भारत का खून
भारत का खून
यह कहानी एक चलती ट्रेन में से शुरू होती है। एक ट्रेन दिल्ली से हैदराबाद आने वाली होती है उसमें दो लोग सफर करते हैं ।वह दो लोग एक दूसरे से अनजान हैं, एक का नाम रहीम दूसरे का नाम राम है .इन दोनों के नाम सुनकर आपको पता चला होगा कि एक बंदा मुसलमान का है और एक बंदा हिंदू का है। तो चलिए यह दोनों दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक साथ नहीं आती पर जब ट्रेन में चढ़ते हैं तो एक दूसरे से टकरा जाते हैं तब वे दोनों तुरंत ही एक दूसरे से दूर हो जाते हैं वह उनके दोनों के मन में एक विचार रहता है कि वह हिंदू है और वह मुसलमान है।यह दोनों एक दूसरे से जब भी टकराते हैं उसी बात को याद करते हैं कि मैं हिंदू हूं और तुम मुसलमान इसलिए वह दोनों जब भी टकराते हैं तभी एक दूसरे से दूर हो जाते हैं। वह लोग स्पर्श तक नहीं करते एक दूसरे को।राम और रहीम दोनों एक दूसरे से दूर होकर दूसरे दूसरे दरवाजे से ट्रेन में चढ़ते हैं पर किस्मत ऐसी है कि दोनों की सीट एक ही होती है। कुछ नहीं कर सकते अब एक सीट पर तो बैठना ही होगा वह राम सामने बैठता है और रहीम उसके आमने।दोनों के मन में एक ही बात वो हिंदू है और मैं मुसलमान हूं हम दोनों अलग-अलग है एक दूसरे से बात भी नहीं करना, रहीम सोचता है कि मैं चुप ही रहूंगा उसे कुछ नहीं बात करूंगा उसे देखूंगा तक नहीं और वह भी बिल्कुल रहीम की तरह ही सोचता है। अब एक बात जो दोनों को बातें करने में मदद करती है वह है भारत देश क्योंकि यह दोनों दूसरे दूसरे धर्म के जरूर है पर इन दोनों का देश तो भारत है अब अब सोच रहे होंगे कि यह दोनों कैसे बात करेंगे तो चलिए बताती हूं।
यह दोनों अभी भी एक दूसरे से दूरी ही रखने की सोचते हैं ,वह मिनट मिनट यही बात सोचते हैं कि तुझे उससे बात नहीं करनी ऐसा रहीम सोचता है वह खुद को ही बोलता है। ऐसी ही बात राम भी सोचता है क्योंकि वह भी हिंदू है मुसलमान से बात नहीं कर सकता उसका धर्म अलग है, भगवान अलग है। ऐसी सोच में दोनों भी उलझे रहते हैं पर अब रेलवे का टिकट चेक करने वाला यानी टीसी आता है तब दोनों भी अपने बैग में टिकट ढूंढने लगते हैं, वह दोनों भी टिकट कहां रखा भूल जाते हैं और टीसी दोनों को देखता रहता है। वह दोनों भी एक दूसरे को चुपके चुपके देख कर अपने बैग में हाथ डालते हुए टिकट को ढूंढते हैं और टी सी उन दोनों की तरफ ही देखता है वह दोनों घबरा जाते हैं कि टिकट नहीं मिल रहा है बाद में रहीम को एक टिकट दिखाई देता है जो कि राम के नीचे दो पैरों के बीच में होता है।.राम बैठते वक्त अपना टिकट गुम न जाए जाए यह सोचते हुए वह अपना टिकट अपने नीचे रख दिया था. यह बात रहीम को याद आई क्योंकि रहीम ने राम को टिकट रखते हुए देख लिया था पर वह रहीम को बता नहीं सकता था क्योंकि वह ऐसे ही निश्चित हुआ था कि मैं मुसलमान हूं, उससे बात नहीं कर सकता पर जब टीसी राम को टिकट ना दिखाने पर डांटने लगता है ,तो रहीम को खराब लगता है क्योंकि उसे मालूम है उसका टिकट कहां है फिर भी "मैं नहीं बता पा रहा हूं क्योंकि मैं उससे बात नहीं कर सकता हूं यह बात अपने मन में ही अपने आप बोल लेता है" रहीम को एक विचार आता है कि कुछ बोलने की जगह उसे अगर मैं दिखा दूं तो उसका टिकट उसे मिल जाएगा। रहीम उसे बिना बोले अपने हाथ की उंगली से उसकी टिकट दिखाता है तब राम को उसका टिकट दिख जाता है।