 

 









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