हरि शंकर गोयल

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हरि शंकर गोयल

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डायरी जून 22

डायरी जून 22

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डायरी सखि , 

आजकल एक जुमला बहुत सुनाई दे रहा है "अंतरात्मा की आवाज" का । लोग कह रहे हैं कि "अंतरात्मा की आवाज सुनो और उसी के अनुसार वोट दो" । अब ना तो अंतरात्मा जिंदा है और ना ही कोई उसकी आवाज सुनता है ।


हुआ यूं कि कल राज्य सभा की 57 सीटों के लिए मतदान का दिन था । हमारे संविधान निर्माताओं ने संसद के दो सदन बनाए । एक लोकसभा और दूसरा राज्य सभा । जनता अपने प्रतिनिधि सीधे तौर पर चुनकर लोकसभा में भेजती है । लेकिन राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव राज्यों के माननीय विधायक करते हैं । हर दूसरे साल एक तिहाई सदस्यों का चुनाव राज्य सभा के लिए किया जाता है । इस साल 57 सदस्यों का चुनाव किया जाना था । इनमें से 41 सदस्यों का चुनाव तो निर्विरोध हो गया मगर 16 सदस्यों के लिए कल मतदान हुआ । 


ये 16 सदस्य जो चुने जाने थे उनमें से 2 हरियाणा से, 4 राजस्थान से, 4 कर्नाटक से और 6 महाराष्ट्र से चुने जाने थे । सखि, तुम तो जानती ही हो कि हरियाणा और कर्नाटक मे भारतीय जनता पार्टी की सरकार है , राजस्थान में कॉग्रेस की और महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार है । बस, पेंच यहीं फंसा पड़ा था । हरियाणा में कॉंग्रेस के पास 31 विधायक हैं और एक अभय चौटाला का समर्थन भी उसे मिल रहा था । जीतने के लिए केवल 31 मत ही चाहिए थे । कॉंग्रेस के अजय माकन आसानी से जीतने चाहिए थे लेकिन अंतरात्मा की आवाज सुनकर कॉंग्रेस के एक विधायक ने पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ मत दिया और दूसरा मतदान से अनुपस्थित हो गया । इस प्रकार माकन को केवल 29 मत ही मिले । 


मजे की बात देख सखि, कि वो मनु शर्मा जिसने एक बीयर बार में सरेआम जेसिका लाल को गोली मारकर अपनी हैसियत पुलिस, प्रशासन और न्यायपालिका को बता दी थी और वह बाइज्जत बरी हो गया था । वो तो बाद में एक पत्रकार ने इस मुद्दे को उठाया और फिर न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा दी । हालांकि वह मनु शर्मा अब जेल से बाहर आ गया है । उसी मनु शर्मा के भाई जो एक टेलीविजन चैनल के मालिक हैं, कार्तिकेय शर्मा अजय माकन को हराकर जीत गए । विधायकों ने अंतरात्मा की आवाज पर एक हत्यारे के भाई को राज्य सभा में भेज दिया । इसे कहते हैं अंतरात्मा की आवाज। जिन लोगों के पास कोई आत्मा ही जिंदा नहीं बची हो वो अंतरात्मा की आवाज सुनेंगे ? 


यही हाल राजस्थान में हुआ । जी टेलीविजन का मालिक मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा ने जिस तरह कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए पिछली बार जीत हासिल की थी , उसी तरह उसने सोचा कि इस बार भी वह यही कारनामा दोहरा सकता है । मगर वह यह भूल गया कि वहां पर उसका पक्ष सत्तारूढ दल ले रहा था । लेकिन यहां पर वह विपक्षी खेमे में था । यहां तो राजनीति के जादूगर बैठे थे तो उन्होंने वो खेल दिखाया कि "मीडिया मुगल" इतना सा मुंह लेकर लौट गये अपने दड़बे में । 


कर्नाटक में 4 में से 3 सीट भारतीय जनता पार्टी जीत गई जबकि वह दो सीट की ही हकदार थी । तो तीसरी सीट कैसे जीती ? अरे वही अंतरात्मा की आवाज से । सभी विधायकों की आत्मा में धर्मराज आकर बैठ गये और उन्होंने उनको जिता दिया ।


सखि, एक बात गौर करने की है कि तीनों राज्यों में सत्तारूढ दल के सभी उम्मीदवार जीत गये । मतलब साम दाम दंड भेद सबने असर दिखाया । पर महाराष्ट्र में न साम चला और न दाम । दंड और भेद तो कहीं नजर ही नहीं आये । अब ऐसी स्थिति में अगर माननीय विधायक महोदय अपनी अंतरात्मा की आवाज पर भारतीय जनता पार्टी के तीन उम्मीदवारों को जिता देते हैं तो यह आश्चर्यजनक बात है । 


अंतरात्मा की आवाज की दुहाई ऐसे लोग दे रहे हैं जिन्होंने बेचारी अंतरात्मा को कई बार बेच दिया है । बेचारी अंतरात्मा , सोचती है कि उसका बलात्कार न जाने कब तक होता रहेगा ?




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