और टीसी वो टिकट देखकर उसे डांटना बंद करता है। अब बारी है रहीम की रहीम का भी यही हाल है, उसका भी टिकट नहीं मिल रहा था। अब बात ऐसी है कि रहीम का टिकट राम को मालूम था कि कहां है।रहीम ने ट्रेन में चढ़ते हुए अपना टिकट अपने टोपी के नीचे छुपाया था पर वो भी रहीम की तरह ही सोच रहा था कि मैं इसे बता नहीं सकता क्योंकि मैं हिंदू हूं, मैं मुसलमान से बात नहीं कर सकता ,पर वह सोच रहा था कि इसमें बिना बोले जैसे मेरी मदद की मैं भी इसकी मदद बिना बोले कर सकता हूं, तब वह भी बिल्कुल उसी की तरह अपने हाथ से इशारा करके बताता है कि टोपी के नीचे टिकट है।इशारे से बताने पर रहीम को भी याद आता है कि उसने टोपी के नीचे टिकेट रखी थी। तब टीसी उन दोनों को बोलता है कि तुम दोनों क्या गूंगे हो बोल नहीं सकते, पहले मेरा समय बर्बाद कर दिया, वह दोनों टीसी को कहते हैं कि "तुम हमें डांटते नहीं तो हम टिकट जल्दी ढूंढते , तुमने हमारा समय बर्बाद कर दिया" एक ही साथ एक ही शब्द दोनों कहते हैं और एक दूसरे को देखने लग जाते हैं। दोनों मन में थोड़ा खुश होते हैं कि दोनों ने एक दूसरे की मदद की उनके अंदर एक भावना जागृत होती है प्रेम की। अब इस तरह उनका सफर आगे बढ़ता है राम को शुगर की बीमारी होती है वह उसकी दवाई लाना भूल जाता है थोड़ी देर बाद उसे एहसास होता है कि वह भूल गया अब क्या करूं बता भी नहीं सकता, यह तो मुसलमान है इसे कैसे बताऊं ?यही बात सोच कर आगे चलता है बाद में उसे महसूस होने लगता है कि उस पर उस दवा ना आने का असर हो रहा है।रहीम उसे देखकर परेशान हो जाता है कि "भाई क्या हुआ? राम के माथे से पसीना बहुत निकलता है इधर रहीम उसे देख कर परेशान होता है और लोगों को बुलाता है वह तब नहीं सोचता कि वह हिंदू है उसकी मदद कैसे करूं? वह सब लोगों को बुला कर लाता है तब उन लोगों में से एक के पास शुगर की दवा होती है तब वह दवा खाता है और उसकी हालत सुधर जाती है ,अगर दवा लाने में जरा भी समय लगता तो राम की हालत बहुत ही खराब हो सकती थी क्योंकि उसकी बीमारी बहुत ही बड़ी वाली थी। अब राम रहीम की और प्रेम की भावना से देखता है और वह कहता है अपने मन में ही यार आज यह बंदा ना होता तो मेरी हालत ठीक नहीं होती ,मैं इसे बात करूं क्या? ऐसे वह अपने मन में ही बात सोचता है पर उसकी हिंदू होने की भावना उसे बात करने नहीं देती पर रहीम को अपनी आंखों से ही धन्यवाद कह देता है। रहीम उसकी आंखों में देख कर समझ जाता है कि यह मदद की भावना पर धन्यवाद मुझे कह रहा है। रहीम और राम इसी तरह और सफर आगे करते रहते हैं।
अब रहीम को बहुत प्यास लगती है उसके पास पानी खत्म हो जाता है और ट्रेन सफर में ही रहती है। पानी लाने कहां जाऊं यह सोचता है तब राम अपनी बोतल में जो पानी है उसकी ओर करके उसे देता है पर वह बात नहीं करता है . वह दोनों मन से एक हैं पर उन दोनों में बातचीत नहीं है.
यही सब इन दोनों में चलता रहता है थोड़ी देर बाद कुछ लोग ट्रेन पर अटैक यानी ट्रेन का अपहरण कर लेते हैं ,चारों ओर से घेर लेते हैं ,राम रहीम परेशान हो जाते हैं कि अब क्या किया जाए. यह कैसे हो गया यह लोग कैसे आए ? यह सब सोचते रहते हैं तब राम उनको कहता है कि "भगवान आपको नहीं छोड़ेगा आप हम मासूमों को क्यों पकड़ रहे हो ?हमें परेशान क्यों कर रहे हो? एक बार भगवान के बारे में सोचो नहीं तो आपका बहुत ही बुरा हाल होगा. तो वह गुस्से में राम की छाती पर लात देता है तब रहीम को इतना गुस्सा आता है कि रहीम अपने अंदर ही अंदर गुस्सा करने लगता है और उसे मारने की सोचता है पर रहीम को भी वह लोग दो हाथ पकड़ कर रखते हैं .उनमें से एक आतंकवादी कहता है कि हम भगवान तो क्या तुम्हारे भारत को तक नाश कर सकते हैं”। तुम्हारा भारत क्या है ? तुम्हारे भारत की कोई औकात नहीं है जो हमें रोक पाए, अरे तुम हिंदू मुस्लिम खुद ही लड़ लेते हो देश में, तो तुम हमारा क्या बिगाड़ पाओगे? हम तो आतंकवादी है जो कि पूरे भारत देश के दुश्मन ,तुम्हारे भारत देश में एक दूसरे को लड़ने से फुर्सत नहीं मिलती तो तुम हमारा क्या उखाड़ सकते हो? तब राम और रहीम को इतना गुस्सा आता है कि वह दोनों उनको कहते हैं कि हम लड़ जरूर लेते हैं पर हमारे अंदर जो भारत के लिए गर्व है।वह समान है भारत हम सबकी जान हैं और यही हमारी शान है लड़ तो हम कुछ बातें सुधारने के लिए लेते हैं पर हमारा लक्ष्य भारत ही है उसके बारे में अगर तूने कुछ बोला तो हमें सहन नहीं होगा तब वह आतंकवादी हंसते हुए कहता है कि अरे तू हिंदू है और यह मुसलमान तुम दोनों अब तक एक दूसरे से बातचीत ही नहीं करेंगे और मिले भी नहीं होंगे तुम दोनों एक दूसरे के बारे में बुरा ही सोचते होंगे क्योंकि तुम्हारे भारत में यही तो चलता है कि हिंदू मुसलमान क्रिस्तव यह सभी चलता है ना तुम्हारे भारत में तुम ही खुद ही लड लेते हो भारत में भारतवासियों होकर। राम और रहीम दोनों एक साथ कहते हैं हां हां हम जरूर लड़ लेते हैं पर हम मन से एक ही हैं हमारे मन में भारत ही बसता है अगर हम एक हो गए ना तो कोई रोक नहीं पायेगा सब नाश हो जाएंगे जब भारत की सब वासी एक होकर लड़ेंगे। एक आतंकवादी कहता है कि अरे तुम तो पहले मुझे यह बताओ कि तुम धर्म के लिए कुल मत के लिए क्यों लड़ते हो तब राम रहीम एक साथ कहते हैं कि हम भाई भाई हैं और भाई बहन हैं ,परिवार में जैसे भाई बहन लड़ लेते हैं जो एक मां के सगे बेटे या बेटियां होती है पर वह रोज रोज लड़ लेते हैं। और उनमें प्यार भी उतना ही होता है जितनी वह लड़ाई करते हैं। लड़ाई से प्यार बढ़ता है हमारी लड़ाई तुमसे ऐसी बकवास और बुरी नहीं है हमारी वह लड़ाई है जो हमें मन से यह करती है हम किसी का बिना सोचकर नहीं लड़ते ,हमारी लड़ाई जो भाई और बहन में जो भाई भाई में होती है वह वाली लड़ाई है तुम्हारी तरह नहीं है, हम भारत में रहते हैं इसीलिए हमारी संस्कृति ऐसी नहीं है कि हम किसी को विनाश करें. और किसी का विनाश सोचें. हमारी सोच ही हमें महसूस कराती है कि हम भारत वासी हैं हम हिंदू मुसलमान यह सब हमारे नाम हैं, हमारा मन तो भारत और भारत ही है। हमारे अंग थरथर कांप के हमारा शीश ऊपर होकर कभी भी हिंदू मुसलमान यह नहीं कहता ,बस कहता है जय हिंद जय भारत।"
राम रहीम की बातें सुनकर तंकवादी उन्हें छोड़ देते हैं। वह सोचते हैं कि हम कितने गंदे हैं इतनी महान देशवासियों को हम सता रहे हैं. हम समझते थे कि यह भारत के लोग एक दूसरे में लड़ने में ही एक दूसरे के दुश्मन बनने में ही अपना वक्त गांव आते हैं पर इनकी जो लड़ाई है प्यार वाली प्रेम की भावना से और दूसरे उद्देश्य से है यह बात हमें मालूम नहीं वह अपने आप को कोस लेते हैं कि हमने भारत के बारे में इतना कुछ गलत कहा और इन लोगों के बारे में भी गलत ही सोचा।राम और रहीम तब एक दूसरे को देख कर कहते हैं कि" हम हिंदू और मुसलमान हुए तो क्या हुआ हमारी भावना तो भारत है। " एक दूसरे को प्रेम की भावना से देखते और गले मिलते हैं वह दोनों एक दूसरे को भाई-भाई भारत का सिपाही कहते हैं। आतंकवादी भी उन दोनों का यह प्रेम देखकर कहते हैं "अच्छे मार्ग पर अब हम भी चलेंगे ,अपनी सोच इस तरह बदल लेते हैं। एक आतंकवादी पूछता है कि "अभी भी भारत में आप जैसे लोग हैं पर क्या आगे चलकर भी रहेंगे?" तब राम रहीम एक साथ कहते हैं कि लड़ाई झगड़ा हर एक रिश्ते में हर एक गांव में हर एक देश में हर एक विदेश में पूरे संसार में भी होता है पर लड़ाई में प्यार भी होता है और प्यार का जन्म लड़ाई से ही होता है।"लड़ाई से हम बिगड़ भी सकते हैं और बुरा भी कर सकते हैं पर हम भारत में हैं इसलिए एक हैं क्योंकि यहां लड़ाई जरूर करते हैं पर प्यार से. यही सोच है जो हमें लड़ाई करने से आगे चलकर भी रोकेगी कि हम हिंदू मुसलमान नहीं बल्कि भारतवासी हैं। इसी तरह की सोच जब हर एक व्यक्ति रखेगा तो लड़ाई होगी पर प्रेम भी उतना ही बढ़ेगा अंत में भारत का ही विजय होगी
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इनकी बातें सुनकर वहां के सब लोग तालियां बजाने लगते हैं और सबको सुकून महसूस होता है और गर्व से सब लोग वहां के कहते हैं कि मैं भी अपने आप पर गर्व करता हूं कि मैं भारत वासी हूं।" और जो विदेश के लोग होते हैं वह कहते हैं कि भारत इस ग्रेट। अब राम रहीम एक दूसरे के पास करीब बैठ कर ट्रेन का सफर आगे बढ़ाते हैं और दोनों कहते हैं कि हम दोनों अलग-अलग धर्म से है फिर भी हमारा खून जो दौड़ता है, भारत का नाम लेने पर वही हमारा असली रिश्ता है जो हमें एक दूसरे के करीब लाता है वही रिश्ता है जो हर एक भारत के लोगों को करीब लाने वाला धागा भारत देश है, यही नाम है कि हम सबको मिल आता है उसी नाम का नाम है भारत इतनी जनसंख्या है फिर भी हम लोग सब आज खुश हैं और आगे भी रहेंगे क्योंकि हम भारतवासी जो ठहरे।
